1 दिसंबर 1924 को राजस्थान में पैदा हुए मेजर शैतान सिंह भाटी ने स्नातक की डिग्री लेने के बाद जोधपुर राज्य की सेना में नौकरी शुरू की थी लेकिन जोधपुर रियासत के भारत में विलय के बाद उनका तबादला कुमाऊं रेजीमेंट में कर दिया गया था. (Paramvir Chakra Major Shaitan Singh Bhati)
1962 के भारत चीन युद्ध के समय कुमाऊं रेजीमेंट की 13वीं बटालियन को जम्मू कश्मीर के लेह जिले के चुशूल सेक्टर में तैनात की गयी थी. रेजांग ला नाम की जगह पर मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में तैनात इस टुकड़ी को चार्ली कम्पनी का नाम दिया गया था.
18 नवम्बर 1962 की भोर चीन के तकरीबन 1500 सैनिकों का आक्रमण हुआ. सामने से कई बार असफल आक्रमण कर चुकने के बाद चीनियों ने पीछे से हमला करने का फैसला किया था.
भारतीय सैनिकों की तादाद उस समय मात्र 120 थी जबकि चीन की फ़ौज के 5000 सैनिक थे. मेजर शैतान सिंह ने ज़रा भी न घबराते हुए एक एक पोस्ट को बार-बार अलग-अलग तरीके से पुनर्व्यवस्थित किया और अपने सैनिकों की हिम्मत बढाते रहे. (Paramvir Chakra Major Shaitan Singh Bhati)
माना जाता है कि उनके कुशल नेतृत्व का परिणाम था कि चीन के लगभग 1300 सैनिक मारे गए. भारतीय सेना का गोला-बारूद ख़त्म होने तक ये सैनिक लड़ते रहे और दुश्मन का सफायाकारने में लगे रहे.
भारत की गुप्तचर एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी आर. के. यादव ने अपनी किताब ‘मिशन आर. एंड डब्लू.’ में रेजांग ला की इस लड़ाई का विस्तृत विवरण दिया है. उन्होंने बताया है कि कैसे एक सैनिक सिंहराम ने, जो कि कुश्ती कला में प्रवीण था, निहत्थे ही अनेक चीनियों को मौत के घाट उतारा.
इन वीर 120 सिपाहियों में से 114 वीरगति को प्राप्त हुए जबकि पांच को चीनी सेना ने बंदी बना लिया. लगातार कम होते सैनिकों की संख्या के बावजूद लगातार लड़ते हुए मेजर शैतान सिंह बहुत बुरी तरह घायल हो गए थे. उनके एक वफादार सैनिक ने घायल मेजर को शत्रु के हाथ न पड़ने देने के उद्देश्य से उन्हें एक सुरक्षित जगह पर लिटाया लेकिन वहां उनके शरीर ने प्राण त्याग दिए. (Paramvir Chakra Major Shaitan Singh Bhati)
हालांकि भारत युद्ध की इस भिड़ंत में पराजित हुआ, मेजर भाटी और उनके सैनिकों के अपूर्व साहस और बलिदान को आज भी याद रखा जाता है.
मेजर शैतान सिंह भाटी को उनकी वीरता के लिए मृत्योपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. कुमाऊं रेजीमेंट से उनके अलावा मेजर सोमनाथ को भी इस उच्चतम सैन्य सम्मान से नवाजा गया था.
-काफल ट्री डेस्क
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