समाज

उतरैणी कौतिक बागेश्वर से एक्सक्लूसिव तस्वीरें

सरयू और गोमती के तट पर लगता है उत्तरायणी कौतिक. इस कौतिक में शामिल होते हैं आस-पास के सैकड़ों गांवों के लोग शामिल होते हैं. क्या बच्चे क्या बूढ़े, क्या स्त्री क्या पुरुष पुरुष, क्या युवक क्या युवतियां सबको इस ऐतिहासिक महत्त्व वाले कौतिक का बेसब्री से इंतजार रहता है. Uttarayani Mela Bageshwar 2020

हर साल की तरह इस साल भी बागेश्वर में सरयू गोमती के तट पर लगा है बागेश्वर का उतरैणी कौतिक. स्थानीय भाषा में उत्तरायण को उतरैणी और मेले को कौतिक कहा जाता है.

आज भी मेले में न हुडके की थाप में कोई अंतर है न वहां गाई जाने वाली न्यौली की मिठास कोई कमी आई है. एक समय ऐसा था जब बागेश्वर में जब एक बार गीत संगीत शुरू होता तो अगले दिन सुबह चिड़िया की चहचाहट के साथ ही खत्म होता. स्पीकर और माइक के इस दौर में जरुर लोक के उस मूल स्वरूप की कमी खलती है. Uttarayani Mela Bageshwar 2020

इस वर्ष बागेश्वर मेले के मुख्य आकर्षण कुमाऊं के ढोल- दमवा, नगाड़े, तुतुरी रणसिंग, कुमाऊं रेजिमेंट का बैंड, मदकोट के विशाल नगाड़े, कुमाऊं के झोड़े और चांचरी, दानपुर के रिंगाल के मोस्टे, डोके, डलिया, कुमाऊनी छलिया नृत्य आदि थे.

कुली बेगार आन्दोलन के शताब्दी वर्ष के रूप में आयोजित यह मेला 14 जनवरी से 21 जनवरी तक लगेगा.

बागेश्वर उत्तरायणी कौतिक की कुछ शानदार तस्वीरें देखिये. सभी तस्वीरें नीरज सिंह पांगती ने ली हैं. Uttarayani Mela Bageshwar 2020

एंकरिंग, कविता, फोटोग्राफी और थिएटर का शौक रखने वाले नीरज सिंह पाँगती अल्मोड़ा के रहने वाले हैं.

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

1 week ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

1 week ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

2 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

2 weeks ago