पुलिसिया आदेश की ये कठोर आवाजें, युवा लड़के-लड़कियों के चीखने और सुबकने की आवाज़ें, अभिभावकों की गुस्से से भरी भावुक आवाज़ें, अस्पताल में भर्ती युवाओं की आवाजें हमारे राज्य की राजधानी देहरादून से हैं. रात के अंधेरे में जब सरकार की वीर पुलिस मारती है तो सरकार के मंत्री, अधिकारी और उसके पत्रकार गहरी दिन में सोते हैं. (Student Protest Against Ayurvedic College)
अगर आप देखना चाहते हैं कि किसी राज्य की सरकार कितनी निरंकुश हो सकती है, किसी राज्य की सरकार कितनी अभिमानी हो सकती है, किसी राज्य की सरकार कैसे लोकतंत्र का दमन करती है तो आईये उत्तराखंड. जहां की सरकार शक्ति के दम पर आये दिन तुगलकी फरमान जारी करती है. (Student Protest Against Ayurvedic College)
देहरादून में पिछले बीस दिन से निजी आयुर्वेदिक कॉलेजों के छात्र 80 हज़ार से सीधे 2 लाख 15 हज़ार तक फीस बढ़ाये जाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. हाईकोर्ट की सिंगल बैंच और डबल बैंच इन छात्रों के समर्थन में फैसला दे चुकी है. इसके बाद भी कालेजों ने फ़ीस कम नहीं की है.
यह बात किसी से भी नहीं छुपी है कि उत्तराखंड में उच्च शिक्षा माफिया गैंग की तरह काम करता है. उच्च शिक्षा के इन निजी कालेजों में ठेकेदारों, रंगदारों, राजनेताओं, अफ़सरों ने निवेश किया है. अगर निजी आयुर्वेदिक कालेजों की ही बात की जाय तो सरकार से लेकर विपक्ष तक, अधिकारियों से लेकर बाबा और समाजसेवियों तक बड़े-बड़े लोगों के नाम सामने आयेंगे.
जब इन निजी कालेजों को खाद के रूप में लोकतंत्र की सबसे सबसे शक्तिशाली सड़न का सीधा समर्थन होगा तो कौन सा हाईकोर्ट और कौन सा सुप्रीम कोर्ट. देहरादून की घटना ने साबित कर दिया है कि उच्च शिक्षा क्षेत्र के इन माफियाओं से ऊपर कोई कोर्ट नहीं है.
देहरादून में पुलिस की करवाई को पूरा एक दिन बीत चुका है लेकिन सरकार इस मामले में कोई करवाई नहीं कर रही है और पूरी मजबूती के साथ शिक्षा माफियाओं के साथ खड़ी है. इस सबके बीच छात्रों का आन्दोलन अब भी जारी है.
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कमल लखेड़ा
पूंजीवाद समर्थक सरकार