उत्तराखंड में चुनाव का मौसम है, उत्तराखंड राज्य गठन के वक्त एक नारा हवाओं में तैरता था- आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य दो, मडुवा-झुंगरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे. राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के... Read more
उत्तराखंड की जमीन और जमीर को बचा सकती है चकबंदी
इन दिनों उत्तराखंड की सामरिक और सामाजिक महत्त्व की भूमि को बचाने के लिए “विशेष भूमि कानून” की मांग की मुहिम सोशल मीडिया में चल रही है. यह एक जरूरी मुहिम है मगर उससे भी अधिक महत्व... Read more
चिपको एवं गांधीवादी विचारों की प्रयोगशाला के रूप में अपनी अन्तराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा के एक सक्रिय राजनीतिज्ञ से समर्पित गांधीवादी चिंतक और कर्म योगी बनने की कहा... Read more
चने के डुबके बढ़ाते हैं इम्यूनिटी
डुबके पर्वतीय खानपान का अभिन्न अंग है. आमतौर पर डुबके भट्ट के बनाए जाते हैं. चूंकि भट्ट गरम होता है, इसलिए गर्मियों के दिनों में चने के डुबके बेहद स्वादिष्ट और लोकप्रिय हैं.(Dubke Uttarakhan... Read more
आधी आबादी का बराबरी के लिये संघर्ष
यूं तो वर्ष 8 मार्च 1908 में न्यूयॉर्क शहर में 15 हजार महिला मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने और बिना भेदभाव के बराबर मजदूरी की मांग और मताधिकार को लेकर जो प्रदर्शन किया. उस प्रदर्शन के ब... Read more
गढ़वाले मा बाघ लागो,बाघ की डरा… ब्याखूली ए जये घर चैय्ला, अज्याल बाघ की भै डर… गढ़वाल का लोकगीत हो या कुमाऊं की लोकोक्ति दोनों ही बराबर रूप से उत्तराखंड के समाज में बाघ की उपस्थिति उसके भय औ... Read more
बीमार पड़ते नैनीताल शहर का संघर्ष: कल, आज और कल
1842 के बाद एक शहर के रूप में अस्तित्व में आए नैनीताल शहर को वैदिक काल से त्रि ऋषि सरोवर नाम से जाना जाता रहा है. लेकिन ब्रिटिश भारत में शाहजहांपुर में सक्रिय शराब व्यवसाई बैरन और उस वक्त के... Read more
ईजा की बाटुली : हिचकी से अधिक आत्मीय याद
बढ़ती उम्र के साथ पहाड़ में अकेले न रह पाने की विवशता के कारण गोविंदी हल्द्वानी आकर मकानों के जंगल में कैद हो गई. आज सात साल हो गए लेकिन सात मिनट को भी गोविंदी का मन यहां नहीं लगा. भरा पूरा... Read more
उत्तराखंड के इतिहास में ऐतिहासिक शर्म का दिन है आज
अपनी समस्याओं को लगातार पत्र और सभाओं के माध्यम से दरबार को बताने के प्रयासों के बाद भी अहंकारी दीवान चक्रधर जुयाल और महत्वाकांक्षाओं से भरे डीएफओ पदमदत्त रतूडी, रंवाई और जौनपुर के जन आक्रोश... Read more
तिलाड़ी काण्ड की पृष्ठभूमि तैयार करने वाले जन आन्दोलनों का एक विस्तृत अध्ययन
1803 में गोरखाओं से पराजित होकर राज्य खो देने प्रद्युमन शाह की मृत्यु के बाद 1815 में अंग्रेजों की मदद से राजा सुदर्शन शाह ने गोरखा पर विजयी पाई. लेकिन राज्य का एक बड़ा हिस्सा जो अलकनंदा/गंग... Read more
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