यह तस्वीर 23 साल की राखी की है. टिहरी जिले की नैलचामी पट्टी के ठेला गांव की राखी. पिछले दिनों जब उत्तराखंड के लोग सोशियल मिडिया पर टोपी और नथुली चैलेन्ज खेल रहे थे उसी दौरान रुद्रप्रयाग की यह बेटी अपनी जिन्दगी का चैलेन्ज हार गयी. कारण वही जो पिछले 20 सालों से पहाड़ के लोगों की मौत का मुख्य कारण रहा है, खराब स्वास्थ्य सुविधायें.
(Rakhi Tehri Garhwal)
रुद्रप्रयाग की रहने वाली राखी का ससुराल टिहरी गढ़वाल में है. बीते 11 दिसम्बर से 15 दिसम्बर तक राखी प्रसव पीड़ा में रही. घनसाली स्थित पिलकी अस्पताल के डॉक्टर सामान्य हालत ही बताते रहे. 15 दिसम्बर को जब राखी ने बच्चे को जन्म दिया तो उसकी तबियत ख़राब हो गयी. जिसके बाद उसे श्रीनगर बेस अस्पताल रेफर किया गया. जहां दाखिल करने से पहले ही राखी अपने जीवन का चैलेंज हार गयी.
पहाड़ में रहने वाले टोपी और नथुली से इतर जीवन जीने का चैलेंज हर रोज लेते हैं. जीवन की मूलभूत आवश्यकता में अच्छी स्वास्थ्य सविधा भी तो शामिल है पर पहाड़ में रहने वालों को कभी यह न मिली. क्या सुरक्षित प्रसव एक बच्चे का अधिकार नहीं है? आज भी पहाड़ में जन्म लेना माँ और बच्चे, दोनों के लिये किसी चैलेंज से कम नहीं है. पहाड़ का दुर्भाग्य रहा है कि कभी किसी ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये आवाज उठाना लाजमी नहीं समझा है.
(Rakhi Tehri Garhwal)
एक पर्वतीय राज्य की संकल्पना पर बने उत्तराखंड में आज एक भी ऐसा पर्वतीय क्षेत्र नहीं है जहां मूलभूत स्वास्थ्य सुविधायें पूर्णतः उपलब्ध हों. गढ़वाल हो या कुमाऊं पहाड़ के लोगों को ईलाज के लिये आज भी भागना मैदान को ही पड़ता है. राखी जैसी और कितनी बेटियां मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपने जीवन से हारती रहेंगी?
(Rakhi Tehri Garhwal)
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6 Comments
Kamal lakhera
स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई बात नहीं होती । अस्पताल नहीं, अस्पताल हैं तो डॉक्टर नहीं, डॉक्टर साहब अपनी जगह कंपाउडर को बैठाकर गायब हैं और दवाएं तो शर्तिया सरकारी अस्पताल में मिलेंगी नहीं । इस चक्रव्यूह को तोड़ने की जहमत कोई नहीं उठाना चाहता ।
Jai prakash
यह पहली घटना sorry दुर्घटना नही ये तो पहाड़ की रूटीन घटना हो गयी है । को है इसका जिम्मेदार ?
Prakash
इसके लिए केवल हमारे सभी मुख्यमंत्री और मंत्री ही जिम्मेदार हैं. यदि वे चाहते तो इस संबंध में सही नीति बनाई जा सकती थी और उसे सख्ती से लागू भी किया जा सकता था. बेहद शर्मनाक. Uttrakhand राज्य बनने से कोई फायदा नहीं हुआ.
Prakash
इसके लिए केवल हमारे सभी मुख्यमंत्री और मंत्री ही जिम्मेदार हैं. यदि वे चाहते तो इस संबंध में सही नीति बनाई जा सकती थी और उसे सख्ती से लागू भी किया जा सकता था. बेहद शर्मनाक. Uttrakhand राज्य बनने से कोई फायदा नहीं हुआ.
Prakash
इसके लिए केवल हमारे सभी मुख्यमंत्री और मंत्री ही जिम्मेदार हैं. यदि वे चाहते तो इस संबंध में सही नीति बनाई जा सकती थी और उसे सख्ती से लागू भी किया जा सकता था. बेहद शर्मनाक. Uttrakhand राज्य बनने से कोई फायदा नहीं हुआ.
Prakash
इसके लिए केवल हमारे सभी मुख्यमंत्री और मंत्री ही जिम्मेदार हैं. यदि वे चाहते तो इस संबंध में सही नीति बनाई जा सकती थी और उसे सख्ती से लागू भी किया जा सकता था. बेहद शर्मनाक. Uttrakhand राज्य बनने से कोई फायदा नहीं हुआ.