उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमन्त्री हरीश रावत के मुक़दमे की सुनवाई 1 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है. उत्तराखंड की राजनीति में 2017 का साल राजनीतिक उठापटक का रहा. उस समय की हरीश रावत की सरकार के खिलाफ उनके अपने विधायकों ने ही बगावत कर दी थी. जिसके बाद राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.
मामला हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा अनुच्छेद 356 के गलत उपयोग की बात कही और रावत सरकार को बहाल किया.
इसी बीच एक न्यूज चैनल संचालक ने हरीश रावत का एक स्टिंग जारी किया. राज्यपाल की संस्तुति के बाद केंद्र ने मामला सीबीआई के पास पहुंचा. रावत सरकार ने कैबिनेट मीटिंग के द्वारा मामला सीबीआई से हटाकर एसआइटी को सौंप दिया.
इसके बाद तत्कालीन कांग्रेसी नेता और वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के नेता हरक सिंह रावत ने हरीश रावत के फैसले को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एकबार मामला सीबीआई को सौंपने के बाद एसआईटी को नहीं सौंप सकती.
स्टिंग मामले में हाल ही में सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपते हुए कहा था कि वह रावत पर रावत के खिलाफ मामला दर्ज करने जा रही है. आज न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई की.
न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ ने हरीश रावत के वकील के अनुरोध पर एक हफ्ते के लिए मुक़दमे की सुनवाई को टाल दिया. वहीँ केंद्र के वकील ने अगली सुनवाई 26 सितम्बर को करने की मांग की थी. आज सुनवाई टलने के बाद सीबीआई की प्राथमिक जांच रिपोर्ट को 1 अक्टूबर को ही न्यायालय के सम्मुख रखा जायेगा.
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