हर साल ऋषि पंचमी के दिन पिथौरागढ़ में वर्षा के देवता मोस्टामानू के मंदिर परिसर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. मेले के दिन लोक देवता का डोला खुकदे के जागर काल से शुरू होता है. मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कर डोला जुलूस के रूप में धूनी के पास पहुंचता है जहान जागर के साथ मेले की समाप्ति होती है.
(Mostamanu Mela Pithoragarh 2022)
वर्तमान में प्रशासन ने जरुर इसे तीन दिवसीय मेला बना दिया है लेकिन असल पारम्परिक मेला ऋषि पंचमी के दिन ही हुआ करता है. साढ़े छः हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मोस्टामानू का यह पौराणिक मंदिर पिथौरागढ़ के छः पट्टी सोर का देवता है.
लोकदेवता मोस्टामानू बाईस प्रकार के वज्रों से सुसज्जित रहते हैं. मेले के दिन उनका डोला उठता है. माना जाता है कि सोर घाटी में किसी वर्षा न होने पर मोस्टामानू की धुनि में हवन करने से वर्षा हो जाती है. बुजुर्ग आज भी अतीत के ऐसे कुछ मौके बताते हैं जब मोस्टामानू की आराधना से सोर घाटी में वर्षा हुई है.
(Mostamanu Mela Pithoragarh 2022)
सोर घाटी के लोगों के पास मोस्टामानू मेले की अनेक यादें रहती हैं. एक समय मोस्टामानू का मेला सोर घाटी का सबसे लोकप्रिय मेला हुआ करता था. इस मेले में पूरी सोर घाटी से लोग जुटा करते थे. मोस्टामानू में देवता का डोला मंदिर के चारों ओर घुमाया जाता है उसके बाद देवता की धुनि जमती है.
आस्था के इस सैलाब में सभी भाव-विभोर हो जाते हैं. सोर के लोग अपने देवता से मंगल कामना करते हैं और लोकदेवता पूरी सोर घाटी के लोगों को आशीष देते हैं. मोस्टामानू देवता से जुड़ी कहानियों और उनके विषय में अधिक यहां पढ़ें-
सोरघाटी में वर्षा का देवता मोष्टामानू
वर्तमान में प्रशासन ने मोस्तामानू के मेले को तीन दिन का कर दिया है. इस वर्ष यह मेला 31 अगस्त से 2 सितम्बर के दिन हुआ है. मेले का मुख्य दिन आज ऋषिपंचमी का दिन था.
(Mostamanu Mela Pithoragarh 2022)
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