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2 Comments

  1. Kamal Kumar lakhera

    सरकार निरंकुश हो गई है ।

  2. गिरीश चन्द्र ब्रजवासी

    राजीव पांडे जी ने भागते युवक की व्यथा के बहाने व्यवस्था पर करारी चोट की है। मैं उनके संज्ञान में लाना चाहूँगा कि कुछ दशक पहले तक युवा पहाड़ से भिन्न-भिन्न कारणों से भाग जाते थे। फिर कुछ युवा घर वालों की रज़ामंदी से रोजगार की तलाश में भागने लगे। एक समय ऐसा भी आया कि अच्छी नौकरी मिल जाने की खुशी के साथ भागे। इस तरह महानगरों में अबतक विभिन्न कारणों से भागे लोगों की अच्छी खासी संख्या हो चुकी है, जिन्हें अब प्रवासी उत्तराखंडी के नाम से जाना जाता है।

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