हैडलाइन्स

हल्द्वानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में लोक निर्माण विभाग के 4.18 करोड़ रुपए खर्च हुये

बीते दिनों कुमाऊं के हल्द्वानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल रैली का आयोजन किया गया. इस रैली में उत्तराखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री समेत राज्य में भाजपा के सभी बड़े नेता मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस रैली के बाद यह कयास लगाये जा रहे हैं कि राज्य में एकबार फिर मोदी फैक्टर के चलते भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रहेगी.
(PM Rally in Haldwani)

इस रैली के लिये हल्द्वानी शहर को सजाया गया था. राज्य की भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी. प्राप्त खबरों के अनुसार सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत में करोड़ों रूपये खर्च किये. प्राप्त ख़बरों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की रैली में लोक निर्माण विभाग द्वारा मंच, सड़क और दीवार बनाने में करीब करीब 4.18 करोड़ रुपए खर्च किए.

मंच बैरिकेडिंग पब्लिक एड्रेस सिस्टम एलईडी डिस्प्ले जनरेटर साउंड सिस्टम पीएमओ सीएमओ गवर्नर ग्रीन रूम आदि में लोक निर्माण विभाग ने 3.25 करोड रुपए खर्च किये. लोक निर्माण विभाग ने आर्मी कैंट से लेकर रैली के सभा स्थल तक सड़क बनाने और डिवाइडरों की पुताई में 88 लाख रुपए खर्च किए.
(PM Rally in Haldwani)

इसके अलावा दीवारों की पुताई इत्यादि में नगर निगम ने भी खासा बजट खर्च किया. गमले, दीवारों की पुताई टंकी पुताई आदि में लाखों रुपए का खर्च नगर निगम प्राधिकरण द्वारा किया गया. अब ख़बर आ रही है कि प्रधानमंत्री के स्वागत में लगे गमले चोरी हो गये हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैली से पहले नैनीताल रोड पर प्राधिकरण की ओर से डिवाइडर पर लगाए गए 16 गमले चोरी होने की ख़बर आ रही है.  कहा जा रहा है कि  लगाये गये गमलों में 16 गमले चोरी हो गए हैं जिसकी तहरीर सहायक नगर आयुक्त द्वारा  से पुलिस को सौंपी गई है. जिला विकास प्राधिकरण ने नैनीताल रोड और पीएम के मंच के सामने लगाये गये 300 गमलों की कीमत 3.5 लाख रुपए बताई जा रही है.
(PM Rally in Haldwani)

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • वो आए हमारे नगर में, खुदा का करिश्मा ।
    कभी बेरोजगारों को, कभी रत्नजड़ित मुकुट को देखते हैं ।

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago