सुधीर कुमार

सीमांत गाँव वाण से कनोल के रास्ते की कुछ तस्वीरें

उत्तराखण्ड के चमोली जिले में वाण गाँव एक जाना-पहचाना नाम है. वाण से बेदिनी बुग्याल और रूपकुंड के लिए पैदल रास्ता शुरू होता है. यह वाण से शुरू होने वाला एक लोकप्रिय और जाना-पहचाना ट्रैक है, लेकिन वाण गाँव से कई और रास्ते भी आपको हिमालय की अद्भुत दुनिया में ले जाते हैं. ऐसा ही एक रास्ता वाण से कनोल गाँव की तरफ जाता है. लगभग 8 किमी का यह रास्ता अप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज है. वाण से चलने के बाद जैसे आपके सामने बचपन में पढ़ी गयी किसी किताब के पन्ने पलटने शुरू हो जाते हैं. प्रकृति के साथ-साथ निश्छल पहाड़ी लोग जीवन के सारतत्व से आपका परिचय करवाते है.

दो साल पहले मुझे एक बारात में वाण से कनोल जाने का मौका मिला. मैंने बारात के साथ चलना जरूर शुरू किया मगर रास्ते के मोहपाश ने ऐसा बाँधा कि निगाहें उसी में उलझकर रह गयीं. बारात का पीछा करता हुआ विवाह स्थल तक पहुंचा तो वहां दाल-भात की दावत चालू थी. इतनी सादगी भरी शादी कि दाल-भात और सूजी के हलवे के अलावा कोई व्यंजन जायका और पेट खराब करने के लिए था ही नहीं. यहाँ शहरों के सेठ शादी की दावत में धक्कमपेल मचा देते हैं जैसे उन्हें खाना नसीब नहीं होता हो और आज भी अगर देर की तो हाथ से निकल ही जायेगा. आठ किमी पहाड़ी रास्ते पर चलने के बाद इस दाल-भात का स्वाद और ज्यादा अद्भुत हो जाना लाजमी था.

शादी के बहाने किये इस सफ़र की कुछ तस्वीरें भी ले पाया. बेमौसमी बर्फबारी ने विवाह समारोह को और ज्यादा रूहानी बना दिया था.

सुधीर कुमार हल्द्वानी में रहते हैं. लम्बे समय तक मीडिया से जुड़े सुधीर पाक कला के भी जानकार हैं और इस कार्य को पेशे के तौर पर भी अपना चुके हैं. समाज के प्रत्येक पहलू पर उनकी बेबाक कलम चलती रही है. काफल ट्री टीम के अभिन्न सहयोगी.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

कानून के दरवाजे पर : फ़्रेंज़ काफ़्का की कहानी

-अनुवाद : सुकेश साहनी कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है. उस देश का एक…

19 hours ago

अमृता प्रीतम की कहानी : जंगली बूटी

अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की…

3 days ago

अंतिम प्यार : रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी

आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे…

4 days ago

माँ का सिलबट्टे से प्रेम

स्त्री अपने घर के वृत्त में ही परिवर्तन के चाक पर घूमती रहती है. वह…

5 days ago

‘राजुला मालूशाही’ ख्वाबों में बनी एक प्रेम कहानी

कोक स्टूडियो में, कमला देवी, नेहा कक्कड़ और नितेश बिष्ट (हुड़का) की बंदगी में कुमाऊं…

7 days ago

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

1 week ago