कला साहित्य

महत्वाकांक्षी फूल : ख़लील जिब्रान की कहानी

एक अतिसुन्दर, छोटा-सा, सुगन्ध देनेवाला नीला फूल था, जो अन्य फूलों के बीच नम्रता से रहता था और उस एकान्त बगीचे में प्रसन्न हो झूमता रहता था. (Mahatavakanskhi Phool Khalil Gibran)

एक दिन प्रात:काल जब ओस की बूंदें उसकी पंखुड़ियों को सुशोभित कर रही थीं उसने अपना सिर ऊपर उठाया और इधर-उधर नज़र दौड़ाई. उसने देखा कि एक सुन्दर गुलाब का फूल, गर्व से सिर उठाए, बड़ी ही शान से खड़ा है. ऐसा प्रतीत होता था, मानो आकाश में एक हरे रंग के हीरे की जलती हुई मशाल हो.

यह देखकर उस छोटे से फूल ने अपने नीले होंठों को खोला और कहा, ‘इन फूलों में मैं सबसे अधिक अभागा हूं. इनके बीच मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है. प्रकृति ने मुझे छोटा और ग़रीब क्यों बनाया है? मैं पृथ्वी से ही लगा रहता हूं. और अपना सिर नीले आकाश की ओर उठा नहीं सकता और न ही अपने चेहरे को गुलाब की भांति सूर्य की ओर मोड़ सकता हूं.’

गुलाब के फूल ने उस छोटे फूल की यह बात सुन ली. यह सुन कर वह हंसने लगा और बोला, ‘तुम्हारी बातें कितनी विचित्र हैं. तुम सौभाग्यशाली हो, किन्तु अपने सौभाग्य को समझ नहीं पाते. प्रकृति ने सुगंध और सुन्दरता दोनों ही चीज़ें दी हैं, जो बहुत कम लोगों का भाग्य है. अपने इन विचारों को त्याग कर, जो मिला उसी में संतोष करो. याद रखो, जो छोटा बनकर रहता है वही ऊपर उठता है और, जो बड़ा बनने का प्रयत्न करता है या अपने को बड़ा समझ कर स्वयं पर गर्व करता है वह शीघ्र ही समाप्त हो जाता है.’

ओ हेनरी की कहानी : आखिरी पत्ता

छोटे फूल ने कहा,‘तुम मुझे इसलिए सांत्वना दे रहे हो, क्योंकि तुम्हारे पास वह सब है, जिसकी मैं आकांक्षा रखता हूं, तुम स्वयं को बड़ा प्रदर्शित कर मुझे चिढ़ा रहे हो. आह, एक भाग्यवान की नसीहतें एक अभागे के लिए कितनी कष्टदायक होती हैं. दुर्बल को परामर्श देते समय बलवान कितना कठोर बन जाता है.’

प्रकृति ने भी उस नीले फूल और गुलाब के फूल की बातचीत सुनी. वह प्रकट होकर बोली,‘मेरे भाई छोटे फूल, तुम्हें क्या हो गया है? तुम, तो अपने विचारों और कार्यों में सदा ही नम्र और मधुर रहे हो. क्या लोभ ने तुम्हारे हृदय में घर कर लिया है और तुम्हारी बुद्धि को निर्बल बना दिया है?’

तब नीले फूल ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘हे वात्सल्यपूर्ण, करुणामयी मां, मैं तन-तन से प्रार्थना करता हूं कि कृपा कर मुझे एक दिन के लिए गुलाब बनने की आज्ञा प्रदान करो.’

तब प्रकृति ने कहा, ‘तुम नहीं जानते कि तुम क्या मांग रहे हो. इस अन्धी लालसा के पीछे, जो छिपी हुई विपत्ति है उससे तुम अनभिज्ञ हो. यदि तुम गुलाब बन जाओगे, तो तुम्हें अफ़सोस होगा और पश्चाताप के अतिरिक्त तुम्हें कुछ भी नहीं प्राप्त होगा.’
नीले फूल ने ज़िद की,‘मुझे भी एक ऊंचा गुलाब का फूल बना दो, क्योंकि मैं भी गर्व से अपना सिर ऊपर उठाना चाहता हूं.’
तब प्रकृति ने यह कहते हुए आज्ञा दे दी, ‘ऐ अज्ञानी और विद्रोही छोटे फूल, मैं तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार करती हूं, परंतु यदि उससे तुम पर कोई विपत्ति टूट पड़े, तो फिर तुम मुझसे शिकायत मत करना.’

और प्रकृति ने अपनी रहस्यपूर्ण जादू की उंगलियों को फैलाया और नीले फूल की जड़ों को छू दिया. तुरंत ही वह बड़े आकार में बदल गया और बगीचे के सभी पुष्पों से ऊंचा उठ गया.

अचानक गहरे काले बादल आकाश में घिर आए और हवा ने क्रुद्ध आंधी का रूप ले लिया और सारे वायुमंडल की शांति को छिन्न-भिन्न कर दिया. प्रचण्ड तूफ़ान और मूसलाधार वर्षा ने अचानक उस बगीचे पर धावा बोल दिया. तूफ़ान ने धरती से सटे छोटे-छोटे पौधों को छोड़कर अन्य सभी पौधों को जड़ से उखाड़ फेंका, शाखाओं को तोड़ दिया और ऊंचे पुष्पों के तनों को चीर दिया. इस तूफ़ान से उस एकान्त बगीचे की बहुत ही हानि हुई.

तूफ़ान शांत हुआ और आकाश साफ़ हो गया. छोटे नीले फूलों के परिवार को छोड़कर, जो तूफ़ान में धरती के सीने से चिपट गए थे और बिना किसी हानि के सुरक्षित थे, सभी फूल धवस्त पड़े थे. (Mahatavakanskhi Phool Khalil Gibran)

फूलो का कुर्ता : यशपाल की कहानी

शैलेश मटियानी की कहानी : बित्ता भर सुख

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online



काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

14 hours ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

14 hours ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

6 days ago

साधो ! देखो ये जग बौराना

पिछली कड़ी : उसके इशारे मुझको यहां ले आये मोहन निवास में अपने कागजातों के…

1 week ago

कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा

सकीना की बुख़ार से जलती हुई पलकों पर एक आंसू चू पड़ा. (Kafan Chor Hindi Story…

1 week ago

कहानी : फर्क

राकेश ने बस स्टेशन पहुँच कर टिकट काउंटर से टिकट लिया, हालाँकि टिकट लेने में…

1 week ago