विकास के पथ पर अग्रगामी हमारे उत्तराखंड राज्य से एक से एक अकल्पनीय कहानियां सुनाने को मिलती हैं. इस बार यह कारनामा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हुआ है.
‘अमर उजाला’ अखबार के हवाले से आई यह खबर बताती है कि राज्य के बागेश्वर जिले में जलागम प्रबंध परियोजना के अंतर्गत लाभार्थी ग्रामीणों को सोलर कुकर खरीदे जाने थे. इस के लिए बाकायदा बजट भी आवंटित हो चुका था.
तो कुल सात लाख इकसठ हजार चार सौ रुपये की लागत से कुल 635 कुकर खरीद लिए गए. यानी एक कुकर की कीमत बैठी करीब बारह सौ रुपये. इसके बाद इन कुकरों को ग्रामवासियों को बाँट भी दिया गया.
बागेश्वर जिले के सूपी गाँव में 200, काफली गाँव में 170, रिखाड़ी में 140, रिखाड़ी सुनार में 40 और हरकोट और चौड़ा गाँवों में क्रमशः 48 और 27 कुकर बांटे गए.
आप कहेंगे यह तो अच्छी बात है. सरकार ग्रामीणों की सहायता कर रही है. उन्हें खाना बनाने के कुकर मुफ्त में बांटे जा रहे हैं. यहीं पर पेंच है.
राज्य में संचालित की जा रही विकेंद्रीकृत जलागम प्रबंध परियोजना के अंतर्गत कुकर बांटे जाने का प्रावधान तो है लेकिन ये सोलर कुकर होने चाहिए यानी सौर ऊर्जा पर काम करने वाले कुकर.
धन्य हैं हमारे राज्य के चतुर-सुजान अधिकारी जिन्होंने ग्रामीणों की सुविधा के लिए सोलर कुकर की बजाय प्रेशर कुकर खरीद कर बाँट दिए. उन्हें लगा होगा सोलर कुकर चलाने के लिए पर्याप्त तकनीकी ज्ञान ग्रामीणों के पास कहाँ से आएगा!
जाहिर है ऐसी महान उपलब्धि छिपी कैसे रह सकती थी. बड़े अधिकारियों के संज्ञान में मामला आ चुका है और सभी सम्बंधित अधिकारियों को तलब कर लिया गया है. फिलहाल बताया जा रहा है कि नियत सरकारी प्रावधानों के विरुद्ध खरीद किये जाने के मसले पर जांच बिठाई जाएगी और अपराधियों को चिन्हित कर सजा दी जाएगी.
जाहिर तो यह भी है कि सरकारी सिस्टम में ऐसी उपलब्धियां हासिल किये जाने की लम्बी परम्परा रही है. यह अलग बात है कि हमारे काबिल अफसरान अपनी डफली बजाने के पक्ष में नहीं रहते. वे तो चुपचाप अपना काम करते जाते हैं और विकास होता जाता है.
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