अल्मोड़ा के सुनार मोहल्ले में एक पुरानी दुकान है – श्याम लाल हीरा लाल एंड संस. इस दुकान की स्थापना 1885 में हुई थी. श्याम लाल साह जो मोती लाल साह के पुत्र थे, के तीन बेटे हुए – हीरा लाल साह, प्यारे लाल और धन्नी लाल साह. (Pyara Pani of Almora)
अल्मोड़ा की सबसे पुरानी इस दुकान में कपड़ों का व्यापार हुआ करता था जो अब भी बदस्तूर जारी है. फिलहाल इसका संचालन धन्नी लाल साह के पौत्र और प्रपौत्र, क्रमशः सांवल साह और हर्षवर्धन साह करते हैं. (Pyara Pani of Almora)
इसी अल्मोड़ा के सैलाखोला मोहल्ले में रायबहादुर बद्री दत्त जोशी के भवन के ऊपर की तरफ जाएं तो पानी की एक टंकी आपका ध्यान आकर्षित करती है. इस साफ़ सुथरी टंकी के बाहर लिखा हुआ है – प्यारा पानी, 1955. यदि इतिहास को जानने में आपकी थोड़ी भी दिलचस्पी हो तो आप अवश्य जानना चाहेंगे कि इस नाम का मतलब क्या है.
प्यारा पानी का इतिहास जानने के लिए आपको श्याम लाल हीरा लाल एंड संस जाना होगा. जैसा कि ऊपर बताया गया श्याम लाल साह के तीन बेटों में से एक का नाम प्यारे लाल साह था. 1962 में दिवंगत हुए प्यारे लाल साह निसंतान थे. चूंकि उनका परिवार खासा संपन्न था, वे चाहते थे कि उनके नाम को याद रखने के लिए सार्वजानिक सुविधा का कोई कार्य किया जाना चाहिए सो वर्ष 1955 में अल्मोड़ा की जनता की सुविधा के लिए इस टंकी का निर्माण कराया गया और इसे एक खूबसूरत सा नाम दे दिया गया – प्यारा पानी, प्यारे लाल धन्नी लाल साह खोली भितेरिया, अल्मोड़ा 1955. पानी की सतत तंगी से परेशान रहने वाले अल्मोड़ा के लोगों के लिए यह एक बेहतरीन उपहार था.
साह परिवार के इतिहास को आगे बढ़ाने के क्रम में बताना जरुरी है कि धन्नी लाल साह के दो बेटे हुए – बच्ची लाल साह और जवाहर लाल साह. जवाहर लाल साह को अल्मोड़ा का पहला ऐसा होटल बनाने का श्रेय जाता है जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक रहने आया करते थे. ऊपर लगा धन्नी लाल साह का स्केच भी एक अंग्रेज पर्यटक ने बनाया था. इस स्केच को बनाकर उसने होटल के किराए की भरपाई की थी जिसे देने के लिए उसके पास पैसे नहीं बचे थे. इस होटल का नाम था – कैलाश होटल. जवाहर लाल साह की मृत्यु 2017 में हुई.
अनेक व्यवसायों से जुड़े इस प्रतिष्ठित परिवार के पास तमाम ऐसी चीजें रखी हुई हैं जिनके साथ अल्मोड़ा और कुमाऊँ के इतिहास के कई तार जुड़े हुए हैं. मिसाल के तौर पर 1929 में जब गांधीजी संगठन के लिए धन एकत्र करने कुमाऊं की यात्रा पर आये थे तो लोगों ने उन्हें धन के अलावा सोने-चांदी की वस्तुएं भी दी थीं. इन वस्तुओं की सार्वजनिक नीलामी होती थी. साह परिवार के पास एक चांदी का लोटा रखा हुआ है जिसे उस नीलामी में ग्यारह रुपये में खरीदा गया था.
प्यारा पानी के उद्गम की खोज करने पर हमें बारहा यह अहसास हुआ कि अल्मोड़ा शहर के एक-एक पुराने घर में हमारे इतिहास के अनेक पृष्ठ छिपे हुए धरे हैं. इन्हें बाहर लाया जाना चाहिए क्योंकि वे हमारी सामूहिक-साझी विरासत का हिस्सा हैं.
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