रंग भरी बाल्टी
कौन सा रंग
हरा!!
कैलेंडर उठाइये, थोड़ा विस्तार से समझते हैं. जनता कर्फ्यू को बहुत प्रभावी न मानते हुए ये मान लेते हैं कि 25 मार्च से देश में लॉक डाउन हुआ. अब कल्पना करें कि 25 तक ही कोरोना से संक्रमित व्यक्ति लोगों के संपर्क में आया तो उन सभी लोगों के लक्षण 3 या 4 अप्रैल तक आ ही जाएंगे. क्योंकि लक्षण प्रकट होने में हफ्ते से दस दिन लग जाते हैं. रिसर्च ये कहती है कि 97 प्रतिशत पेशेंट के लक्षण 11.2 दिन में यानि 12 दिन में आ जाते हैं. इसमें भी बड़ी संख्या उनकी है जिनके लक्षण 5 दिन के अंदर प्रकट हो जाते हैं.
अगर इसे 12 दिन यानि 5 अप्रैल भी मान लें और उसके बाद टेस्ट कराने और रिज़ल्ट आने के 3 और दिन जोड़ लें क्योंकि टेस्ट रिज़ल्ट आने में 24 से 72 घण्टे लगते हैं, तो 8 अप्रैल तक पुष्टि हो जाएगी कि किसी व्यक्ति जिसे सर्दी-ज़ुखाम-खांसी-साँस की तकलीफ़ है उसको कोरोना संक्रमण है या नहीं.
व्यवस्था ऐसी बनाने की कोशिश की जा रही है कि किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमण की पुष्टि होते ही उससे सम्पर्क में आये सभी लोगों को आइसोलेट कर दिया जाए लेकिन अगर ये मान लें कि उस व्यक्ति ने कोरोना होने की पुष्टि होने के दिन यानि 8 अप्रैल तक लोगों को छुआ है, उनसे मिला-जुला है और सबका आइसोलेशन नहीं हो पाया तो गणना करने पर हिसाब ये बैठता है कि 21 अप्रैल तक उन सभी लोगों के संक्रमण का पता चल जाएगा जिनके सम्पर्क में ये व्यक्ति इन दिनों रहा था. कायदे से इस दिन के बाद जो भी संक्रमण होगा वो पेशेंट की क्लोज़ प्रोक्सिमिटी में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ का होगा. Stay Isolated, Stay Uninfected, Stay Blue!
8 अप्रैल या और ढील दें तो 21 अप्रैल के बाद अगर नए केस प्रकाश में आते हैं तो ये हमारी अपराध की श्रेणी की लापरवाही मानी जानी चाहिए.
तो इन तारीखों को याद रखने का एक सिस्टम बनाते हैं.
मोटे तौर पांच कलर याद रखिये. ग्रीन, ब्लू, येलो, ऑरेंज और रेड.
हम सभी ? #ब्लू_डेट में हैं फिलहाल. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए. जैसे ही आपको सर्दी-ज़ुखाम जैसे लक्षण दिखने लगे समझिए आप ? #येलो_डेट में आ गए हैं. आपको तत्काल डॉक्टर से संपंर्क करना चाहिए. सोशल से फैमिली डिस्टेंसिंग मोड में आ जाना चाहिए. आपके पूर्व एक्सपोज़र और डॉक्टर की सलाह के आधार पर शीघ्र कोरोना संक्रमण टेस्ट करवाना चाहिए.
टेस्ट सैम्पल भेजे जाते ही आप ? #ऑरेंज_डेट में आ जाते हैं. अब आपको अगर कम्पल्सरी कारण्टाइन में नहीं भेजा गया है तो भी सेल्फ-कारण्टाइन या आइसोलेशन का पालन कीजिये. अपने परिवार वालों से भी अलग रहिए.
टेस्ट रिज़ल्ट पॉज़िटिव आते ही आप ? #रेड_डेट में हैं. अब आपको डॉक्टर्स द्वारा ही आइसोलेशन में रखा जाएगा और संक्रमण के प्रभाव के अनुसार ट्रीटमेंट दिया जाएगा.
यदि आपका टेस्ट रिज़ल्ट नेगेटिव आ जाए तब आप पुनः ब्लू या ऑरेंज डेट में आ जाएंगे. डॉक्टर रिपीट टेस्ट करवा सकते हैं. याद रखिये ग्रीन डेट नहीं. अब भी आपको सोशल डिस्टेंसिंग तो फॉलो करनी ही है.
? #ग्रीन_डेट की घोषणा सरकार द्वारा की जाएगी जब संक्रमण के फैलाव पर काबू पा लिया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग हटा कर आराम से पूर्वरत अपने काम काज में लौटने के लिए कहा जाएगा. इसका मतलब ये हुआ कि फ़िलहाल हम आप और सब इस वक्त ब्लू डेट्स में हैं.
तो अगर कोई पूछे कि
‘टिपि टिपि टॉप
विच कलर यू वांट?’
आपका जवाब तो ग्रीन ही होगा लेकिन पहले ये तो देखिये कि आप हैं कहाँ और आप ग्रीन तक जाने के लिए क्या कर सकते हैं?
यही कि अव्वल तो ब्लू डेट्स के नीलेपन को बरकरार रखिये. सोशल डिस्टेंसिंग का शिद्दत से पालन कीजिये.
दूसरा, येलो डेट्स को कम कीजिये. मसलन अगर आपको मामूली से भी लक्षण वायरस के नज़र आएं, तत्काल डॉक्टर की परामर्श और टेस्ट करवाइए.
तीसरा, ऑरेंज डेट में आएं तो घबराएं नहीं ज़रूरी नहीं कि आपको संक्रमण हो ही. बेहतर होगा कि सरकारी अधिकारियों का साथ दें. पिछले 8-10 दिनों में आप जिन लोगों के सम्पर्क में आए हैं उनकी लिस्ट बनाकर अधिकारियों को दें. उनको आपकी ‘सोशल कॉन्टैक्ट मैपिंग’ करने का काम आसान हो जाएगा.
चौथा, अगर आप रेड डेट में हैं तो भी घबराने की नहीं लड़ने की ज़रूरत है. वायरस से इन्फेक्ट होने के बाद अस्सी प्रतिशत लोग भले-चंगे होकर वापस आ चुके हैं.
हमारे संसाधन बहुत कम हैं. आप जानते हैं. टेस्ट कराने से लेकर हॉस्पिटलाइजेशन, आइसोलेशन और इलाज करवाने वालों की संख्या अगर नियंत्रित नहीं हुई तो देश को ग्रीन डेट्स में आने की डेट शायद कभी न आ पाए. Stay Isolated, Stay Uninfected, Stay Blue!
अगर आप इस लॉक डाउन को नहीं मान रहे तो आप खुद भी रेड डेट की ओर भाग रहे हैं अपने साथ वालों को भी भगा रहे हैं. आप पोटेंशियल कैरियर और विक्टिम से लगातार मिलते रहे तो ऐसी कोई भी तारीख़ नहीं आने वाली जब नए संक्रमण वाले व्यक्ति की ख़बर न आए.
इसलिए समाज से कटकर रहें, निर्देशों का पालन करें, स्टे आइसोलेटेड, स्टे अनइंफेक्टेड, स्टे ब्लू!
डिस्क्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं.
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अमित श्रीवास्तव. उत्तराखण्ड के पुलिस महकमे में काम करने वाले वाले अमित श्रीवास्तव फिलहाल हल्द्वानी में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं. 6 जुलाई 1978 को जौनपुर में जन्मे अमित के गद्य की शैली की रवानगी बेहद आधुनिक और प्रयोगधर्मी है. उनकी तीन किताबें प्रकाशित हैं – बाहर मैं … मैं अन्दर (कविता) और पहला दखल (संस्मरण) और गहन है यह अन्धकारा (उपन्यास).
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