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4 Comments

  1. Nimmi yadu

    अप्रतिम रचना, श्री लाल शुक्ल की छवि दिख रही है रचनाकार में, अनन्त शुभकामनाए

  2. मनीष कुमार

    वर्तमान समय में देश की शिक्षा पद्धति में पीएचडी की यही दशा है।
    आपने सटीक एवं चुटकीला व्यंग्य किया है जो कि काबिले-तारीफ है 👍

  3. AKANKSHA

    I like your article, it’s showing the reality of PHD. I’m also PhD student. awesome article 👍👍👍

  4. Pragya Dwivedi

    एक अरसे बाद कोई व्यंग्य पढ़ा। बुद्धि को काफी पोषण मिला।आपकी रचना शैली सुंदर व मन को आनंदित करने वाली है।आगे भी ऐसी ही रचनाएं हमें पढ़ने को मिलती रहें ऐसी उम्मीद है। शुभकामनाएं

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