उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को गाय को राष्ट्रमाता घोषित किए जाने का संकल्प पारित किया गया. यह संकल्प अब भारत सरकार को भेजा जाएगा. प्रदेश की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने राज्य विधानसभा में यह प्रस्ताव रखते हुए कहा, ‘ यह सदन भारत सरकार से अनुरोध करता है कि गाय को राष्ट्रमाता घोषित किया जाये’.
इसके साथ ही गाय को यह सम्मान देने का संकल्प पारित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. वहीं, गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग को लेकर उत्तराखंड के संत गोपालमणि महाराज की मुहिम को राज्य विधानसभा से संबल मिला है. उन्होंने इसके लिए सरकार के साथ ही सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों के प्रति आभार जताया है.
पशुपालन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने कहा ‘अगर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाता है तो उससे उत्तराखंड सहित देश के 20 राज्यों में लागू गोवंश सरंक्षण कानून पूरे देश में लागू होगा और उसके संरक्षण के प्रयासों को और बल मिलेगा. रेखा की इस बात का सत्ता पक्ष और विपक्षी कांग्रेस के कई सदस्यों ने भी समर्थन किया’.
उन्होंने गाय के धार्मिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, सामाजिक व आध्यात्मिक महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि ङ्क्षहदू धर्म में गाय को माता का दर्जा है और गाय का दूध मां के दूध का विकल्प भी है वैज्ञानिक शोधों में यह प्रमाणित भी हुआ है. उन्होंने कहा कि गोवंश संरक्षण के लिए राज्य में अधिनियम लागू है. गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा मिलने पर इस कानून को भी बल मिलेगा.
सत्र से ठीक पहले दून में हुई संत गोपालमणि महाराज की गोकथा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सरकार के मंत्रियों के अलावा सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायकों ने गाय को सम्मान दिलाने की मुहिम में उनके साथ खड़ा होने का भरोसा दिलाया था. वहीं विपक्षीय पार्टी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पूछा कि राज्य में गौसंरक्षण के लिए बने कानून का अनुपालन क्यों नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार पहले गौ संरक्षण को लेकर गंभीर हो, फिर घोषित करे राष्ट्रमाता. हालांकि इन आपत्तियों और सवालों के बावजूद कांग्रेस ने इस संकल्प का समर्थन किया और यह सदन में सर्वसम्मति से पारित हुआ.
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