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1 Comments

  1. Virendra Singh Vishth

    हमारे गांव में भी थे एक। पर उनको हम अमरदा कहते थे। पूरे गांव के तो नहीं पर वे गांव के एक समृद्ध परिवार की सेवा में जीवन पर्यंत लगे रहे। उनके पशुओं को ग्वाला ले जाना, उनके भाबरी बैलों की देखभाल और उनके खेतों में हल आदि लगाना। उनके बड़े बड़े भाबरी बैलों को केवल छोटी काठी के अमरदा ही सम्भाल सकते थे।
    सुना था कि गढ़वाल के किसी क्षेत्र से बचपन में ही कुमाऊं के हमारे गांव में वे आ गए थे और उस परिवार की सेवा में ही पूरा जीवन बिता दिया। शादी उनकी भी नहीं हुई। हम तो बस उनको एक वृद्ध के रूप में ग्वाले जाते समय देखते थे जहां हम अपने गोरु बल्दों कोले जाते और वे अपने बड़े बड़े भाबरी बैलें को लाते थे।

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