किसी का भी आत्महत्या करना हमें बहुत दुखी कर जाता है, क्योंकि हम जानते हैं कि किसी ने कैसी भी स्थितियों में आत्महत्या की हो, उसके जीवन में कितना भी गहरा अंधेरा रहा हो, कैसी भी वजहें रही हों, एक जरा सी सोच की करवट के साथ सबकुछ बदल सकता था. पर हम एक ही चीज को जीवन में सबसे जरूरी समझने की भूल कर देते हैं. एक ही व्यक्ति से प्रेम को अपना सबकुछ मान बैठते हैं. बिजनेस में सफलता पर ही सब कुछ दांव पर लगा देते हैं. यह जो जीत-हार वाला नजरिया है, यह हम पर इतना हावी हो जाता है कि सिर्फ जीत-हार ही बचती है, जीवन गायब हो जाता है. Mind Fit 6 Column by Sundar Chand Thakur
हमारे पास जीवन को महसूस करने के दो जरिए हैं- दिमाग और शरीर. दिमाग में करोड़ों न्यूरॉन्स होते हैं, जो हमारे सोचने के ढंग से सक्रिय होते हैं. वे हमारे शरीर की वजह से भी सक्रिय होते हैं. ये न्यूरॉन्स किस तरह सक्रिय होते हैं और कैसी गति करते हैं, वह हमें दुख या खुशी का एहसास करवाता है. जैसे अगर आप शारीरिक व्यायाम करना शुरू करें, कुछ नहीं तो घर पर ही कोई डांस करना शुरू करें, तो अगले बीस मिनट के भीतर ही दिमाग डोपोमीन नामक होर्मोन छोड़ने लगता है, जो आपके भीतर खुशी जैसी फीलिंग्स लाता है. यह खुशी जैसी फीलिंग हमारे भीतर सकारात्मकता भरने का काम करती है. इसीलिए यह असंभव है कि कोई व्यायाम करते हुए या डांस करते हुए कभी आत्महत्या के बारे में सोच भी ले. आत्महत्या कोई छोटा कदम नहीं. उसके लिए जरूरी है कि आप नकारात्मक सोचना शुरू करें और इस हद तक सोचते जाएं कि रोशनी का कोई सुराग ही न बचे. जीवन में किसी तरह की उम्मीद की कोई किरण भी न रहे, तो अंधकार हमें लील ही जाएगा. Mind Fit 6 Column by Sundar Chand Thakur
ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम कि दिमाग और शरीर का आपस में कितना करीबी संबंध है. हमारे दिमाग में जैसा विचार चलता है, शरीर वैसा ही फील करता है. ठीक इसका उलटा भी होता है. शरीर जैसा महसूस कर रहा होता है, दिमाग में वैसे ही विचार आते हैं. यह ऐसा है कि जैसे हम भविष्य की किसी बात को लेकर चिंता करने लगें, तो शरीर में उसका सीधा प्रभाव दिखाई देने लगता है. तुरंत हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, हमें घबराहट होने लगती है, हथेलियों से पसीना छूटने लगता है. जब शरीर ऐसा महसूस करता है, तो वह दिमाग को और अधिक नेगेटिव होने को प्रेरित करता है. दिमाग और ज्यादा नेगेटिव सोचने लगता है, तो शरीर में और तनाव बढ़ता है, एनजाइटी बढ़ती है. इस तरह हम एक कुचक्र में प्रवेश करते जाते हैं. दिमाग में नेगेटिव विचार बढ़ते हैं और शरीर में घबराहट. इसके उलट जब शरीर को अच्छा महसूस होता है, जो कि किसी भी वजह से हो सकता है. आप अगर कोई हेल्दी और स्वादिष्ट चीज खाएं, तो इतने भर से भी शरीर अच्छा महसूस करता है, गहरी नींद के बाद मिलने वाली ताजगी में भी शरीर में अच्छी फीलिंग्स आती हैं. आप अगर कुछ देर सुबह की धूप की नर्म उष्णता लें, तो शरीर को अच्छा लगता है. जब शरीर को अच्छा लगता है, तो वह दिमाग को सिग्नल भेजता है और दिमाग भी खुद को उसी शरीर के तल पर ले आता है. Mind Fit 6 Column by Sundar Chand Thakur
असल में शरीर और दिमाग एक ही तल पर काम करना पसंद करते हैं. इसके लिए वे एक-दूसरे के मिजाज के मुताबिक खुद को बदलते रहते हैं. अगर आप बिना शर्त जिंदगी को प्यार करते हैं, तो कभी किसी चीज को लेकर दिमाग में कोई तनाव ही नहीं पैदा होगा, क्योंकि तनाव पैदा ही तब होता है, जब आप अपनी शर्तें आरोपित करते हो. जितनी ज्यादा शर्तें होंगी, दिमाग उतना तनाव में रहेगा. दूसरी ओर, शरीर अगर तकलीफ में होगा, तो दिमाग में भी नकारात्मक विचार आएंगे. शरीर अगर सुखी होगा, तो उसका सुख दिमाग को भी सुखी करेगा. शरीर के उलट अगर दिमाग में पॉजिटिव बातें हैं, वहां अगर सुख बरस रहा है, तो वह शरीर के भीतर भी वैसा ही सुख बरसाएगा. जो व्यक्ति दिमाग को साध लेता है, हर पल वर्तमान में गहरे उतरकर जीता है, उसका शरीर भी हर पल जीवन की सहज स्फूर्ति से भरा रहता है. बुद्ध ने सबसे बड़ी शिक्षा ही यह दी कि अपनी सांस को पकड़कर मौजूदा पल को पकड़े रहो, क्योंकि सांस को पकड़ने भर से ही हमें सुख मिलने लगता है. सांस को पकड़ने के लिए हमें बस ध्यान और योग के अभ्यास की जरूरत है. मजे की बात यह है कि अगर आप सांस के इस सुख को लेने के आदी हो जाएं, तो वे तमाम सुख जिन्हें आप प्रेम, बिजनेस, नौकरी, सफलता आदि में तलाश रहे थे, वे सब भी आपको मिलने लगते हैं. तब आपके चेहरे की आभा भी ऐसी तेजोमय हो जाती है कि सब कुछ आपकी ओर खिंचने लगता है. तब प्रेम में असफलता, बिजनेस में असफलता या जीवन के किसी और क्षेत्र में आई कोई और चुनौती आपको जरा भी परेशान नहीं कर पाती, क्योंकि आप हर स्थिति को अपनी सकारात्मकता, अपने भीतर भरे जीवन और अपनी मौजूदा पल में जीने की काबिलियत से अपने पक्ष में कर देते हो. ये सारी चुनौतियां आपके पास पहुंचकर अवसर में बदलती जाती हैं और आपका जीवन खुशियों और सफलताओं का अनवरत एक सिलसिला बन जाता है. Mind Fit 6 Column by Sundar Chand Thakur
-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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