बीते दिन सोर घाटी के 22 गावों के लोग सड़कों पर थे. हाथों में निशान लिये ढोल दमाऊ के साथ निकले लोग अपने लोक देवता के डोले के लिए रास्ता मांग रहे हैं जिसे पिथौरागढ़ स्थित मिलिट्री इंजीनियर सर्विस (एमईएस) के अधिकारियों ने बंद कर दिया है.
(Protest for Chaitol Parikrama Way)
कलेक्ट्रेट परिसर में जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया गया. जिलाधिकारी द्वारा जन भावनाओं के अनुरुप सेना से सकारात्मक बातचीत का हवाला देते हुए चैतोल मार्ग को निर्बाध चलने देने का भरोसा दिया. इससे दो दिन पूर्व जिलाधिकारी को ग्रामीणों द्वारा एक ज्ञापन सौंपा जा चुका था.
अमर उजाला की एक खबर के अनुसार जिस जमीन की घेराबंदी कर आज ग्रामीणों को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है वह इन्हीं ग्रामीणों की है. देश को सर्वोपरि मानने वाले सोर घाटी के ग्रामीणों ने ही एमईएस को यह जमीन दी है. खबर के अनुसार एमईएस के अधिकारी चौतोल परिक्रमा के लिए अपनी शर्तों के अनुसार केवल 100 लोगों को ही प्रवेश देने पर राजी हुए हैं.
(Protest for Chaitol Parikrama Way)
इस जुलूस में कांग्रेस और भाजपा के कई स्थानीय नेता साथ में देखे गये. इस मुद्दे पर सभी स्थानीय नेताओं अपनी पार्टियों के मतभेद को दरकिनार कर ग्रामीणों की मांग को पूरी तरह ज़ायज ठहराया और जल्द से जल्द चौतोल परिक्रमा मार्ग से अवरोध हटाने की बात कही.
इससे पहले भी सोर घाटी में ऐसे कई मौके आये हैं जब ग्रामीणों ने अपने चारागाह और धुरे हंसते-हंसते सेना के नाम किये हैं. सेना के लिये ग्रामीणों ने पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर अपने अधिकार छोड़ दिये. यह सोर घाटी के ग्रामीण ही हैं जिन्होंने सेना के लिए अपनी जमीन पर हक-हकूक बिना सवाल छोड़े हैं. आज यह ग्रामीणों का दुर्भाग्य है कि उनके लोक देवताओं के मार्ग भी उनसे छिने जा रहे हैं.
(Protest for Chaitol Parikrama Way)
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