जाड़ों का मौसम हो तो अक्सर हमें गर्म तासीर वाली चीजों की आवश्यकता महसूस होने लगती है. विशेष रूप से नवप्रसूता महिलाओं के लिए पंजीरी एक ऐसा व्यंजन है जो उनके शरीर को न केवल ठण्ड से बचाता है, बल्कि इनमें शामिल की जाने वाली सामग्री उनके मांसपेशियों को ताकत देने, हड्डियों को मजबूत करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा खोई हुई ताकत को पुनः अर्जित करने में कारगर बतायी गयी हैं.
(Panjiri Recipe Uttarakhand)
पहाड़ में एक दौर ऐसा भी था जब सामान्य परिवारों के लोग नवप्रसूता को गुड़झोई (आटे और गुड़ के मिश्रण से बना तरल हलवा) खिलाकर ऐसा माना जाता था कि इससे उनका ठण्ड से बचाव होगा तब भी कुछ सम्पन्न परिवारों में पंजीरी बनाई जाती थी. आज बाजार में कई न्यूट्रीशन प्रोडक्ट तथा हेल्थ सप्लीमेन्ट आ चुके हैं लेकिन दादी-नानी के जमाने से प्रचलित पंजीरी आज भी हर नवप्रसूता के लिए पहली पसन्द है.
त्योहारों विशेष रूप से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी पंजीरी के भोग लगाने की परम्परा है लेकिन उसको बनाने की विधि थोड़ा अलग है. पंजीरी एक ऐसा व्यंजन है जिसके घटक तो बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं लेकिन रेडीमेड पंजरी कुछ गिने-चुने ऑनलाइन स्टोर्स के अलावा दुकानों पर उपलब्ध नहीं होती. ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध पंजीरी महंगी है जो 900 रूपये से 1000 रूपये प्रति किलों पर मिलती है और इसकी गुणवत्ता पर भी उतना यकीन नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे बनाने का तरीका जानना प्रत्येक गृहिणी के लिए आवश्यक है. आइये! जानते हैं घर पर पंजरी कैसे बनायें ?
पंजरी बनाने की विधि जानने से पहले जानें कि हमें किस किस सामग्री की आवश्यकता होगी? हालांकि इन घटकों में जरूरी नहीं कि सारी वस्तुऐं हों तभी पजरी बन पायेगी. कुछ वस्तुओं के अभाव में भी पंजरी बनायी जा सकती है, बात वही आती है ’जितना गुड़ डालोगे उतनी मिठास बढ़ेगी’ यानि उसकी गुणवत्ता उतनी अधिक होगी. विभिन्न घटकों की मात्रा में भी इसी प्रकार थोड़ा-बहुत हेरफेर किया जा सकता है. पंजरी बनाने के लिए सर्वप्रथम निम्न सामग्री यदि आपके कीचन में उपलब्ध हो तो ठीक है, अन्यथा बाजार से खरीद कर ले आयें.
(Panjiri Recipe Uttarakhand)
1- अजवाइन 200 ग्राम
2- हल्दी 100 ग्राम
3-सोंठ पाउडर 100 ग्राम
4- खाने का गोंद 100 ग्राम
5- घी 500 ग्राम
7- खस-खस 100 ग्राम
8- चिरौंजी 50 ग्राम
9- कमर कस 50 ग्राम
10- मखाने 200 ग्राम
11-काजू 100 ग्राम
12- किसमिस 100 ग्राम
13 – बादाम 200 ग्राम
14- चीनी बूरा 500 ग्राम
15- कसा हुआ गोला एक अथवा दो स्वादानुसार
( चाहें तो इसमें 100 ग्राम अखरोट गिरी, 100 ग्राम पिस्ता, 5-7 दाने जायफल और फ्लेवर के लिए आधा चम्मच छोटी इलायची का पावडर भी डाल सकते हैं.)
अजवाइन, चिरौंजी, मखाने खसखस को अच्छी तरह बीनकर धूप में सुखा लंे, ताकि नमी न रहे। इनके सूख जाने पर कढ़ाई में 100 ग्राम घी गरम करें और उसमें गोंद को तल लें, तलने पर गोंद फूलकर लगभग दुगुनी हो जायेगा. पूरी तरह फूलने पर गोंद को किसी अलग बर्तन पर उतार लें. इसके बाद आपके पास दो विकल्प हैं या तो आप हर सामग्री को बारी-बारी से हल्की आंच में घी में भूनते चले आयें और फिर एक साथग्राइण्ड कर लें अथवा सभी सामग्री को साथ ग्राइण्ड कर बाद में एक साथ घी में भूनें. तब भी गोंद आप पहले अलग से ही भूनें. अलग-अलग भूनने से ज्यादा सुविधाजनक एक साथ ग्राइण्ड कर भूनना ज्यादा सुविधा जनक रहता है. यहॉ पर एक सलाह यह होगी कि काजू, बादाम आदि, जिन चीजांे में तेल की मात्रा ज्यादा होती है, ग्राइण्ड करने में दिक्कत करते हैं, इसलिए, अजवाइन, सौंठ पाउडर आदि शुष्क सामग्री के साथ मिलाकर पीसें तथा तला हुआ खाने का गोंद साथ मिलाकर पीस लें और इनको एक ही बर्तन में रखते जायें.
(Panjiri Recipe Uttarakhand)
जब सारी सामग्री ग्राइण्ड हो जायें तो एक अथवा दो गोले कद्दूकस से कस लें. आपकी पूरी सामग्री तैयार हो चुकी है. अब बड़ी कढ़ाही चूल्हें पर चढा़कर इसमें लगभग 400 ग्राम देसी घी गर्म करें. घी गर्म होने पर ग्राइण्ड किया हुआ सारा मसाला कढ़ाही में डालकर हल्की आंच में लगभग आधे घण्टे तक भूनें. चुटकी पर भुना हुआ मसाला जब पकड़ने पर हाथ जलने लगे तो समझें अच्छी तरह भुन चुका है. अब इसमें कसा हुआ गोला डाल दें तथा एक-दो मिनट हल्का भूनने के बाद 500 ग्राम चीनी डालकर करछी चलाते रहें. चीनी डालने के बाद जलने की संभावना ज्यादा रहती है इसलिए जल्दी-जल्दी करछी चलायें और जब चीनी सारे मसाले में बराबर मिक्स हो जाय तो कढ़ाही को जमीन पर उतार दें. कढ़ाही गर्म होने के कारण अब भी तले पर जलने की संभावना रहती है. इसलिए तब तक करछी चलाते रहें जब तक सामग्री थोड़ी ठण्डी न हो जाय. आपकी पंजरी बनकर तैयार हो गयी है.
पूरी तरह ठण्डी होने पर इसे एअरटाइट डिब्बों में बन्द कर रख दें. आप 3-4 महीनों तक इसका आराम से उपयोग कर पायेंगे. यदि आप चाहें तो इसी तैयार पंजरी को दो हिस्सों में बांट दें. एक हिस्सा पावडर के रूप डिब्बे में बन्द कर रख दें. दूसरे बचे हिस्से में लगभग 50 एमएल बिना पानी वाला शुद्ध दूध डालकर चूल्हे पर रखकर पका लें. जब ये लड्डू बांधने लायक गाड़ा हो जाय तो एक गहरी थाली के तले में घी लगाकर उसे थाली में उड़ेलकर पल्टे के सहारे बराबर फैला दें और ऊपर से काजू व बादाम के टुकड़े तथा किसमिश गार्निश कर पल्टे से हल्का दबा दें ताकि उसमें अच्छी तरह बैठ जायें. ठण्डा होने पर फ्रीज में रख दें. एक-दो घण्टे बाद बाद जब अच्छी तरह जम जाय तो चाकू की सहायता से बर्फी के आकार में काटकर रख दें. चाहें तो इसी तरह आप इसके लड्डू भी बना सकते हैं. लेकिन गीली पंजरी अधिकतम 15 से 20 तक ही प्रयोग में लाई जा सकती है.
(Panjiri Recipe Uttarakhand)
– भुवन चन्द्र पन्त
भवाली में रहने वाले भुवन चन्द्र पन्त ने वर्ष 2014 तक नैनीताल के भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय में 34 वर्षों तक सेवा दी है. आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से उनकी कवितायें प्रसारित हो चुकी हैं.
इसे भी पढ़ें: शहादत के पचास वर्ष और वीरांगना की संघर्षपूर्ण दास्तां
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
View Comments
Ya gola kya hai
GOLA MEANS DRY COCONUT (KHOPA)