यह तस्वीर बद्रीनाथ की है. जिसे जर्मन फोटोग्राफर कर्ट बोएक ने 1892 की अपनी भारत यात्रा के दौरान खींचा था. बोएक ने इस तस्वीर को अपनी किताब में शामिल किया जो साल 1894 में प्रकाशित हुई.
(Old Photos of Badrinath Temple)
अपनी यात्रा के दौरान खींची तस्वीरों की जो किताब बोएक ने निकाली उसमें उसने 20 तस्वीरें शामिल की. यह तस्वीर उस किताब की आखिरी तस्वीर है. बोएक ने तस्वीर के अलावा मंदिर जाने का रास्ता और पूजा पद्धति का भी हल्का जिक्र किया है.
जर्मन भाषा में छपी इस किताब का एक अन्य संस्करण बोएक ने 1927 में भी निकाला था जिसमें उन्होंने कुछ और तस्वीरों को शामिल किया. फिलहाल बोएक द्वारा ली गयी तस्वीर के साथ उसके द्वारा बद्रीनाथ के विषय पर लिखी गयी टीप का अनुवाद पढ़िये :
बद्रीनाथ, हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल है. 3087.8 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह तीर्थस्थल अलकनंदा जो गंगा की एक स्रोत नदी है, पर स्थित है. यह तीर्थस्थल गढ़वाल प्रांत के अंतर्गत आता है. प्रत्येक 12 साल में वहां पर एक तीर्थयात्रा जाती है जिसका रास्ता गंगा किनारे के बीहड़ों से होता जाता है. मैं इस तीर्थयात्रा के रास्ते बद्रीनाथ नहीं आया था. मैं मिलम से होता हुआ तिब्बत सीमा पर स्थित उंटाधुरा ग्लेशियर दर्रे और गिर्थी व धौलीगंगा घाटियों से होता हुआ आया.
(Old Photos of Badrinath Temple)
चित्र में आप आदमियों के पीछे कुछ दूरी पर प्राचीन सुनहरे गुम्बद देख सकते हैं जहां शिव की एक लगभग एक मीटर लम्बी भव्य मूर्ति की पूजा करते हैं. तीर्थयात्रियों को अपने पापों को अलकनंदा ग्लेशियर की जल धाराओं यहां उत्पन्न होने वाले सल्फर वाली जलधाराओं में धोना चाहिये. मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करनी होती है, मंदिर की मूर्ति एवं ब्राह्मणों के लिये चढ़ावा चढ़ाया जाता है. चढ़ावे के बदले मूर्ति को चढ़ाये गये चावल और फूल के साथ गाय के गोबर से बनी पवित्र राख को माथे पर तिलक के लिये दिया जाता है.
बद्रीनाथ मंदिर का क्षेत्र अन्यंत समृद्ध है. मंदिर कार्यालय का मुख्य ब्रह्माण चौली या नंबूरी जाति से सबसे अधिक बोली लगाने वाले को दिया जाता है.
तस्वीर में जो लोग आगे खड़ा आदमी और बीच में ऊन कातता आदमी मूल निवासी भोट राजपूत हैं उनके साथ संगीत के माध्यम से जाने वाले तीर्थयात्रियों का स्वागत करने वाले लोग हैं.
(Old Photos of Badrinath Temple)
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1 Comments
Rajiv Katiyar
Wonderful work !
May it grow and grow .
We may have more stories about non mountainous Uttarakhand also .