नैनीताल की झील सात पहाड़ियों से घिरी हुई है. इन पहाड़ियों के नाम हैं: (Seven Hills of Nainital)
- अयारपाटा (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7689 फीट)
- देवपाटा (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7989 फीट)
- हांडी बांडी (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7153 फीट)
- चीना पीक (समुद्र सतह से ऊंचाई: 8658 फीट)
- आल्मा पीक (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7980 फीट)
- लड़िया कांटा (समुद्र सतह से ऊंचाई: 8144 फीट)
- शेर का डांडा (समुद्र सतह से ऊंचाई: 7869 फीट)
इनमें से अयार पाटा का नाम उस इलाके में उगने वाले अयार (Andromeda Ovalifolia) के पेड़ों के नाम पर पड़ा है. हांडी बांडी (अथवा हानी बानी) का नाम इस इलाके में सुनाई पड़ने वाली गूंजों-अनुगूंजों पर पड़ा है जिसे लोग शैतान की हंसी कहते हैं. (Seven Hills of Nainital)
शेर का डांडा, जैसा कि नाम से जाहिर है, शेर (*हालांकि पहाड़ों में बाघ और गुलदार ही पाए जाते हैं, शेर नहीं. अलबत्ता जनभाषा में इन दोनों को शेर भी कहे जाने का रिवाज रहा है.) के जंगल के लिए प्रयुक्त हुआ है.
लड़िया कांटा का नाम (जहाँ आज सेना का राडार स्टेशन स्थापित है) का नाम किसी भुला दी गयी देवी के नाम पर पड़ा है.
एक ही दिन में इन सातों पहाड़ियों को चढ़ लेने के कारनामों की रपटें लगातार आती रहती हैं अलबत्ता इस कार्य को करने की कोशिश उन्हीं लोगों ने करनी चाहिए जो शारीरिक रूप से सक्षम हों.
[स्रोत: 1928 में नैनीताल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जे. एम. क्ले द्वारा प्रकाशित किताब ‘नैनीताल: अ हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिपटिव अकाउंट’ के पहले अध्याय से जिसे नैनीताल के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर एल. सी. एल. ग्रिफिन, ICS द्वारा लिखा गया था. इस महत्वपूर्ण किताब में नैनीताल के इतिहास, भूगोल और वन्य-संपदा के बारे में महत्वपूर्ण विवरण पढ़ने को मिलते हैं. साथ ही आज से तकरीबन सौ वर्ष पुराने नैनीताल की महत्वपूर्ण इमारतों, सार्वजनिक व्यवस्थाओं और एनी महत्वपूर्ण मामलों के बारे में भी आवश्यक सामग्री पाई जा सकती है. आने वाले दिनों में हम आपको इस किताब से कुछ और दिलचस्प हिस्से पढ़ाएंगे.]
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