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1 Comments

  1. देवेन्द्र

    “…न उसने और न उसके पुरखों ( खुदा का कहर उन पर गिरे ) ने कभी शाहंशाह के रूबरू खड़े होकर उनसे बात करने की आशा की होगी…”
    और आप kafaltree.com ऐसे दंभी, धर्मान्ध, मुग़ल शासक के महिमागायन को गर्व से प्रस्तुत करवा रहे हैं, आप का क्या कहना। ये आर्टिकल क्या इतना ज़रूरी है?

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