सरदार मान सिंह के रूप में सुन्दरलाल बहुगुणा
तीन बेटों और दो बेटियों के बाद 9 जनवरी 1927 को टिहरी रियासत के वन अधिकारी अम्बादत्त बहुगुणा के घर एक बेटे का जन्म हुआ. अम्बादत्त बहुगुणा और पूर्णादेवी गंगा के भक्त थे सो उन्होंने अपने सबसे छ... Read more
हुड़के की गमक और हुड़किया बौल
उत्तराखण्ड में लोकगीतों की लम्बी परम्परा रही है. यह हमारा दुर्भाग्य है कि इसे लिखित रूप में सहेज कर रखने का प्रयास बहुत देर से तो हुआ ही लेकिन धीमा भी बहुत हुआ. लोकगीत मौखिक ही एक पीढ़ी से दू... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 80
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
गंदरायण: अंतर्राष्ट्रीय ठसक वाला पहाड़ी मसाला
गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन या छिप्पी नामों से जाना जाने वाला हिमालयी मसाला ठेठ पहाड़ी खान-पान का अहम मसाला है. राजमा, झोई (कढ़ी) और गहत, अरहर व भट के डुबके (फाणु) में इसका दखल व्यंजन की खुश्बू... Read more
आसमान टूट पड़ा
कहो देबी, कथा कहो – 27 पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 26 चंद्रशेखर लोहुमी को जानते हैं आप? उस साल बाज्यू फागुन आखीर तक पंतनगर में हमारे पास ही थे. उन्हें पहाड़ याद आने लगा था और वे कुछ दिन रु... Read more
पारंपरिक लोक-संगीत की धरोहर ‘हरदा सूरदास’
बात कुछ साल पुरानी होगी. संभवतः 1980-81 की. मई-जून का महीना. नैनीताल टूरिस्टों से खचा-खच भरा हुआ. शहर की माल रोड मोटर-कारों से त्रस्त. ऐसे वातावरण में स्टेट बैंक मल्लीताल के पास मेरे कान में... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 79
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
घोड़ाखाल: धार्मिक आस्था और सैन्य शिक्षा का केंद्र
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल जिले का एक छोटा सा क़स्बा है भवाली. यह क़स्बा समुद्र तल से 1,654 मीटर की उंचाई पर बसा है. भवाली कुमाऊँ मंडल का एक महत्वपूर्ण क़स्बा है. यह कुमाऊँ की सबसे बड़... Read more
बेटे-बहुएं दिल्ली चले गए घर में रह गए बूढ़े
2017 में उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पलायन की समस्या निदान हेतु एक आयोग बनाया गया. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बने इस इस आयोग को नाम दिया गया ग्राम विकास एवं पलायन आयोग. अप्रैल 2018 में आय... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन भाग-15 (पिछली क़िस्त : और इस तरह रातोंरात मैं बुद्धू बच्चे से बना एक होशियार बालक ) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्ष... Read more
Popular Posts
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा