बहुत कम उम्र में ही एक डोटयाल का लड़का नेपाल से भागकर कुमाऊं के किसी गांव में आ बसा. गांव वाले उसे कांछा कहने लगे. पहले-पहल तो गांव वालों ने उसकी कम उम्र देखकर ऐसा कोई काम न दिया. फिर एक दिन किसी ने पास के कस्बे की बाज़ार में उसे मक्खन की ठेकी पहुँचाने का काम दिया. दो पैसे में दोनों के बीच बात तय रही.
(Nepali Boy Kumaoni Folklore)
कांछा ने अपने सिर पर मक्खन की ठेकी रखी और चला उकाल चढ़ने. उकाल यानी सीधी चढ़ाई चढ़ने में तो धीरे-धीरे चलना होता है. पहला-पहला काम था, कांछा पूरी सावधानी से चलने लगा. धीरे-धीरे चलने से उसे सोच आने लगे. सोचने लगा अब वह इन दो पैसों का करेगा क्या?
कांछा ने सोचा दो पैसों में एक पैसा तो खाने पीने में लगेगा बचे एक पैसे का बजार से मुर्गा खरीदेगा और गांव में आकर दो पैसे में बेच देगा. उन दो पैसों से वह दो और मुर्गियां खरीदेगा और कारोबार चलायेगा. मुर्गियों के धंधे से आए पैसों से वह बकरियां खरीद लेगा. अब बकरी और मुर्गे का व्यापार साथ चलेगा.
बकरियों के व्यापार से जो पैसा बनेगा उससे वह एक गाय रख लेगा और दूध का धंधा भी उसका अपना. अब गाय खरीद ही लेगा तो एक आद भैंस रखने में उसे क्या परेशानी. फिर वह जायेगा अपने घर डोटी. जुमला के घोड़े में जायेगा डोटी. डोटी की सबसे सुंदर लड़की से शादी करेगा और उसे गांव लेकर आयेगा सारा कारोबार वही संभालेगी.
(Nepali Boy Kumaoni Folklore)
कांछा अब धार से नीचे उतर रखा था यानी उराल चलने लगा. उसकी सोच में अब उसके दो सुंदर-सुंदर बच्चे हो गये थे. बच्चे बड़े होकर स्कूल जाने लगे और उससे खर्च के लिये दो पैंसे मांगने लगे. कांछा ने सोचा इतनी छोटी उम्र में इतने पैंसे देना ठीक नहीं है सो उसने सिर हिलाते हुये कहा- मि नि द्यूं एक डबल (मैं एक पैसा नहीं दूंगा)
ओ हो ! मक्खन की ठेकी सिर से गिरी और गुरकते-गुरकते न जाने कहाँ को जो गयी. बेचारा कांछा बजार भी न पहुंच सका. लौटकर आया तो उसने गांव के उस परिवार को पूरी घटना बतायी और कहाँ उन लोगों ने उसका इतना बड़ा नुकसान कर दिया है. उसे सारा हिसाब चाहिये. घर के मालिक को बड़ा गुस्सा आया उसने कांछा के कान निमोर दिये और कहा- 5 रूपये का माल था, पूरा निकाल मेरे पांच रूपये.
कांछा अपनी बात पर अड़ा रहा बात गांव के पधान के पास पहुंच गयी. गांव के पधान ने कांछा की पूरी बात सुनी और उस पर खूब हंसते हुये अपने घर पर ही काम में रख लिया.
(Nepali Boy Kumaoni Folklore)
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