अगर आप ये पंक्तियां पढ़ना शुरू कर चुके हैं, तो इसका मतलब है कि आपने सपनों को सच करने की राह पर पहला कदम उठा लिया है. मेरी बातों के अंत तक पहुंचते-पहुंचते आपको वह आसान नुस्खा मिल चुका होगा, जिसे अपनाकर आप कामयाबी की ऐसी ऊंचाई छू पाएंगे कि दुनिया वाले देखते रह जाएंगे. हालांकि आप ऐसा करने वाले पहले इंसान नहीं होंगे. दुनिया में अलग-अलग फील्ड में अपनी कामयाबी का परचम फहराने वाले एक से बढ़कर एक हुए हैं. इन कामयाब लोगों के पास एक ऐसी चीज है, जो इन्हें बाकी लोगों से अलग करती है. और वह चीज है इनका दिमाग.
(Mind Fit 26 Column)
जी हां, वह आपका दिमाग ही है, जो आपको इस संसार में कामयाबी के एवरेस्ट तक पहुंचा सकता है. आप जो चाहें, वह पा सकते हैं. महंगे से महंगा घर, ऐशो-आराम, बड़े से बड़ा पद, एक बेजोड़ जिंदगी. आप सिर्फ उसकी इच्छा करें और वह आपकी होगी. आपको सिर्फ और सिर्फ अपने दिमाग पर काम करना है. पहले आप यह जान लीजिए कि दुनिया के इन सबसे बड़े अमीरों, सबसे कामयाब लोगों का दिमाग कैसे काम करता है. अगर आप महर्षि पतंजलि का योगसूत्र पढ़ें, तो पाएंगे कि उन्होंने मन की पांच अवस्थाएं बताई हैं- क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, एकाग्र और निरुद्ध. ये आपको थोड़े मुश्किल नाम लगेंगे. आप मोटा-मोटा इतना समझें कि तीन तरह के दिमाग होते हैं- पहला वह जो बहुत अस्थिर होता है. ऐसे दिमाग में कोई भी विचार थोड़ी देर के लिए भी टिक नहीं पाता. एक के बाद एक विचार आते रहते हैं. इसे हम मंकी माइंड कहते हैं. जैसे बंदर एक जगह स्थिर होकर नहीं बैठ सकता, वैसे ही मंकी माइंड किसी एक काम पर ध्यान नहीं लगा पाता. अगर आप एक साथ कई काम करते हैं और हर काम आधा-अधूरा ही छोड़ देते हैं, तो समझ लें कि आप मंकी माइंड के मारे हैं. महर्षि पतंजलि के बताए ‘क्षिप्त’ और ‘मूढ़’ मन इसी कैटेगरी में आते हैं.
दूसरी तरह का दिमाग वह होता है, जो एकाग्र होना जानता है यानी वह कुछ समय तक एक ही काम में ध्यान लगा सकता है. लेकिन बहुत लंबे समय तक वह एकाग्र नहीं रह पाता. आपको अगर जानना है कि आपका दिमाग किस कैटेगरी में आता है, तो एक एकांत जगह चुनिए. घर में न मिले, तो किसी पार्क में या जंगल में चले जाएं और पूरी तरह से एकांत स्थान पर जाकर ध्यान में बैठ जाएं. कोशिश करें कि आपके दिमाग में कोई विचार न आए. अगर आप पांच मिनट भी निर्विचार यानी बिना विचारों के बैठ पाए, तो जान लीजिए कि आपके पास एक बहुत ही बढ़िया, बहुत ही उम्दा किस्म का दिमाग है.
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आप अगर थोड़ी भी मेहनत करेंगे, तो सफलता आपके कदम चूमने लगेगी. महर्षि पतंजलि ऐसे दिमाग वालों को ‘विक्षिप्त’ और ‘एकाग्र’ की कैटेगरी में रखते हैं. लेकिन जो दिमाग आपको दुनिया का सबसे रईस इंसान बना सकता है, जो दिमाग आपको किसी भी खेल में दुनिया का नंबर वन खिलाड़ी बना सकता है, जो दिमाग आपको दुनिया का सबसे बड़ा राजनेता बना सकता है, जो बुद्ध का दिमाग है, जो बड़े-बड़े योगियों का दिमाग है, उसे महर्षि पतंजलि ‘निरुद्ध मन’ की कैटेगरी में रखते हैं. इसे हम Blessed Mind भी कह सकते हैं. जिसके पास ऐसा दिमाग होता है, वह जो ठान लेता है, उसे पूरा करके मानता है. गौतम बुद्ध परम सत्य की खोज में घर-परिवार छोड़कर बाहर निकले, जंगलों में भटके और एक समय वे मृत्यु के बहुत करीब पहुंच गए थे. बोध गया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने से ठीक पहले वे निरंजना नदी पार करते हुए इतने कमजोर हो गए थे कि नदी पार ही न कर पाए. बीच में से ही लौट आए. उनका शरीर कमजोर पड़ गया था, पर दिमाग नहीं.
Blessed Mind की खासियत यह होती है कि कितनी भी मुश्किलें आ जाएं, वह कभी अपनी राह से डगमगाता नहीं. राइट ब्रदर्स ने अगर ठान लिया कि हमें इंसान को उड़ते हुए देखना है, तो उन्होंने हर हाल में यह कारनामा करके दिखाया. थॉमस एडिसन द्वारा बिजली के बल्ब का आविष्कार, बिल गेट्स का माइक्रोसॉफ्ट बनाना, स्टीव जॉब्स का ऐपल, सचिन का 17 साल की उम्र में देश के लिए टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू कर लेना, एडमंड हिलेरी का एवरेस्ट की चोटी फतह करने से लेकर किपचोगे का 2 घंटे से कम समय में मैराथन दौड़ने का अनूठा रेकॉर्ड बनाना, ऐसी हजारों मिसालें दी जा सकती हैं. इन लोगों ने अपने दिमाग की एकाग्रता को सालों तक बनाए रखा और वह कितना ही असंभव लक्ष्य क्यों न हो, उसे हासिल करके दिखाया.
अगर आप भी एक Blessed mind चाहते हैं, तो आपको ब्रह्म मूहूर्त में उठकर ध्यान करना है. ब्रह्म मूहूर्त यानी सुबह 4 से 4.30 बजे के बीच. यह वह समय है, जबकि ब्रह्मांड की पॉजिटिव एनर्जी सबसे ज्यादा सक्रिय होती है. उस वक्त आपका दिमाग कम ध्यान से ही ज्यादा शांत हो जाता है, ज्यादा एकाग्र हो जाता है. एक Blessed Mind पाकर आप जिस तरह के असंभव कारनामे करके दिखा सकते हैं, उसे देखते हुए ब्रह्म मूहूर्त में उठकर 15-20 मिनट का ध्यान करना कोई बड़ा काम नहीं है. यह एक छोटा-सा मगर बड़ा जादुई नुस्खा है. कर के देखें और खुद जान लें.
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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