नैनीताल के रहने वाले स्टेट और नेशनल लेवल के हॉकी खिलाड़ी राजेंद्र सिंह ठठोला का जीवन ऐसी त्रासदी की भेंट रहा जिसकी कोई अपने दुश्मनों के लिए भी दुआ नहीं करता. ( सिस्टम की क्रूरता और बेपरवाही पर गंभीर सवाल उठाती है (Rajendra Singh Thathola Hockey Player Dies in Nainital)
कल नैनीताल में दिल का दौरा पड़ने से जब उनका आकस्मिक निधन हुआ तो वे कुल 52 साल के थे. बीस साल पहले यानी वर्ष 1999 में टीम के साथ इलाहाबाद से रामपुर जाते हुए वे एक ट्रेन दुर्घटना के शिकार हो गए और पैर कट जाने के कारण चलने-फिरने से लाचार हो गये. (Rajendra Singh Thathola Hockey Player Dies in Nainital)
नैनीताल का हॉकी के साथ पुराना सम्बन्ध रहा है. यहाँ हर साल खेला जाने वाला ट्रेड्स कप भारत का सबसे पुराना हॉकी टूर्नामेंट है. इसी शहर ने देश को सैयद अली और राजेन्द्र सिंह नेगी जैसे ओलिम्पियन हॉकी खिलाड़ी दिए हैं. यहाँ की जनता के बीच भी यह बहुत लोकप्रिय खेल है. इसी लोकप्रियता का परिणाम रहा होगा जब युवा राजेन्द्र सिंह ठठोला ने हॉकी स्टिक उठाई होगी.
पैर कट जाने के बाद उनका खेलना बंद हो गया लेकिन हॉकी से उनका लगाव ज़रा भी कम नहीं हुआ. नैनीताल के फ्लैट्स पर कोई हॉकी मैच चल रहा हो और वे उसे देखने वहां न पहुंचे हों, ऐसा हो नहीं सकता था.
उस भीषण दुर्घटना के बाद सरकारों से उम्मीद की जाती थी कि एक प्रतिभावान खिलाड़ी की संकट के समय हर संभव मदद करती लेकिन उनके जानने वालों का कहना है कि ऐसी किसी भी तरह की मदद कभी नहीं मिली.
स्थानीय खेल प्रेमियों के प्यार और सहयोग से अपना जीवन जीने वाले इस खिलाड़ी ने विवाह नहीं किया. तमाम टूर्नामेंट्स में अपने नाम अनेक मेडल्स कर चुके इस खिलाड़ी के यूं चुपचाप चले जाने की खबर हमारे सिस्टम की क्रूरता और बेपरवाही पर गंभीर सवाल उठाती है.
छः भाई-बहनों के परिवार में तीसरे नंबर के राजेन्द्र सिंह ठठोला की माताजी का भी हाल ही में निधन हुआ था. अब उनके जाने से नैनीताल के खेलप्रेमी स्तब्ध रह गए हैं. ( Rajendra Singh Thathola Hockey Player Dies in Nainital )
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