बाघ अवसरवादी भी होते हैं इसका एक नजारा ढिकाला के ग्रासलैंड में देखने को मिला जहां एक युवा बाघ जिप्सियों की आड़ लेकर हिरन के पीछे भागता हुआ नज़र आया. (Memoir of Deep Rajwar)
हाल में ही ढिकाला प्रवास के दौरान जब मैं सफ़ारी करता हुआ ग्रासलैंड पहुँचा तो हर तरफ़ से हिरणों के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी और साथ में उनके भागने की मानो जैसे उन्हें बाघों ने घेर लिया हो. जहां देखो वहाँ हिरणों के झुंड में भगदड़ मची हुई थी, तभी ड्राइवर चिल्लाया “वो देखो टाइगर हिरन के पीछे भाग रहा है.” और में तैयार होकर इस मौके के फ़ोटो लेने लगा तो ड्राइवर बोला “सर वहाँ को नहीं उधर है टाइगर.” मैं चौंका और देखा तो दूसरी तरफ भी टाइगर और हर तरफ़ हिरणों के चिल्लाने की आवाज़.
बड़ा ही नाटकीय दृश्य था ऐसा लग रहा था मानो ‘ग्रासलैंड वाली’ और उसके तीनों नर शावक हिरणों को घेर कर उनका शिकार करने की कोशिश में थे. ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि पूरा परिवार शिकार करने में जुटा हो पर यहाँ तो यह हमारे सामने घट रहा था. समझ नहीं आ रहा था कि किसकी फ़ोटो ली जाये और कहाँ गाड़ी खड़ी की जाये.
आखिरकार जिस दिशा में हिरन और टाइगर भाग रहे थे हम भी उसी तरफ भाने लगे, हम क्या सभी ऐसा कर रहे थे. फ़ोटो खींचने का सही मौका नहीं बन प् रहा था तो मैं ड्राइवर से बोला— एक जगह गाड़ी लगा कर केवल एक टाइगर को ही टार्गेट करे, सब के चक्कर में एक भी हाथ नहीं लगेगा.
ग्रासलैंड वाली और उसके तीन नर शावक जो लगभग दो साल के होने को हैं, अपनी माँ की पाठशाला का अंतिम पाठ और सबसे महत्वपूर्ण पढ़ रहे थे. इसके बाद ये सब अलग हो जाएँगे और एक नए इलाक़े की तलाश में चल पढ़ेंगे.
नर शावकों के जीवन की डगर बहुत कठिन होती है और उनके जीवित रहने की संभावना भी काफ़ी कम होती है, जवानी की दहलीज़ पर पहुँचते-पहुँचते अधिकतर शावक दूसरे नर बाघों द्वारा मार दिए जाते हैं इसलिए इन्हें ख़ासकर के 5-6 साल तक खुद को छुपा के और दूसरे नर बाघ बचा के रखना पढ़ता है. इस दौरान इन्हें नितांत एकाकी जीवन बिताना पढ़ता है.
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ये तो भविष्य के गर्भ में है कि कौन कितना जिएगा इसलिए इस बात को यहीं पर छोड़ देते हैं और चलते हैं. लाइव हंटिंग की ओर, जहां हिरणों की जान आफ़त में आ रखी थी और हमारी तरह उनको भी नहीं समझ आ रहा था करें तो करें क्या.
तभी मेरी नज़र उनमें से एक शावक पर पड़ी जो पेड़ की आड़ से सड़क पार एक हिरन को ऐसे देख रहा था मानो वह उसे पसंद आ गया हो. लेकिन सड़क पर तो जिप्सियाँ खड़ी थीं. तो मुझे लगा ये उस तरफ नहीं जाएगा. पर मैं ग़लत था. उसने आव देखा ना ताव और हवा की गति से दौड़ना शुरू कर दिया.
क्या विहंगम नजारा था, दौड़ता हुआ टाइगर अलग ही छटा बिखेर रहा था. इस गति में दौड़ते टाइगर को फ़ोकस करने में बड़ी दिक़्क़त हो रही थी और चंद सेकेंडों में ही वह दौड़ता हुआ जिप्सियों के पीछे घास में ग़ायब हो गया.
कुछ देर बाद झाड़ियों के पीछे से दो बाघों के गुर्राने की आवाज़ आने लगी, वे शायद शिकार के लिए आपस में लड़ रहे थे. शायद शिकार हो गया था.
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रामनगर में रहने वाले दीप रजवार चर्चित वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर और बेहतरीन म्यूजीशियन हैं. एक साथ कई साज बजाने में महारथ रखने वाले दीप ने हाल के सालों में अंतर्राष्ट्रीय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के तौर पर ख्याति अर्जित की है. यह तय करना मुश्किल है कि वे किस भूमिका में इक्कीस हैं.
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