उत्तराखंड में इन दिनों नन्दादेवी मेला बड़े ही उत्साह और उल्लास से मनाया जा रहा है. हिमालय की चोटियों पर रहने वाली नन्दा उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मानी जाती है. गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल दोनों में ही इसे कुलदेवी का दर्जा प्राप्त है.
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में होने वाला यह आयोजन पूरे उत्तराखंड में होता है. कहीं नन्दा को पार्वती की बहन माना जाता है तो कहीं स्वयं पार्वती का अवतार माना जाता है.
नैनीताल, अल्मोड़ा, कोटमन्या, भवाली, बागेश्वर, रानीखेत, चम्पावत व पूरे गढ़वाल में नन्दादेवी के मेलों का आयोजन होता है.
नैनीताल में भी कल से नन्दादेवी का मेला शुरू हो चुका है. नैनीताल में नन्दा देवी का मेला सन 1918 से मानाया जाता है.
इस दिन यहां नन्दा देवी की मूर्तियां बनायी जाती हैं. मूर्तियां बनाने के लिये हल्द्वानी के गौलापार से केले के पेड़ लाये जाते हैं. नन्दा देवी की पूजा के लिये पुजारी ज्यूलिकोट से आते हैं.
मूर्तियों का निर्माण नैनीताल के स्थानीय लोग करते हैं. नन्दा देवी की मूर्ति को नन्दा देवी पर्वत जैसा आकार दिया जाता है. अष्टमी के दिन इनको मंदिर में लाया जाता है.
मंदिर में सभी श्रद्धालु आकर दर्शन करते हैं. इस वर्ष 3 सितम्बर से नैनीताल में मेले का आयोजन किया जा रहा है. मेले की तस्वीरें नैनीताल में रहने वाले युवा फोटोग्राफर अमित साह ने ली हैं.
देखिये अमित साह द्वारा लिये गये फोटोग्राफ्स :
फोटोग्राफर अमित साह ने बीते कुछ वर्षों में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है. नैनीताल के ही सीआरएसटी इंटर कॉलेज और उसके बाद डीएसबी कैंपस से अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए अमित ने बी. कॉम. और एम.ए. की डिग्रियां हासिल कीं. फोटोग्राफी करते हुए उन्हें अभी कोई पांच साल ही बीते हैं.
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