वाजिदअली शाह का समय था. लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था. छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, सभी विलासिता में डूबे हुए थे. कोई नृत्य और गान की मजलिस सजाता था , तो कोई अफीम की पीनक ही के मजे लेता था. जीवन के प्रत्येक विभाग में आमोद-प्रमोद को प्राधान्य था. शासन... Read more