भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार विदेश यात्राएं आलोचना का विषय रही हैं. जब चार सालों में नरेंद्र मोदी 85 से ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं तो लोग सवाल करने लगे हैं कि आखिर क्या हासिल होता है प्रधानमंत्री की इन विदेश यात्राओं से? वर्तमान में नरेंद्र मोदी की यात्राओं का ही प्रभाव है कि भारत आज में अंतराष्ट्रीय मंच पर ब्रह्मा की भुमिका में है. सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा नहीं दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपर-स्टार कामेडियन “ब्रह्मा” .
ब्रह्मा के किरदार की मुख्य विशेषता यह रहती है कि वो फिल्म में खुद से तेज किसी को नहीं समझते. किसी से भी जा भिड़ते हैं किसी से भी गले मिल लेते हैं. ब्रह्मा को लगता है कि उन्हें सभी पसंद करते हैं लेकिन असल में सभी उनसे परेशान रहते हैं. असल में फिल्म के अंत में ब्रह्मा हमेशा हंसी के पात्र बनकर रह जाते हैं.
अब आते हैं भारत क्यों ब्रह्मा की भूमिका में है? जवाब वैश्विक स्तर पर कुछ घटनाओं से शुरु करते हैं. सेजेल्स एक छोटा सा द्वीप देश है जिसके प्रधानमंत्री कुछ दिनों पहले भारत की यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी के साथ सितार बजाते नजर आये थे. मीडिया में दोनों की तस्वीर भी खूब चली. सेजेल्स के सितारवादक प्रधानमंत्री हफ्ता भर पहले सेजेल्स में बन रहे भारत के बंदरगाह के सौदे को रद्द करने की घोषणा कर भारत पहुंचे थे.
इन्हीं दिनों यूनाईटेड नेशन में कश्मीर में मानवाधिकार हनन संबंधी रिपोर्ट पेश की गयी. 70 साल में पहली बार हुआ है जब कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लघन पर टिप्पणी की गयी है. जिससे भारत की कश्मीर को लेकर स्थिति कमजोर हुई है. जिस इंग्लैंड में जाकर नरेंद्र मोदी लोगों से भारत-भारत का जयकारा बजा आये थे उसी इंग्लैंड ने आसान वीजा वाले देशों की लिस्ट से भारत को बेदखल कर दिया. नेपाल दिन पर दिन चीन के करीब होता जा रहा हैं. श्रीलंका में चीन बंदरगाह बना भारत को घेर रहा है तो मालदीव भारत को अपने हैलीकाप्टर हटाने को कह रहा है. इराक में भारतीय मारे जा रहे हैं. बीफ मसले पर भारत में बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव के चलते भारत संयुक्त राष्ट्र महासचिव से पहले ही फटकार खा चुका है.
अमेरिका से बढ़ती झाप्पियों ने पुराने सहयोगी रुस से दूरियां बढ़ा दी हैं. रुस की चीन से बढ़ती नजदीकियां भारत के लिये चिंता का विषय हैं. कुल मिलाकर भारत विश्व मंच पर एक मसखरा बन गया है. जिसकी खिल्ली सैजेल्स जैसा छोटा सा देश भी उड़ाता है अमरेका जैसा ताकतवर भी.
नरेंद्र मोदी चार साल में अपनी विदेश यात्राओं पर 1084 करोड़ खर्च चुके हैं जबकि नौ सालों में मनमोहन सिंह की विदेश यात्राओं का खर्चा 642 करोड़ था. चार सालों में नरेंद्र मोदी 171 दिन विदेशों में रहे हैं.
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