क्या आप अपने जीवन को जांच-परखकर बता सकते हैं कि वह खुशहाल है या नहीं. जाहिर है ऐसा करने के लिए आपको कुछ मानक बनाने होंगे अन्यथा आपके लिए यह तय कर पाना बहुत मुश्किल है कि आप असल में एक खुश जीवन जी भी रहे हैं या नहीं. क्योंकि अगर आप एक अच्छी नौकरी करते हैं और आपके पास अपना घर है और आपका पति या पत्नी से बहुत मधुर संबंध है, तो भी यह संभव है कि आप किन्हीं दूसरी वजहों से घुट-घुटकर जी रहे हों. सबसे पहले तो हम यह समझ लें कि खुशहाल होने का अर्थ खुश होना नहीं है.
खुशी बहुत ही क्षणभंगुर चीज है क्योंकि वह आपके मन से जुड़ी है और मन पलक झपकते ही करवट लेकर दूसरा हो जाता है. एक खयाल मन में आया और हम खुश हो गए, एक दूसरा खयाल मन में आया और हम उदास हो गए. खुशहाल होने का संबंध आपके जीवन में आनंद की मौजूदगी है. आनंद खुशी की तरह नहीं. आनंद स्थायी है. अगर आपके जीवन में आनंद है, तो खुशी अपने आप ही बीच-बीच में महसूस होगी, पर दुख कभी नहीं होगा. आनंद में हैं, तो दुख कैसे हो सकता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या निरंतर आनंद में रहा जा सकता है? इसका जवाब है हां. आनंद को स्थायी बनाने के लिए आपको कुछ काम नियमित रूप से करने होंगे. यह ऐसा ही है जैसे घर को साफ रखने के लिए आपको रोज उसकी सफाई करनी पड़ती है. एक दिन भी सफाई नहीं की, तो घर गंदा हो जाएगा. आनंद को बनाए रखने के लिए आपको कुछ शाश्वत रूप से सत्य बातों को समझना होगा. इन्हें आप जीवन दर्शन भी कह सकते हैं. आप इस दर्शन से भलीभांति परिचित हैं, पर रोजमर्रा के कामों में उलझकर इन्हें भुलाए रखते हैं. ये बातें हैं –
– पूरा ब्रह्मांड परिवर्तनशील है. यहां अगले ही पल चीजें बदल जाती हैं. ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शक्तियां बदल जाती हैं, हम बदल जाते हैं, हमारे आसपास का वातावरण बदल जाता है. ऐसे में अगर हम चीजों के स्थायी होने की इच्छा करेंगे, तो वह कभी पूरी हो ही नहीं पाएगी.
– जो पल गुजर रहा होता है, जीवन तो उसी पल में होता है. गुजर चुका पल मृत है. वहां आपको सिर्फ याद मिलेगी और यादें जीवंत दुख होती हैं. और जो पल अभी आया ही नहीं उसकी बात ही क्या करनी क्योंकि वह अभी है ही नहीं. जीवन गुजरते हुए पल में ही मौजूद रहता है इसलिए जो गुजरते हुए पल में रहता है वह जीवन से भरा रहता है.
– मनुष्य जीवन का प्रयोजन यह है कि वह मनुष्य जीवन को बेहतर बनाने में काम आए. इस प्रयोजन को हम बदल नहीं सकते. हम या तो ऐसा करने में सफल हो सकते हैं या ऐसा करने की दिशा में बढ़ते हुए फना हो सकते हैं. यह अनंत तक चलने वाला सिलसिला है. इसलिए यह समझने की बात है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई यहां सौ वर्ष तक जिया जबकि कोई दूसरा कम आयु में ही चला गया.
– दुनिया में कुछ भी पूरी तरह से सही या गलत नहीं होता. इसलिए सही और गलत की सारी बहसें, सारे झगड़े अर्थहीन और बेमकसद हैं. हम परिवार, समाज, देश, निजी अनुभव आदि के आधार पर चीजों को सही या गलत मानते हैं और ये दूसरे लोगों से भिन्न होते हैं.
उक्त तथ्यों को जान लेने के बाद आप अगर रोज नीचे लिखी बातों का भी पालन कर पाए, तो आपको आनंद भरा जीवन जीने से कोई नहीं रोक सकता.
ध्यान, योग और व्यायाम– आप गौर करें तो रोज जाने कितना समय आप फालतू की करतूतों में व्यर्थ ही गंवा देते हैं. ध्यान, योग और व्यायाम के लिए रोज महज 45 मिनट निकालें और दो सप्ताह में ही उसका अपने मानस पर सकारात्मक असर महसूस करें.
विचारों पर रखें नजर – मन में क्या भाव उठ रहे हैं और दिमाग में क्या विचार, दोनों पर नजर रखें. सतर्क रहेंगे तो उनके प्रभाव में नहीं आएंगे बल्कि उन्हें अपने इच्छा से बदल देंगे.
सांसों से जुड़े रहें – मौजूदा पल में जीने के लिए आप सिर्फ अपनी सांसों से जुड़े रहें, उसके साक्षी बनें.
कम और हेल्दी भोजन करें – भोजन इतना करें कि थोड़ी भूख बची रह जाए और ऐसी चीजें न खाएं कि शरीर सारी ऊर्जा उसे पचाने में लगा दे.
दूसरों की खुशी पहले – खुद को खुश रखने की कोशिश करेंगे, तो बार-बार दुख मिलेगा. खुद की जगह दूसरों को ले आएं, दूसरों को खुश करने का प्रयास करेंगे, तो दुखी होने से तो आप शर्तिया बचेंगे, दूसरों की खुशी हमेशा आपको खुश भी रखेगी.
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सुन्दर चन्द ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे.
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