पचास साल हो गये हैं, मेरे स्कूल की स्थापना के. स्वर्ण जयंती साल है 2022. पचास साल पहले 22 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री श्री कमलापति त्रिपाठी जी ने विद्यालय भवन का लोकार्पण किया था. भवन स्कूल के लिए नहीं था, चिकित्सालय के लिए था और उसी जरूरत के अनुरूप निर्मित किया गया था. राजकीय हाईस्कूल डाकपत्थर के रूप में स्थापित, इस विद्यालय का 1979 में इण्टरमीडिएट स्तर पर उच्चीकरण किया गया. ये वो समय था जब हरबर्टपुर और कालसी के बीच ये अकेला सरकारी इण्टरमीडिएट कॉलेज था. पाँच किलोमीटर की परिधि में, सरकारी तो क्या कोई प्राइवेट विद्यालय भी नहीं था.
(Rajkiya Inter College Dakpathar)
टौंस और यमुना के संगम पर स्थित डाकपत्थर कस्बा, सिंचाई विभाग की डैम कॉलोनी के रूप में विकसित हुआ था. तत्समय सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के बच्चे इसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते थे. छात्रसंख्या 3000 तक हुआ करती थी. आज 50 साल बाद विद्यालय की एक किमी परिधि में ही चार प्राइवेट विद्यालय संचालित हो रहे हैं. प्रथमदृष्टया, ऐसा लग सकता है कि चार प्राइवेट विद्यालयों के बीच स्थित एकमात्र सरकारी विद्यालय अर्थात् राजकीय इंटर कालेज डाकपत्थर अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा होगा. हक़ीक़त में ऐसा है नहीं. विद्यालय उसी शान से संचालित हो रहा है, जैसा चालीस-पचास साल पहले था. अधिकतम छात्रसंख्या के समय इस विद्यालय में 40-45 शिक्षक, 10 चतुर्थ श्रेणी कार्मिक कार्यरत रहते थे.
विद्यालय में पिछले 33 साल से कार्यरत कर्मठ, निष्ठावान कार्मिक राजेन्द्र सिंह नेगी बताते हैं कि चंद्रभानु प्रताप सिंह के कार्यकाल को विद्यालय का स्वर्णिम काल कहा जा सकता है. उन्हीं के कार्यकाल में विद्यालय में चाहरदीवारी बनी, चैनल-गेट लगे. विद्यालय अनुशासन की पूरे जिले में मिसाल दी जाती थी. सिंह साहब विद्यालय से स्थानान्तरित होने के बाद जिला पटौना कुशीनगर के जिला शिक्षा अधिकारी बने. विद्यालय में प्रधानाचार्य रहे आनंद भारद्वाज, कुलदीप गैरोला वर्तमान में पौड़ी व चमोली के मुख्य शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. एस.बी.जोशी महानिदेशालय में अपर निदेशक हैं.
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गैरोलाजी के कार्यकाल में विद्यालय ने आई.सी.टी. के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की. विद्यालय की कम्म्यूटर लैब प्रदेश भर में सर्वश्रेष्ठ होने से उसे उत्तरांचल गवर्नमेंट टेक्नालॉजी अवार्ड प्रदान किया गया. कम्प्यूटर लिटरेसी एक्सलेंस अवार्ड नई दिल्ली में विद्यालय के प्रधानाचार्य को तत्कालीन राष्ट्रपति अबुल कलाम द्वारा प्रदान किया गया. भारद्वाज जी ने भी विद्यालय पत्रिका प्रकाशन सहित कई नवाचारी प्रयास अपने कार्यकाल में किये. जोशी जी द्वारा विद्यालय सौंदर्यीकरण के लिए किये गये कार्यों की छाप अभी भी देखी जा सकती है. विद्यालय के ही पूर्व शिक्षक सुप्रिय बहुखण्डी को आईसीटी क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए अमेरिका में प्रशिक्षण हासिल करने का मौका भी मिला. विद्यालय से ही सेवानिवृत्त शिक्षक महेश चंद्र सेमवाल, राजकीय शिक्षक संघ देहरादून के जिलाध्यक्ष रहे.
2003 में देहरादून के राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय का स्थापना के बाद, शुरुआती संचालन राजकीय इंटर कालेज डाकपत्थर में ही हुआ था. 2007 में इण्टरमीडिएट परीक्षा में गौरव सेमवाल ने उत्तराखण्ड प्रदेश में छटवां स्थान हासिल किया. 2010 में रविराज सिंह ने और 2020 में प्रियांशु चौहान ने हाईस्कूल परीक्षा में दसवां स्थान हासिल किया.
विद्यालय के पूर्व छात्रों में से अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं. किशन कुमार आईएएस हैं. दमन-दीव, अण्डमान निकोबार में सेवा देकर वर्तमान में दिल्ली में कार्यरत हैं. हाल ही में वो अपने बेटे के साथ डाकपत्थर विद्यालय में आये थे. विद्यालय के ही एक पूर्व छात्र केन्द्रीय विद्यालय के क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून में असिस्टेंट कमिश्नर रहे. वे भी न सिर्फ विद्यालय में आये बल्कि उस बैंच पर बैठ कर फोटो भी खिंचवाये, जिस पर वो छात्र रहते हुए, बैठा करते थे.
के.पी.एस. वर्मा जयपुर में सेना में कर्नल हैं. कोरोना काल में उन्होंने विद्यालय से इसलिए सम्पर्क किया कि उनके हाईस्कूल-इण्टरमीडिएट के दस्तावेज़ खो गये थे और उनको द्वितीय प्रति की जरूरत थी. विद्यालय ने इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से पत्राचार करके उनके दस्तावेज़ उपलब्ध करवाये. छात्रा कु0 जानवी 2018-2021 की अवधि में बाल-विधायक रही. उसका चयन, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक विशेष योजना के तहत हुआ. बाल-विधायक रहते हुए जानवी ने बालहित के अनेक कार्य कर प्रदेश में अपनी और अपने विद्यालय की विशिष्ट पहचान बनायी गयी. आयोग द्वारा अपनी एक महत्वपूर्ण पत्रिका में जानवी की आत्मकथा भी प्रकाशित की गयी है. छात्रा दृष्टि इस समय नेशनल कबड्डी में प्रतिभाग के लिए हरिद्वार में कैम्प कर रही है.
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राजकीय इंटर कालेज डाकपत्थर, राजकीय विद्यालयों में, उत्तर प्रदेश के समय से ही अपनी विशिष्ट पहचान रखता था. विस्तृत परिसर, वृहद् छात्रसंख्या और उल्लेखनीय शैक्षणिक व पाठ्य-सहगामी उपलब्धियों के कारण. वर्तमान में भी, जब अधिकतर राजकीय विद्यालयों की चिंता का विषय घटती छात्रसंख्या है, राजकीय इंटर कालेज डाकपत्थर में विकासनगर, कालसी और चकराता विकास खण्डों के छात्र-छात्रा अध्ययन कर रहे हैं.
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इस साल बारहवीं कला वर्ग में 98 छात्र-छात्रा अध्ययनरत हैं. इण्टरमीडिएट स्तर पर अतिरिक्त शिक्षक और कक्षा-कक्षों की व्यवस्था होने पर ये संख्या आसानी से 150 से 200 तक भी हो सकती है. अधिक छात्रसंख्या वाले विद्यालयों के लिए शिक्षक तैनाती के मानकों में कुछ शिथिलता मिले तो राजकीय इंटर कालेज डाकपत्थर जैसे विद्यालय प्रवेश के नये रिकॉर्ड बना सकते हैं. विद्यालय की छात्रसंख्या में लगभग 70 फीसदी संख्या अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं की है. इनमें से अधिकतर छात्र-छात्रा डाकपत्थर में कमरा लेकर अध्ययन करते हैं. समाज कल्याण विभाग की ओर से इन छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास का निर्माण किया जाए तो आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत मिल सकती है.
राजकीय इंटर कालेज डाकपत्थर की स्थापना के स्वर्ण-जयंती वर्ष के अवसर पर, वर्तमान विद्यालय परिवार सहित सभी पूर्व छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, प्रधानाचार्यों, कार्मिकों को बहुत-बहुत बधाई.
(Rajkiya Inter College Dakpathar)
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1 अगस्त 1967 को जन्मे देवेश जोशी फिलहाल राजकीय इण्टरमीडिएट काॅलेज में प्रवक्ता हैं. उनकी प्रकाशित पुस्तकें है: जिंदा रहेंगी यात्राएँ (संपादन, पहाड़ नैनीताल से प्रकाशित), उत्तरांचल स्वप्निल पर्वत प्रदेश (संपादन, गोपेश्वर से प्रकाशित), शोध-पुस्तिका कैप्टन धूम सिंह चौहान और घुघती ना बास (लेख संग्रह विनसर देहरादून से प्रकाशित). उनके दो कविता संग्रह – घाम-बरखा-छैल, गाणि गिणी गीणि धरीं भी छपे हैं. वे एक दर्जन से अधिक विभागीय पत्रिकाओं में लेखन-सम्पादन और आकाशवाणी नजीबाबाद से गीत-कविता का प्रसारण कर चुके हैं.
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