सिंटोला पहाड़ों में बहुतायत से पाई जाने वाली एक चिड़िया का नाम है जिसे हमने अपने घर आगनों में न जाने कितने बार दाना चुगते हुए देखा है. न जाने कितने बार हमने उसे अपने आँगन में गाय-भैंस के ऊपर बैठ किन्ने ढूंढते देखा है.पहाड़ों में अपनी अदाओं के लिये विख्यात इस पक्षी का अंग्रेजी नाम है कॉटेज मैना है. इसे पहाड़ी मैना भी कहा जाता है.
पीली चोंच, पीले पैर, भूरे बदन वाला और काली गर्दन वाला यह पक्षी पहाड़ी लोक जीवन का एक बेहद ख़ास हिस्सा है. पहाड़ों की बोली में सिंटोले की आदत से जुड़े अनेक लोकोक्तियां प्रचलित हैं. उदाहरण के लिये सिंटोला किसी भी स्थान पर कितने भी कम पानी में नहा लेता है. इसलिए पहाड़ों में जल्दी-जल्दी नहाने वाले के लिये कहा जाता है सिंटोंल जस नान
इसीतरह सिंटोले के सिर के छोटे-छोटे बाल हेमशा ऐसे दिखते हैं जैसे कंघा किया हो इसी वजह से पहाड़ों में एक लोकोक्ति ख़ासी लोकप्रिय है सिंटोइया जसी बुली बुली
सिंटोला जब बिल्ली को देखता है तो वह चहचाहट शुरू कर देता है. अपनी चहचहाट से सिंटोला लोगों को एक प्रकार से सचेत काम करने का काम करता है. इसी तरीके से सिंटोला खेतों या घरों के पास सांप को देखकर भी लोगों को सचेत करने का काम करता है.
पहाड़ों में कुछ सालों में जब से हाई एक्सटेंसन वाली बिजली की तारें लगी तो सबसे पहले इससे प्रभावित होने वाले पक्षी सिंटोले ही थे. हजारों की संख्या में पहाड़ों में सितोंलों की मृत्यु करंट लगने से हुई थी.
सिंटोले की विष्ठा खाने की आदत और पहाड़ी लोक पर अशोक पांडे का एक छोटा लेख पढ़िये :
माना जाता है कि मनुष्य की विष्ठा सिटौले का प्रिय आहार है. शराब के लती लोगों में अक्सर कैपेसिटी से ज़्यादा शराब पी लेने और उसके घातक आफ्टर-अफेक्ट्स से रू-ब-रू हो चुकने के बाद “कल से जो पिएगा, साला कुत्ते का बच्चा होगा!” जैसे वाक्य कहे जाने की सनातन परम्परा है. अमूमन यह वाक्य सुबह के वक्त बोला जाता है. शाम को ऐसा कहने वाले महात्मा किसी अड्डे पर पुनः शराब पीते नज़र आते हैं. उन्हें सिटौला कहा जाता है. बार-बार “मैंने छोड़ दी है!” कहकर बार-बार ही टोटिल पाए जाने वाले द ग्रेट हिमालयन कॉटेज डव की श्रेणी में गिने जाते हैं.
– काफल ट्री डेस्क
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