इन दिनों एक गढ़वाली गीत पूरे देश में वायरल हो रहा है. इस गढ़वाली गीत पर न जाने कितने वीडियो बन चुके हैं. गीत के शुरुआती बोल हैं ‘फ्वां बाग रे’.
वायरल हुआ गीत कुमाऊं के गीतकार पप्पू कार्की ने गाया था. पप्पू कार्की का निधन हो जाने के कारण इस गीत का आडियो नीलम कैसेट्स ने अपने यूट्यूब चैनल पर डाला था. जहां यह वायरल हो गया.
दरसल यह गीत मूल रूप से चन्द्र सिंह राही ने पहली बार गाया था. इस गीत की खोज के विषय में चन्द्र सिंह राही ने एक मंच ने बड़ा दिलचस्प किस्सा गढ़वाली भाषा में सुनाया था जिसका हिन्दी रूपांतरण हम यहां छाप रहे हैं :
आपको मालूम होगा कि कोटद्वार रेलवे स्टेशन में एक सूरदास जी भीख मांगते थे और गीत भी गाते हैं. साथ में चीजों के बारे में भी बताते हैं तो उसका नाम था झोग्गी. मेरे ख्याल में कोटद्वार से जाने वाले सभी लोग झोग्गी को जरुर जानते होंगे.
सन 1984 की बात है तो उनसे मुलाक़ात हुई मेरी. तब मैंने कहा सूरदास जी आज कल क्या हो रहा है गढ़वाल में. उन्होंने कहा भाई साहब आज कल सब जगह इमरजेंसी लगी है लेकिन गढ़वाल में एक पक्की बात हो रही है.
मैंने कहा भाई क्या बात हुई. तो उन्होंने कहा गढ़वाल में बाग़ लगा है बाग़. और वो बाग़ लगा था लैंसडाउन, दुगड्डा के आस-पास. वहीं से ये गीत आया.
दरसल कुमाऊं और गढ़वाल में जब किसी क्षेत्र में बाघ का आंतक होता है तो उसके लिये बाग़ लगा है कहा जाता है. यहां राही जी का सूरदास कहने से अर्थ झोग्गी के दृष्टिबाधित होने से होगा.
राही जी द्वारा बताया गया यह रोचक किस्सा नीलम कैसेट्स के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है. हालांकि चैनल ने इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गयी है कि राही जी ने यह बात कब और किस मंच से कही थी.
-काफल ट्री डेस्क
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