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इंटरनेट के साए में पल रही नई पीढ़ी ने इस नायक का नाम कुछ बरस तब जाना जब गूगल ने एक डूगल बनाकर पहाड़ के इस नायक को याद किया. अपने कदमों से दुनिया को एक नये भूगोल की विस्तृत जानकारी देने वाले इस पहाड़ी नायक का नाम है नैनसिंह रावत. नैनसिंह रावत जिन्हें दुनिया आज पंडित नैनसिंह रावत नाम से जानती है.
(Nainsingh Rawat Birthday)
जोहार इलाके के गोरी नदी पार भटकुड़ा गांव में करीब-करीब दो सौ साल पहले जन्मे पंडित नैनसिंह रावत ने दुर्गम हिमालय की पहली वैज्ञानिक मैपिंग करने काम किया. सर्वे ऑफ़ इण्डिया की सहायता से हो रहे तिब्बत के भौगोलिक सर्वेक्षण से जुड़े इस प्रोजेक्ट में नैनसिंह रावत और उनके दो चचेरे भाइयों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
1855 के इस सर्वेक्षण के बाद नैनसिंह रावत और उनके भाई मानसिंह को देहरादून के ग्रेट ट्रिगोनोमैट्रिकल सर्वे दफ्तर की ओर से दो बरस की ट्रेनिंग का बुलावा आया. ट्रेनिंग में उन्हें तमाम वैज्ञानिक उपकरणों के उपयोग और भौगोलिक शोध करने में आने वाली दिक्कतों के बारे में बताया गया.
गांव के इलाके में रहने वाले नैनसिंह अपने चरवाहा-जीवन के लम्बे अनुभव से नक्षत्रों और तारामंडलों और उनकी गति को ख़ूब जानते-समझते थे. साढ़े इकतीस इंच के एक कदम की माप हो या सौ मनकों की माला से मील दर मील की दूरी मापना, नैनसिंह ने सबकुछ बखूबी सीखा.
(Nainsingh Rawat Birthday)
अब सर्वेक्षण की बारी थी. दोनों भाइयों ने कभी व्यापारी का तो कभी भिक्षुक का भेस धरा और पूरा काठमांडू से ल्हासा तक की 1200 किलोमीटर की यात्रा कर, मानसरोवर होते हुए वापस भारत लौटे.
रायल ज्योग्राफिकल सोसायटी का सबसे सम्मानित स्वर्ण पदक दिया पाने वाले पहले भारतीय नैनसिंह रावत ही वह पहले शख्स हैं जिन्होंने पहली बार ल्हासा की समुद्र तल से ऊंचाई और अक्षांश-देशांतर जैसे विवरण नापे. नैनसिंह रावत भौगोलिक अनुसंधान और मैपिंग के क्षेत्र में जो कार्य किया उसे आज तक दुनिया भर में मील का पत्थर माना जाता है.
आज पंडित नैनसिंह रावत का जन्मदिन है.
(Nainsingh Rawat Birthday)
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