झलतोला एक एकांत जगह है. तहसील गंगलीहाट का यह गाँव, किसी ज़माने में अपने पडोसी चौकोडी की तरह एक चाय बागान था. कालान्तर में इसके कुछ हिस्सों में गाँव बस गए और कुछ देख रेख के अभाव में अव्यवस्तित हो गये. इसके एक बडे हिस्से के मालिक अल्मोड़ा का रावत परिवार है जो की रायबहादुर किशन सिंह रावत और उनके पुत्र स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर दुर्गा सिंह रावत के वंशज हैं. इस परिवार से मित्रता और मेरी किस्मत ने मुझे इस जगह को अपना घर और कर्म भूमि बनाने का मौका दिया. पिछले एक दशक से मैं यहीं रहता हूँ. Letter from Jhaltola Madhur Chhabra
झलतोला पर प्रकृति की एक विशेष उदारता रही है. समुद्र की सतह से 1800 मीटर से लेकर 2600 मीटर की ऊंचाई में फैली यह एकाकी जगह मुख्यतः बाँज के घने जंगलों से ढकी है. कुछ 150 जाति के पक्षी, एक गुलदार का परिवार (जिसे हम कई बार देख चुके हैं), बराह, काकड़, स्याही, पाइन मार्टिन, हिमालयन वीसल, और हाल ही में देखा गया साम्भर, मॉनिटर लिज़र्ड, इसे अपना घर जानते हैं.Letter from Jhaltola Madhur Chhabra
इसके दक्षिण में लंबकेश्वर महादेव का एक मंदिर समुद्र तल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर विराजमान है. ऐसा माना जाता है की यह मंदिर 200 साल पुराना है. इस मंदिर के प्रांगण में बाँझ के सैकड़ों साल पुराने कुछ पेड़ है जिनकी ऊर्जा इतनी गहरी है की वह अपनेआप में प्राकृतिक मंदिर हैं. मैंने कई बार इनका चित्र खींचना चाहा है , पर इनका विशालकाय व्यक्तित्व को कैमेरे में कैद करना मेरी क़ाबलियत के परे है. पूर्व में जाडापानी का बेहद खूबसूरत रिज़र्व फॉरेस्ट, और पश्चिम में कुछ गाँव और चीड़ का एक जंगल है. वहीं इसकी उत्तर दिशा में हिमालय का 125 किलोमीटर चौड़ा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है. प्रमुख चोटियों में गढ़वाल के चौखम्बा के कुछ हिस्से, नंदा घुंटी, त्रिशूल, पंवाली द्वार, नंदा देवी, नंदा कोट, चिरिंग वे, राजरंभा, पंचूली , और नेपाल के आपि नम्फा शामिल हैं. इनके कुछ चित्र इस लेख के साथ संलग्न हैं. Letter from Jhaltola Madhur Chhabra
इस बेहद खूबसूरत जगह का हर मौसम अलग अंदाज़ पेश करता है. आज जब पहाड़ों पर हर जगह बर्फ़बारी हुई है, तो यहाँ एक अलग ही रंग फैला है. बर्फ के मौसम के चित्र मेरे लिए ख़ास हैं. जैसे ‘पोर्ट्रेट्स’ में ‘ब्लैक एंड वाइट’ फोटोग्राफी की एक अलग जगह है (सटीक बेबाक चित्रण), वैसे ही, बर्फ की सफ़ेद चादर ‘लैंडस्केप’ की रूप रेखा को पूर्ण या आंशिक रूप धक् देती है जिससे इसका सार दिखाई देता है. यह स्तिथि फ़ोटो खींचना आसान भी करती हैं और मुश्किल भी. आसान इसलिए की हर ‘फ्रेम’ बर्फ सा सुन्दर होता है और मुश्किल इसलिए की हर ‘फ्रेम’ का मुख्य पात्र बर्फ ही है. आज और कल की झलतोला में मेरे घर के आसपास की कुछ तस्वीरें इस लेख मेंआपसे साझा कर रहा हूँ.
-मधुर छाबड़ा
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मूलतः नैनीताल के रहने वाले मधुर छाबड़ा ने देश के एक बड़े संस्थान से मैनेजमेंट की डिग्री लेने के बाद बजे किसी मल्टीनेशनल में नौकरी करने के हिमालय के एक सुदूर गाँव में एक छोटा सा रिसोर्ट चलाने को प्राथमिकता दी. पढ़ने-लिखने और फोटोग्राफी के शौक़ीन मधुर गंगोलीहाट के पास झलतोला गाँव में मिस्टी माउन्टेन नाम का एक रिसोर्ट चलाते हैं. कहीं भी छपने वाली यह उनकी पहली रचना है.
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