क्या मर्लिन मुनरो का जीवन विश्व सिनेमा की सबसे बड़ी त्रासदी था? (Marilyn Monroe Birthday)
यह सवाल मुझे बहुत लम्बे समय से परेशान करता रहा है. जब कुछ बरस पहले मैंने निकारागुआ के बड़े आधुनिक कवि माने जाने वाले एर्नेस्तो कार्देनाल की कविता ‘प्रेयर फ़ॉर मर्लिन मुनरो’ पढ़ी थी तो उसके बाद कई-कई दिनों तक अपने आप को सुन्न महसूस किया था. मायावी हॉलीवुड की सबसे बड़ी सेक्स सिम्बल मानी जाने वाली इस खूबसूरत लड़की की स्टारडम और सफलता को कितने सारे मानवीय आयामों से देखे जाने की जरूरत है, इस कविता को पढ़ने के बाद पता चला. कार्देनाल की कविता पढ़ने के बाद बड़ी देर तक आप समूचे संसार के साथ अपने आप को उसकी हत्या का गुनाहगार मानने लगते हैं. (Marilyn Monroe Birthday)
मर्लिन मुनरो का शुरुआती जीवन अनाथालयों में बीता. जब वह किशोरावस्था में पहुँची तो उसे अहसास हुआ – “जब संसार मेरे सामने खुला तो मैंने भी पाया कि लोग आपको कुछ नहीं समझते, जैसे कि वे दोस्ताना हो सकते थे और अचानक ही ज़रुरत से ज़्यादा दोस्ताना और बहुत कम के एवज में आपसे बहुत कुछ चाहते थे.” उसे बचपन से अभिनय करने का शौक था लेकिन गरीबी के चलते उसे 16 की आयु में शादी करनी पड़ी जिसने उसके पहले से तबाह जीवन को थोड़ा और तबाह किया.
फिर जिन्दगी इत्तफाकन उसके सामने वह सब लेकर आई जिसकी हम कल्पना ही कर सकते हैं. देखते-देखते वह हॉलीवुड का सबसे बड़ा और बिकाऊ नाम बन गयी. मर्दों की सल्तनत वाले इस संसार में उसने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला और दो विख्यात शादियाँ कीं. उसका दूसरा पति जो डीमैजियो बेसबाल का सुपरस्टार था और तीसरा पति आर्थर मिलर विश्वविख्यात नाटककार. ये दोनों शादियाँ भी भयानक असफलता में समाप्त हुईं. दुनिया के सबसे बड़े नामों के साथ उसका नाम जोड़ना मीडिया का शगल बन गया था और किसी को पता ही नहीं चला कब वह नशीली दवाइयों की गिरफ्त में आ गयी.
बीसवीं शताब्दी के सबसे बड़े पॉप सिम्बल्स में गिनी जाने वाली मर्लिन ने नशे की ओवरडोज लेकर आत्महत्या कर ली. वह कुल 36 बरस 2 माह और 3 दिन की थी. सफलता के शिखर पर उसने कैसी घनघोर निराशा और अकेलापन महसूस किया होगा! एक मासूम, भावुक, अल्हड़ और खूबसूरत लड़की से दुनिया का सबसे बिकाऊ सामान बना दिए जाने की यात्रा में उसके अपने से कहीं ज्यादा दुनिया का हाथ था.
अगर वह आज जीवित होती तो तिरानबे बरस की बूढ़ी अम्मा होती! लेकिन संसार भर के दिलों में वह अब भी बीस-पच्चीस साल की नटखट-चुलबुली सेक्स सिम्बल बनी हुई है जिसे कैमरे के आगे कपड़े उघाड़ने में ज़रा भी झिझक नहीं होती थी.
आप मर्लिन की जीवनियाँ पढ़िए! आप उस पर बनी फ़िल्में देखिये. आप को पता चलेगा कि दुनिया भर को आनन्द बांटने के एवज में मर्लिन मुनरो बस थोड़ा सा प्यार और दुलार चाहती थी. और कुछ नहीं. वह उसे नहीं मिला.
अर्नेस्तो कार्देनाल की कविता का मंगलेश डबराल द्वारा किया गया अनुवाद पढ़िए:
मर्लिन मुनरो के लिए प्रार्थना
परमेश्वर
शरण में लो इस लड़की को, जो मर्लिन मनरो के नाम से
जानी जाती है दुनिया में
गो यह न था उसका नाम
(गो तुम जानते हो उसका सही नाम, नौ बरस की उमर में
बलात्कार का शिकार हुई अनाथ बाला का
दुकान में काम करने वाली उस लड़की का, जिसने आत्महत्या की कोशिश की
सोलहवें बरस में)
जो अब तुम्हारे सामने बिना मेकअप आ जाती है
प्रेस एजेंट के बिना
अने ऑटोग्राफर के बिना
बिना ऑटोग्राफ देते
वाह्य अंतरिक्ष के अधिका का सामना करते अंतरिक्ष यात्री के मानिंदजब वह बच्ची थी तब सपने में देखा था उसने कि वह नंगी खड़ी है चर्च
में (टाइम्स के अनुसार)
साष्टांग दंडवत करते, धरती पर सिर टेके अरबों लोगों के सामने खड़ी
उसे चलना पड़ता था अपने पंजों पर, सिर बचाने के लिए
तुम तो बेहतर जानते हो हमारे सपनों को, मनोविज्ञानी चिकत्सिक से
चर्च, घर या गुफा बस प्रतिनिधित्व करते हैं गर्भ की सुरक्षा का
लेकिन उससे कुछ ज्यादा भी…
सिर प्रशंसक है तो यह साफ है
(वह समूह सिरों का परदे की निचली कोर के अंधेरे में)
लेकिन मंदिर ‘ट्वेंटिएथ सेंन्चुरी फॉक्स’ का स्टूडियो नहीं है
मंदिर सोने और संगेमरमर का, मंदिर है उसके तन का
जिसमें कोड़ा लिए खड़ा है मर्दानगी का सूर्य
हंकलाता ‘ट्वेंटिएथ सेंन्चुरी फॉक्स’ के दलालों को जिनने बना दिया तेरे
घर को अड्डा चोरों का
परमेश्वर,
रेडियोएक्टिविटी और पाप से दूषित इस दुनिया में
मुझे भरोसा है कि आप दुकान में काम करती लड़की को नहीं कोसेंगे
जो (किसी दूसरी ऐसी लड़की की तरह) सपना देखती थी ‘स्टार’ बनने का
उसका सपना हो गया सच (टेक्निकल सच्चाई)
उसने तो बस हमारी स्क्रिप्ट के अनुसार किया
हमारी जिंदगियों जैसा, लेकिन वो अर्थहीन था
क्षमा करो प्रभु, उसको और क्षमा करो हम सबको
हमारी इस बीसवीं सदी के लिए
और उस विराट प्रोडक्शन के लिए जिसके भागीदार हैं हम सब
वह भूखी थी प्यार की और हमने दी उसे नींद की गोलियाँ संत न हो पाने का अपना शोक मनाने के लिए उनने भेजा उसे मनोविश्लेषक के पास याद करो प्रभु कैमरे के प्रति उसका निरंतर बढ़ता भय और घृणा ‘मेकअप’ के प्रति (बावजूद उसकी हर सीन के लिए नया ‘मेकअप’ करने की जिद के) और कैसे बढ़ा वह आतंक
और कैसे बढ़ी उसकी आदम स्टूडियो में देर से आने कीकिसी और मनिहारिन की तरह सपने देखती थी वह ‘तारिका’ बनने के
उसकी जिंदगी वैसे ही अयथार्थ थी जैसे कोई सपना जिसे बांचता है विश्लेषक और दबा देता है फाइल में
उसके प्रेम चुंबन थे मुंदी आंखों वाले
जो आंखें खुलने पर
दिखे कि खेले गए थे वे ‘स्पॉटलाइटों’ तले जो
बुझाई जा चुकी हैं और कमरे की दोनों दीवारें (वह एक ‘सेट’ था) हटाई जा रही हैं डायरेक्टर अपनी डायरी लिए जा रहा है दूर और ‘दृश्य’ बंद किया जा रहा है ठीक-ठाक
या जैसे किसी नौका पर भ्रमण, चुंबन सिंगापुर में, नाच रियो में विण्डसर के ड्यूक और डचेज की बखरी का स्वागत-समारोह
देखा गया किसी सस्ते कमरे के ऊबड़-खाबड़ उदास माहौल में
उन्हें मिली वह मरी, फोन हाथ में लिए जासूस पता नहीं लगा सके कभी उसका जिसे करना चाहती थी वह फोन वो कुछ ऐसा हुआ जैसे किसी ने नंबर मिलाया हो अपने एकमात्र दोस्त का
और वहां से- टेप की हुई आवाज आई हो – ‘रांग नंबर’
या जैसे गुंडों के हमले से घायल, कोई पहुंचे काट दिए गए फोन तक,
परमेश्वर चाहे जो कोई हो
जिससे वह करना चाहती थी बात लेकिन नहीं की (और शायद वह कोई न था या कोई ऐसा, जिसका नाम न था लॉस एंजेलस की डायरेक्टरी में)
परमेश्वर, तुम उठा लो वह टेलीफोन.
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1 Comments
कवीन्द्र तिवारी
मर्लिन मुनरो के जीवन की संक्षिप्त दास्तां, त्रासदी से पूर्ण,पता नहीं उसने फिल्मों में कैसे काम किया होगा,कष्टों से भरा जीवन और पर्दे की सपनीली दुनिया का जीवन, लोगों के सामने उन्मुक्त दिखना ये सब छल नहीं तो और क्या है।