भारत के बहुत कम ऐसे राज्य हैं जिनके पास दो राजभवन हैं, उत्तराखण्ड उनमें से एक है. उत्तराखंड का एक राजभवन देहरादून में है और दूसरा राजभवन नैनीताल में है. (Raj Bhawan Nainital Uttarakhand)
नैनीताल आज़ादी से पहले उस समय के संयुक्त प्रान्त की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था. नैनीताल स्थित राजभवन स्काटिश शैली में बना है. इस भवन को गवर्नमेंट हाउस के नाम से जाना जाता था. (Raj Bhawan Nainital Uttarakhand)
आज़ादी मिलने के बाद गवर्नमेंट हाउस का नाम बदलकर राजभवन कर दिया गया. राजभवन नैनीताल का शिलान्यास 27 अप्रैल 1897 को किया गया था. यह दो साल में बन कर तैयार हुआ था. यह इमारत गोथिक भवन निर्माण शिल्प के आधार पर यूरोपीय शैली में निर्मित है.
नैनीताल स्थित राजभवन के डिजायनर अर्किटेक्ट स्टीवेन्स और अधिशासी अभियन्ता एफ.ओ.डब्लू. औरेटेल थे. इस इमारत के निर्माण में विभिन्न प्रजातियों के टीक के साथ ही मुख्यतः बर्मा टीक का उपयोग किया गया.
निर्माण कार्य में स्थानीय पत्थरों का प्रयोग करके इस इमारत को एशलर फिनिंसिंग के साथ बनाया गया है. ब्रिटिश काल में कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति, जो सभी संयुक्त प्रान्त के गर्वनर थे, इस इमारत में रह चुके हैं, उनके नाम हैं- सर एण्टोनी मैक डोनाल्ड, सर जेम्स, सर जान मिस्टन, सर हरबर्ट बटलर आदि.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश की प्रथम राज्यपाल सरोजनी नायडू इस ऐतिहासिक इमारत की प्रथम आवासी बनी. राजभवन परिसर के चारों ओर 160 एकड़ में वनाच्छादित भूमि है, जिसमें विभिन्न प्रकार के वनस्पति प्रजाति तथा पशु-पक्षी पाये जाते हैं.
राजभवन नैनीताल का 45 एकड़ क्षेत्रफल में फैला अपना एक गोल्फ कोर्स है. यह गोल्फ कोर्स 1936 में बनाया गया. भारत के प्राचीनतम गोल्फ कोर्स में नैनीताल राजभवन का गोल्फकोर्स भी शामिल है और भारतीय गोल्फ यूनियन (आई.जी.यू.) से सम्बद्ध है. पर्यटक यहां मामूली शुल्क (ग्रीन फीस) चुकाकर करके गोल्फ खेलने का आनन्द उठा सकते हैं. इस गोल्फकोर्स के पास ही उन्नीसवीं सदी के मशहूर सुल्ताना डाकू की एक गुफा भी बतायी जाती है.
नैनीताल में स्थित राजभवन और वहां मौजूद सुल्ताना डाकू की गुफा की तस्वीरें देखिये :
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फोटोग्राफर अमित साह ने बीते कुछ वर्षों में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. नैनीताल के ही सीआरएसटी इंटर कॉलेज और उसके बाद डीएसबी कैंपस से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अमित ने बी. कॉम. और एम.ए. की डिग्रियां हासिल कीं. फोटोग्राफी करते हुए उन्हें अभी कोई पांच साल ही बीते हैं.
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