Featured

गढ़वाली लोकगीत के पितामह जीत सिंह नेगी का निधन

1950 के दशक में एक खुदेड़ दिल्ली बंबई रहने वाले उत्तराखंड के प्रवासियों के बीच खूब लोकप्रिय हुआ, उसके बोल कुछ यूं थे – तू होली ऊंची डांडयूं मां, बीरा घसियारी का भेस मां, खुद मां तेरी सड़क्यों पर रुणों छौं हम परदेश मां . अपने घर और परिवार से दूर दिल्ली और बंबई में जो भी प्रवासी रेडियो में इसे सुनता रुआंसा हो जाता. बोल का अर्थ है :
(Jeet Singh Negi)

तू होगी बीरा उंचे पहाड़ों पर घसियारी के भेष में और मैं यहा परदेश की सड़कों पर तेरी याद में भटक रहा हूं-रो रहा हूं

खुदेड़ में आवाज थी जीत सिंह नेगी की. जीत सिंह नेगी पहले गढ़वाली गीतकार जिनका गीत ऑल इण्डिया रेडियो से प्रसारित किया गया था. पौढ़ी में जन्मे जीत सिंह नेगी संगीतकार, निर्देशक और और रंगकर्मी रहे.

सत्तर और अस्सी का दशक होगा. दिल्ली और मुम्बई जैसे बड़े महानगरों में वीर-भड़ माधो सिंह भण्डारी की गाथा पर आधारित गीत/नृत्य नाटिका का खूब मंचन होता था. बड़े शहरों के रंगमंच में उत्तराखंड की संस्कृति की पहली दस्तक इसे ही माना जा सकता. इंद्रमणि बडोनी और उनकी टीम में सबसे महत्वपूर्ण नाम है जीत सिंह नेगी. जीत सिंह नेगी ने ही इस नाटिका का लेखन किया था. गीत नाटिका के किताबी रूप का नाम है – मलेथा की कूल.
(Jeet Singh Negi)

फोटो : देवेश जोशी की वाल से.

कानपुर में जब जीत सिंह नेगी के नाटक ‘शाबासी मेरो मोती ढांगा’ का मंचन हुआ तो चीन से आये प्रतिनिधमंडल ने न केवल इसको रोकार्ड किया बल्कि रेडियो पीकिंग से उसक प्रसारण भी किया. वह उत्तराखंड के पहले ऐसे लोककलाकार हैं जिनके गीतों का ग्रामोफोन रिकॉर्ड 1949 में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी ने जारी किया.

2 फरवरी 1925 को जन्मे पहाड़ के इस महान कलाकार का बीते दिन देहांत हो गया. छः दशक से अधिक लोकसंगीत के साधक को काफल ट्री की ओर से श्रद्धांजलि.
(Jeet Singh Negi)

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

1 day ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

1 day ago

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

5 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

1 week ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago