राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्द्वानी में इन दिनों हलचल कुछ ज्यादा ही हो रही है. यह हलचल पढ़ाई की नहीं और न ही सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियों को लेकर है, बल्कि यह हलचल रैगिंग को लेकर है.
एक अनाम छात्र ने यूजीसी की वेबसाइटस पर रैगिंग की शिकायत की है. इस शिकायत में एमबीबीएस सेकेंड ईयर के दो छात्रों के नाम भी लिखे हैं. अनाम शिकायत में गाली करना, कान में कुल्ला करना, मारपीट करना और सैक्सुअल एब्यूज करने की शिकायत दर्ज है.
11 सितंबर की इस शिकायत पर यूजीसी ने मेडिकल काॅलेज प्रशासन को जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए. इस पत्र से काॅलेज में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक बुलाई गई. दो बार बैठक हो गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है.
पहली बैठक 18 सितंबर को पांच घंटे तक चली. कई तरह की चर्चा हो गई है. जिसने शिकायत की, उसका पता लगाने की पूरी कोशिश की गई. एमबीबीएस प्रथम ईयर के 98 विद्यार्थियों से अलग-अलग बातचीत की. फिर भी कोई पता नहीं चल सका. सभी ने लिखित जवाब भी दे दिया कि हमारे साथ रैगिंग नहीं हुई है. टीम को शिकायतकर्ता नहीं मिला और जांच के बजाय सभी विद्यार्थियों की काउंसलिंग पर फोकस कर दिया गया.
जांच कमेटी में प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा के अलावा सिटी मजिस्ट्रेट पंकज उपाध्याय, एसपी सिटी अमित श्रीवास्तव, पत्रकार गणेश जोशी, दिनेष जोशी के अलावा सीनियर फैकल्टी सदस्य डाॅ. आरजी नौटियाल, डाॅ. जीएस तितियाल, डाॅ. वीके सत्यवली, डाॅ. पंकज वर्मा, डाॅ. गीता भंडारी के अलावा एनजीओ से कुसुम दिगारी व सुमन रखोलिया मौजूद रही.
दूसरे दिन काउंसलिंग सत्र चला. सिटी मजिस्ट्रेट पंकज उपाध्याय ने फर्स्ट व सेकेंड ईयर के स्टूडेंटस को रैगिंग न करने के लिए प्रेरित किया. काॅलेज प्रशासन ने दोनों ईयर के विद्यार्थियों के बीच हेल्दी डिस्कसन करने के लिए उचित मौहाल पैदा करने के लिए कहा गया. एसपी सिटी ने भी पुलिस की ओर से हरसंभव मदद दिए जाने का आश्वाशन दिया. सेकेंड ईयर के विद्यार्थियों से रैगिंग न करने के लिए प्रेरित किया गया. सिटी मजिस्ट्रेट ने सीनियर विद्यार्थियों से सवाल-जवाब भी किए. कॉलेज प्रशासन से कहा, विधार्थियों की शिकायत के लिए ड्राप बॉक्स लगाएं. 25-25 छात्रों का समूह बनाकर मित्रतापूर्वक माहौल बनाएं.
काॅलेज में भले ही रैगिंग को लेकर किसी भी जूनियर स्टूडेंट ने लिखित व मौखिक में रैगिंग होने की शिकायत नहीं की, लेकिन काॅलेज में रैगिंग के कई रंग तो दिख ही गए. अप्रत्यक्ष तौर पर पता चला कि सीनियर छात्र-छात्राएं अपनी सीनियरिटी का प्रदर्शन तो करते ही हैं. इसे वह रैगिंग नहीं बल्कि काॅलेज की परंपरा मानते हैं. काॅलेज में सभी जूनियर विद्यार्थियों ने बाल छोटे किए ही थे और सिर झुकाकर कतार में चलते थे. लड़कियां दो चुटियां बनाती थी और सिर में तेल डालती थी. सीनियर छात्र-छात्राएं कमेंट करते थे. इसके बावजूद किसी भी जूनियर छात्र-छात्रा ने लिखित में रैगिंग होने की शिकायत नहीं की. एंटी रैगिंग कमेटी ने भविष्य में इस तरह की हरकतें न करने की सख्त हिदायत भी दी है. प्राचार्य कहते हैं, अभी जांच पूरी नहीं हुई है. जाँच के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा.
रैगिंग की रोकथाम की दिशा में यूजीसी के निर्देश पर रैगिंग अपराध निषेध विनियम का तृतीय संशोधन कॉलेजों में लागू किया गया है. इसके तहत अब किसी छात्र या छात्रा को उसके रंगरूप के आधार पर टिप्पणी कर आहत करना या प्रताड़ित करना भी रैगिंग की श्रेणी में माना गया है.
रैगिंग यानी कि नस्ल व पारिवारिक या फिर आर्थिक पृश्ठिभूमि के आधार पर अपमान करना, पहनावे, रंग-रूप आदि आधार पर कमेंट करना, किसी छात्र-छात्रा को उसकी क्षेत्रीयता, भाषा जाति, के आधार पर परेशान करना, ऐसे कार्य करने को कहना, जिससे शर्म महसूस होती हो आदि.
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