पूरे उत्तराखंड में इन दिनों नन्दा सुनन्दा की आराधना की जा रही है. नंदा कुमाऊं, गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं. नन्दा देवी उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मानी जाती हैं.
कुमाऊँ में अल्मोड़ा, कर्मी, चिल्ठा, बदियाकोट, डंगोली, रणचूला, सोराग, पौथी, सरमूल आदि में नंदा के मंदिर हैं.
नंदा के सम्मान में कुमाऊं और गढ़वाल में अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं. भारत के सर्वोच्य शिखरों में भी नंदादेवी की शिखर श्रृंखला अग्रणीय है लेकिन कुमाऊं और गढ़वाल वासियों के लिए नंदादेवी शिखर केवल पहाड़ न होकर एक जीवन्त रिश्ता है. इस पर्वत की वासी देवी नंदा को क्षेत्र के लोग बहिन-बेटी मानते आये हैं.
हर वर्ष उत्तराखंड की जनता द्वारा मां नंदा-सुनंदा की पूजा-अर्चना पूर्ण भक्ति भाव के साथ की जाती है. प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष आयोजित होने वाली नंदादेवी मेला समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की याद दिलाता है.
यह मेला अल्मोड़ा सहित नैनीताल, कोटमन्या, भवाली, बागेश्वर, रानीखेत, चम्पावत व गढ़वाल क्षेत्र के कई स्थानों में आयोजित होता है.
धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मां नंदादेवी का मेला प्रत्येक वर्ष पर्वतीय क्षेत्र में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. मां नंदा को पूरे उत्तराखंड में विशेष मान मिला है.
भवाली में आज नन्दा सुनन्दा की शोभायात्रा की कुछ तस्वीरें देखिये :
सभी तस्वीरें अशोक पांडे ने ली हैं.
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