बच्चों की प्रतिभा बाल्यकाल में ही पहचान ली जाए तो उसे उचित प्रशिक्षण देकर तराशना आसान हो जाता है. बहुत सारे बच्चे जन्मजात प्रतिभासम्पन्न होते हैं. अधिकतर, अपेक्षित प्रशिक्षण और मंच के अभाव से अपनी प्रतिभा को निखार नहीं पाते. यहाँ तक कि रोजी-रोटी की मजबूरी के चलते अपनी रुचि और स्वाभाविक प्रतिभा के क्षेत्र से भी उन्हें नाता तोड़ना पड़ता है.
(Littile Girl Viral Kumaoni Song)
बागेश्वर की चेली (बिटिया), तेजस्वी नेगी इस मायने में अपवाद है कि उसकी प्रतिभा जल्दी पहचान ली गयी. तेजस्वी की प्रतिभा की पहचान उसकी ईजा (माँ) ने की. ईजा, नीतू नेगी बताती हैं कि जब तेजस्वी पाँच साल की थी तो मैंने एक दिन उसे दक्ष कार्की का गीत ‘सुन ले दगड़िया’ गाते हुआ सुना. एक बार को तो लगा कि दक्ष ही गा रहा है. मोबाइल पर सुन-सुन कर तेजस्वी ने गीत के शब्द और लय पर पूरी पकड़ बना ली थी. तेजस्वी को माता-पिता द्वारा गायन के लिए प्रोत्साहित किया गया और वो खूब मन से गानों को सुनती-समझती और गाती भी है.
इसी बीच हल्द्वानी में एक संस्था द्वारा वॉइस ऑफ हिल, गायन प्रतियोगिता आयोजित की गयी. तेजस्वी ने भी इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया और बेस्ट प्रफॉर्मर चुनी गयी. इस उपलब्धि से तेजस्वी और उनके माता-पिता बहुत खुश हैं और तेजस्वी के लिए बेहतर मार्गदर्शन दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
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तेजस्वी की मम्मी बताती हैं कि बागेश्वर जैसे पहाड़ी शहर में संगीत-प्रशिक्षण प्राप्त करने के बेहतरीन संस्थान नहीं हैं. इसलिए पहाड़ी प्रतिभासम्पन्न बच्चे वो नहीं कर पाते हैं जो वो अन्यथा करते. सुगम और शास्त्रीय कौन सी दिशा चुनी जाए इस पर भी हम दुविधा में हैं.
तेजस्वी के लिए अगला लक्ष्य इंडियन आइडल जैसा मंच उनके ध्यान में है पर इसके लिए अपेक्षित पूर्वतैयारी के महत्व को भी वो समझती हैं. तेजस्वी को ड्राइंग भी बहुत अच्छी लगती है पर वह बनना आर्मी ऑफिसर चाहती है.
वॉइस ऑफ हिल के विनर युवा पंकज पांडे भी बागेश्वर के ही हैं और संगीत क्षेत्र के उभरते सितारे हैं. पंकज और तेजस्वी दोनों ही बागेश्वर की साहस अकेडमी में संगीत प्रशिक्षण भी ले रहे हैं.
पंकज और तेजस्वी का एक वीडियो हाल ही में बहुत लोकप्रिय हुआ है. इसमें दोनों कार में यात्रा कर रहे हैं और तेजस्वी पंकज को एक पहाड़ी गीत के गायन की बारीकियां सिखा रही हैं. इंदर आर्य का लोकप्रिय पहाड़ गीत, बोल हीरा बोल को पंकज गा रहे हैं और तेजस्वी उनकी गलतियों पर एक कुशल संगीत शिक्षिका की तरह करेक्ट कर रही है. तेजस्वी छोटी से छोटी गलती भी सहन नहीं करती है और स्वयं गा कर सही गाना सिखा रही है.
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इस वीडियो में तेजस्वी ने संगीत और गायन की बारीकियों पर अपनी पकड़ को जिस तरह से प्रदर्शित किया है उससे पूरे देश में गायन-संगीत के जानकार भी आश्चर्यचकित हैं. तेजस्वी इस वीडियो में न सिर्फ़ पंकज का उच्चारण सुधारती हुई दिख रही हैं बल्कि लय और अर्थ भी बता रही हैं. पंकज स्वयं गीत-संगीत की अच्छी समझ रखने वाले निपुण गायक हैं पर वो तेजस्वी की पकड़ को चैक करने के लिए ही जानबूझकर गायन में गलतियाँ कर रहे हैं.
तेजस्वी के इस वीडियो ने इस सवाल को भी प्रदेश के नीति-नियंताओं के सम्मुख उछाल दिया है कि उस जैसे प्रतिभासम्पन्न बच्चों के प्रोत्साहन के लिए राजकीय व्यवस्थाएं क्या हैं? ये भी कि संगीत क्षेत्र के स्थापित हस्तियाँ उसका किस तरह मार्गदर्शन कर सकती हैं? और ये भी कि क्या उत्तराखण्ड में एक अदद आंचलिक गीत-संगीत प्रशिक्षण संस्थान नहीं होना चाहिए? तेजस्वी की नैसर्गिक प्रतिभा को उचित न्याय मिले और अपेक्षित लक्ष्य भी यही कामना है. प्यारी चेली तेजस्वी तुमने लाखों प्रदेशवासियों का दिल जीत लिया है. सभी तुम्हें सफलता के उच्च शिखर को छूता हुआ देखना चाहते हैं.
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–देवेश जोशी
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1 अगस्त 1967 को जन्मे देवेश जोशी फिलहाल राजकीय इण्टरमीडिएट काॅलेज में प्रवक्ता हैं. उनकी प्रकाशित पुस्तकें है: जिंदा रहेंगी यात्राएँ (संपादन, पहाड़ नैनीताल से प्रकाशित), उत्तरांचल स्वप्निल पर्वत प्रदेश (संपादन, गोपेश्वर से प्रकाशित) और घुघती ना बास (लेख संग्रह विनसर देहरादून से प्रकाशित). उनके दो कविता संग्रह – घाम-बरखा-छैल, गाणि गिणी गीणि धरीं भी छपे हैं. वे एक दर्जन से अधिक विभागीय पत्रिकाओं में लेखन-सम्पादन और आकाशवाणी नजीबाबाद से गीत-कविता का प्रसारण कर चुके हैं.
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