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इन्हीं तस्वीरों जैसा धुंधला है पंचेश्वर जलागम का भविष्य

महाकाली और सरयू के संगम पर बसा पंचेश्वर पिछले लम्बे समय से खबरों में है. एक विशाल समाज और हजारों वर्ष पुराने धरोहर के बावजूद आज महाकाली और सरयू का संगम पंचेश्वर बांध के कारण ख़बरों का हिस्सा बना हुआ है. महाकाली संधि के तहत भारत और नेपाल सरकार के सहयोग से बनने वाला यह बांध भारत का सबसे बड़ा बाँध होगा. सरकार का दावा है कि सब कुछ डूबने के बाद वह पर्यटकों को सबमरीन से इस क्षेत्र की धरोहर और संस्कृति को दिखायेगी. प्रो. मृगेश पाण्डे ने बांध से प्रभावित होने वाले सभी क्षेत्रों की यह तस्वीरें तीन साल पहले ली हैं. अपनी तस्वीरों में प्रो. मृगेश पाण्डे पंचेश्वर बांध से प्रभावित होने वाले इन क्षेत्रों के माध्यम से पंचेश्वर जलागम का धुंधला भविष्य दिखा रहे हैं- सम्पादक

दुर्गम पर्वत -बिखरे घर

सीढ़ीदार खेत और पगडण्डी

दुर्गम भ्योल और बसासत -घास के लूटे केले और बिखरे खेतोँ की हरियाली

काली जलागम इलाके में बसा सिमली गाँव

जमतड़ी व सकुन ग्रामसभा

पंचेश्वर घाटी जल्तुरी से

किल ग्राम -सीमित अवलम्ब क्षेत्र

काली नदी हल्दू से

फसल से लकदक पंचेश्वर घाटी -ग्राम त डे मियां

बलतड़ी से काली नदी

उपजाऊ पंचेश्वर घाटी ग्राम सल्ला

पंचेश्वर घाटी के किनारे बसा ग्राम सिमुआ खेत.

कालीनदी के किनारे बसा सोरियाँ गाँव

सरयू घाटी पंचेश्वर से

क्वीतड़ से बढ़ावे

ग्राम सैल -खूब पैदावार

सब बोकना हुआ

ग्राम भोंर -गेहूं और सरसों -सेरे वाला इलाका

उपज से पहले

उपज के बाद ऊखल कुटाई

पंचेश्वर झूलापुल जो जिला चम्पावत से इस इलाके को जोड़ता है

काली से 5 किलोमीटर ऊंचाई पर बसा शकुन ग्राम

उपजाऊ हल्दू घाटी

चारे हेतु आत्मनिर्भर ग्राम सल्ला -भीमल के पेड़

खेत के काम ग्राम सैल

सड़क से बहुत दूर सल्ला चिंगरी

पंचेश्वर बांध के सवाल पर उदासीनता !

क्या होगा जब बांध बनेगा

नल में है पानी पीने में बास, लुकुड़े छपका लेते हैं

गूल के पानी से प्यास बुझानी है

ग्राम जमराड़ी में पेय जल स्त्रोत

च्यूरा के बीजों से घी निकलने के लिए बीजों को भूनने के बाद ऊखल में कुटाई

साल भर के गुजारे के जतन

बहु उपयोगी वृक्ष च्यूरा

ग्राम सिमलखेत -तमाखू की खेती

घाटी में आम

पौंध लगानी है

ग्राम निसनी – ऐसे हैं हम यहाँ

जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.

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  • आपके चित्रों के द्वारा जो पंचेश्वर घाटी व् आसपास के क्षेत्र को दर्शाया है ,वो वाकई अनुकरणीय व् हकीकत के नजदीक है.मै वही तल्ली पंथ्यूडा का रहने वाला हूं व् मेरा पूरा परिवार अब भी वही रहता है.मै भी आपके काफल ट्री से जुड़ना चाहता हो, कैसे बताएं.
    भवदीय
    परम पंत (parmanand)
    मीडियाप्रभारी रायपुर विधान सभा देहरादून व् टेहरी लोकसभा सोशल मीडिया सहसंयोजक
    Pantpn.ddn@gmail.com
    Whts up 9411169089

  • महोदय
    आपके चित्रों के द्वारा जो पंचेश्वर घाटी व् आसपास के क्षेत्र को दर्शाया है ,वो वाकई अनुकरणीय व् हकीकत के नजदीक है.मै वही रौतगड़ा तड़ैमिया ग्राम सभा का रहने वाला हूं व् मेरा पूरा परिवार अब भी वही रहता है.मै भी आपके काफल ट्री से जुड़ना चाहता हो, कैसे बताएं।
    धन्यवाद्
    भवदीय
    राज चन्द राजा
    S/O श्री-नारायन चन्द राजा
    मोबाईल नम्बर-+91-9458514760

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