नागर विमानन महानिदेशालय ने ड्रोन या दूरस्थ रूप से संचालित विमान के वाणिज्यिक उपयोग हेतु अंतिम दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं. ड्रोन मानवरहित विमानों को कहा जाता है जिसका उपयोग वनों में विशेष वस्तू की निगरानी, आपदा राहत कार्य, फोटोग्राफी आदि में किया जाता है.
ड्रोन पालिसी निजी ड्रोन आपरेटर कृषि स्वास्थ्य आपदा राहत जैसे क्षेत्रों में फोटोग्राफी, सुरक्षा, निगरानी इत्यादि की अनुमति देता है. ड्रोन द्वारा पेलोड की डिलीवरी को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया गया है अतः ड्रोन का प्रयोग ई-कामर्स कम्पनियों या आनलाइन खाद्य प्लेटफार्म द्वारा भोजन या सामान वितरण में नहीं किया जा सकता.
नयी पालिसी के तहत ड्रोन का संचालन केवल दिन के दौरान किया जा सकेगा. ड्रोन की उड़ान मनुष्य की दृश्य रेखा के भीतर तक होगी. आमतौर पर दृश्य रेखा 450 मीटर मानी जाती है. ड्रोन हवाई अड्डे, अन्तराष्ट्रीय सीमा के नजदीक, राज्य सचिवालय परिसरों के नजदीक, तट रेखा के नजदीक, रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों, सैन्य प्रतिष्ठानों तथा राजधानी में विजय चौक के आसपास उड़ान भरने से प्रतिबंधित है.
ड्रोन नियमों के लिए सरकार ने भारतीय आकाश को तीन ज़ोन में विभाजित किया है. रेड ज़ोन में उड़ान वर्जित है. यलो ज़ोन में नियंत्रित उड़ान हो सकती है जबकि ग्रीन ज़ोन उड़ानों की ऑटोमैटिक अनुमति वाला जोन है. इसीप्रकार वजन के अनुसार ड्रोन की पांच श्रेणियां रखी गई हैं : नैनो, माइक्रो, स्माल, मीडियम तथा लार्ज. नैनो तथा एनटीआरओ, एआरसी तथा राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन तथा केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा प्रयुक्त ड्रोन को छोड़कर बाकी सभी श्रेणियों के ड्रोन का पंजीकरण कराना और उड़ान की पूर्वानुमति लेनी जरूरी है. उड़ान अनुमति अनमैन्ड एयरक्राफ्ट आपरेटर परमिट यानी यूएओपी के नाम से मिलेगी.
ड्रोन का लाइसेंस लेने के भी कुछ नियम बनाए गए हैं. जैसे उम्र 18 साल होनी चाहिए, दसवीं क्लास तक पढ़ाई की होनी चाहिए और ड्रोन के लिए अंग्रेजी आनी भी जरूरी है. ड्रोन रेग्युलेशंस-1.0 नाम से जारी यह दिशा निर्देश 1 दिसंबर 2018 से लागू होंगे.
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