अगर आप अपने लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की कामना करते हैं, तो आपको चार तरह के उपवास रखने होंगे. जी हां, ये चार उपवास आपमें एक खास आध्यात्मिक विश्वास को जन्म देंगे. भारत में हमारे पूर्वजों ने अपने आध्यात्मिक विकास के लिए उपवासों के इस सिद्धांत का सफलतापूर्वक उपयोग किया. उन्होंने इसकी कामयाबी को देखते हुए इसे ‘परम औषधम’ का नाम दिया. यानी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम दवा. उपवास करने से असरदायक कोई और दवा नहीं. अब मैं जो बताने जा रहा हूं, कृपया इसे बहुत ध्यान से अपने मानस में दर्ज करें. आपको अपने बहुआयामी स्वास्थ्य के लिए ये चार उपवास अवश्य ही रखने चाहिए : Mind Fit 16 Column
पहला उपवास भोजन का
पहला उपवास भोजन का है. आपको अपने भोजन को लेकर रोज उपवास रखना चाहिए यानी आपको रोज बहुत देख-समझकर ही भोजन करना चाहिए. हमारा शरीर सिर्फ भोजन करने और पचाने की मशीन नहीं. इस शरीर के जरिए हमें बहुत से जरूरी काम करने होते हैं. आध्यात्मिक राह पर चल रहे योगियों के लिए यही शरीर निर्वाण पाने का रास्ता दिखाता है. लेकिन कुछ लोग इस तरह खाना खाते हैं, जैसे कि वह उनके जीवन का इकलौता ध्येय हो. इस तरह अगर आप भोजन करेंगे, तो आपका बीमार पड़ना तय है. इस वजह से आप पर संक्रमण का भी ज्यादा खतरा रहेगा. आपको तभी खाना खाना है, जबकि आपको भूख महसूस हो. इतनी भूख कि भोजन के बारे में सोचने भर से आपके मुंह में लार का स्राव होने लगे. भोजन को लेकर आप कैसे भी उपवास रख सकते हो – एक समय खाने का उपवास, सिर्फ फल खाने का उपवास, सिर्फ पानी पीने या सूप पीने का उपवास. ज्यादा नहीं तो सप्ताह में एक दिन ऐसे उपवास के लिए सुनिश्चित कर सकते हैं. आपने गौर किया होगा जानवर इसका बहुत इस्तेमाल करते हैं. उनकी तबियत जरा-सी खराब होती नहीं कि ठीक होने के लिए सबसे पहले वे भोजन लेना बंद कर देते हैं. खाने के उपवास का यह अर्थ भी है कि हम हेल्दी भोजन खाएं, जिसमें कार्बोहाइड्रेड के अलावा पर्याप्त प्रोटीन भी रहे. प्रोसेस्ड फूड की बजाय रेशेदार और प्राकृतिक भोजन को ज्यादा तरजीह दें. सलाद को अपने भोजन का अनिवार्य हिस्सा बनाएं.Mind Fit 16 Column
दूसरा उपवास सांस का
हमारा शरीर अगर इंजन है, तो हमारी सांसें इस इंजन को चलाने वाला ईंधन है. हमने गाड़ियों में देखा है कि ईंधन जब नहीं रहता, तो इंजन बंद हो जाता है. इंजन को जितनी अच्छी क्वॉलिटी का और जितनी मात्रा में ईंधन मिलता रहेगा, वह उतना ही बढ़िया काम करेगा. भारत में प्राचीन योगी एक चेतन अभ्यास की तरह सांस का उपवास रखते हुए बहुत धीमे और बहुत गहरी सांस लेते थे. हमारी सांस जितनी गहरी और जितनी धीमी होगी, हमारा जीवन उतना लंबा होगा. इसका एक उदाहरण खरगोश, कुत्ते, हाथी और कछुए की उम्र है. इनमें जो जितनी धीमी सांस लेता है उसकी उम्र उतनी ही लंबी होती है. जब हम सांसों का उपवास रखना शुरू करते हैं, तो अपने आप हम गहरे होते जाते हैं और हमारे विचार सकारात्मक होने लगते हैं. धीमी सांस लेने वाले बहुत आसानी से खुद को नकारात्मक चीजों से दूर कर लेते हैं.Mind Fit 16 Column
तीसरा उपवास वाणी का
योगियों के आध्यात्मिक विकास के लिए वाक-शांति एक अनिवार्य शर्त है. न सिर्फ हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हम अपने मुंह से दूसरों को चोट पहुंचाने वाले कड़वे वचन न निकालें, बल्कि कोशिश करनी है कि हम सिर्फ अनिवार्य होने पर ही बोलें, जबकि बिना बोले काम न होने वाला हो. हम जितना सोच-समझकर बात करते हैं, जितना दूसरों को खुशी देने वाले शब्दों और मधुर वाणी का उपयोग करते हैं, उतना ही हमारी वाक-शक्ति बढ़ती जाती है और हमारा आध्यात्मिक विकास का रास्ता प्रशस्त होता जाता है.Mind Fit 16 Column
चौथा उपवास गति का
इंसान का मन सबसे तीव्र गति से भागता है. वह इतना गतिशील है कि एक पल में पूरा ब्रह्मांड नाप सकता है. गति के उपवास का यह अर्थ नहीं कि हम एक जगह पर बैठ जाएं और ताश खेलें या टीवी देखें. गति के उपवास का अर्थ है कि हम स्थिर होकर बैठना सीखें. शरीर को भी स्थिर करना है और मन को भी. हमें यह आदियोगी शिव से सीखना चाहिए. वे सालों तक ध्यान की अवस्था में स्थिरचित्त होकर बैठे रहते थे. इसी से उनमें पूरे ब्रह्मांड को चलाने की शक्ति पैदा हुई. जितना हम शरीर को स्थिर करके ध्यान में जाएंगे, उतना ही हमारा दिमाग, हमारा मन भी स्थिर होगा. आप स्थिर बैठकर अपनी ही श्वास पर ध्यान दे सकते हैं या आसपास से आ रही आवाजों पर चित्त को एकाग्र कर सकते हैं. अगर आप रोज पांच मिनट के लिए भी स्थिर होकर ध्यानमग्न बैठने का अभ्यास करें, तो धीरे-धीरे यह आपके भीतर से हर तरह की घबराहट और बेचैनी को खत्म कर देगा.Mind Fit 16 Column
इन चार उपवासों के अभ्यास से हम शरीर, दिमाग और अपनी चेतना को बेहद शक्तिशाली बना सकते हैं.
-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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