सुन्दर चन्द ठाकुर

कल्पना करने की शक्ति से सपनों को सच करो

Mindfit GROWTH

मैं आज आपको अपनी जिंदगी में हर सफलता के पीछे सबसे बड़े सीक्रेट का खुलासा करने वाला हूं. जी हां दोस्तो मैं power of visualization पर बात करने वाला हूं. यह प्रकृति द्वारा, इस ब्रह्मांड यूनिवर्स द्वारा हम इंसानों को दी गई सबसे बड़ी शक्ति है लेकिन दुर्भाग्य से इसका बहुत कम लोग इस्तेमाल करते हैं. मैंने इस शक्ति से असंभव दिखने वाले काम भी पूरे किए हैं. आज मैं आपको उस तिजोरी की चाबी देने वाला हूं जिसमें यह शक्ति रूपी खजाना रखा हुआ है.
(Learn the mechanism of VISUALIZATION)

दोस्तो विजुअलाइजेशन दिमाग की कल्पना शक्ति का उपयोग करके अपने पर्सनल डेवलेपमेंट के लिए जरूरी गोल्स को हकीकत में बदलने का काम करता है. आपको जैसा रीजल्ट चाहिए उसे साफ-साफ अपनी कल्पना में देखकर हम अपने subconscious mind यानी अवचेतन मन को stimulate करते हैं और इस तरह अपने confidence और motivation को reinforce करते हैं यानी उन्हें पक्का बनाते हैं. यह जो cognitive practice यानी सोच-विचार करके काम करने वाली प्रैक्टिस है यह हमारे विचारों और एक्शंस को align करती है जिससे हमारा माइंडसेट पॉजिटिव बनता है और हममें विपरीत स्थितियों में लड़ने की ताकत आती है. विजुअलाइजेशन goal-setting, stress reduction और skill enhancement के लिए एक जरूरी औजार एक tool के रूप में काम करता है और हमारी success की संभावना को बढ़ाता है. जब हम अपने डेली रूटीन में विजुअलाइजेशन की टेक्नीक को शामिल करते हैं, तो इसकी बदौलत हम खुद को बहुत ताकतवर महसूस करने लगते हैं. यही ताकत अपने जीवन की हकीकत बदलने और खुद पर यकीन self belief को बढ़ाने में भी एक कारगर भूमिका निभाती है और हमारे एक समग्र पर्सनल डेवलेपमेंट holistic personal development के लिए हममें छिपी असीमित संभावनाओं के दरवाजे खोलती है.    

The Mechanism Behind Visualization

दोस्तो अब जरा विजुअलाइजेशन के साइंस को भी समझ लेते हैं. इस साइंस को समझने के बाद ही आपका इस पर भरोसा बढ़ेगा और आप इसे अपने रूटीन जीवन के ढेरों कामों के लिए उपयोग में लाना शुरू करेंगे जैसा कि मैं करने लगा हूं. जब आप कुछ विजुअलाइज करते हैं तो आपका दिमाग अपने neural networks और cognitive processes के जरिए आपकी कल्पना की गई vivid images जीवंत तस्वीरों को वैसे ही पढ़ता समझता महसूस करता है जैसे कि वह वास्तविक अनुभवों को समझता, महसूस करता है. होता यह है कि जब भी हम अपनी कल्पना को एकदम जीवंत बनाते हैं, दृश्यों को ऐसे देखते हैं जैसे कि वे हो ही रहे हों, तो हमारा ब्रेन अपने भीतर उन regions को एक्टिवेट कर देता है जो कि वास्तविक sensory input को process करते हुए एक्टिवेट होते हैं. जैसे अगर आप घर में बैठे हुए एक महीने तक दस-दस मिनट के लिए यह कल्पना करो कि तुम जिम में भारी डंबल्स उठा बाइसेप्स यानी अपने डोले शोले बना रहे हो, तो तुम्हारी यह कल्पना दिमाग में वही न्यूरांस एक्टिवेट कर देगी जो कि वास्तव में तुम्हारे जिम में जाकर डंबल उठाते हुए एक्टिवेट होते. ऐसे हजारों प्रयोग हुए हैं जिनमें वैज्ञानिकों ने पाया है कि किसी काम को करने को लेकर सिर्फ कल्पना करके भी लोगों को वही रीजल्ट मिला जैसा कि दूसरे लोगों को उस काम को वास्तव में करके मिला. इस phenomenon के लिए ब्रेन की वह सामर्थ्य  जिम्मेदार है जिससे कि वह mental simulation के मैकेनिज्म के जरिए तरह-तरह की अनुभूतियों और अनुभवों को पैदा कर सकता है. विडियो लंबा हो जाएगा इसलिए नहीं करवा रहा अन्यथा मैं अभी आपको नींबू का रस जीभ पर लेने की ऐसी एक simulation exercise करवाता कि बिना नीबू चखे आपकी जीभ सचमुच खट्टी हो जाती.

जब हम जीवंत कल्पना करते हैं, vivid mental imagination में जाते हैं तो इस प्रक्रिया में हमारे perceptions, memories और emotions involve हो जाते हैं. उदाहरण के लिए visual cortex जो कि विजुअल इन्फॉर्मेंशन को प्रोसेस करने के लिए जिम्मेदार होती है, वह भी एक्टिवेट हो जाता है जबकि जो विजुअल है वह बाहरी न होकर अंदरुनी होता है यानी वास्तविक न होकर उसे आपकी आंखों ने भीतर देखा होता है. इसके साथ साथ क्या होता है कि ब्रेन का जो limbic system है, जो कि emotion और memory से जुड़ा होता है, वह इन mental images के चलते सक्रिय हो जाता है और इस तरह हमें एक ऐसा holistic experience मिलने लगता है जैसे कि कल्पना किए गए दृश्य वास्तविक घटना का हिस्सा हों और हम उस वास्तविक घटना को जी रहे हों.

दोस्तो मजे की बात यह है कि यह जो प्रोसेस है यह सिर्फ विजुअल एक्सपीरियंस तक सीमित नहीं है. आपकी जो मानसिक कल्पना है वह कई तरह के sensory प्रभाव पैदा कर सकती है. किसी पसंदीदा डिश के स्वाद से लेकर अपने प्रेमी या प्रेमिका के प्यार भरे स्पर्श को महसूस करने तक आप कई तरह से अपने ब्रेन के अलग-अलग sensory regions को एक्टिवेट कर सकते हैं. जाने-अनजाने आप करते ही हैं. नहीं?

यह भी है कि हमारा ब्रेन वास्तविक और कल्पना किए गए अनुभवों में अंतर नहीं पहचान पाता जिसे हम plasticity of perception कहते हैं. यह plasticity जीवंत मानसिक कल्पनाओं को वास्तविक मानने देती है जिसके चलते हमारे emotions, attitude और behaviour सभी प्रभावित होते हैं. इस शक्ति का visualization जैसी technique के जरिए उपयोग कर हम अपने personal development पर पॉजिटिव प्रभाव डाल सकते हैं. क्योंकि हमारा ब्रेन काल्पनिक दृश्यों को भी वास्तविक मानता है और इस तरह हमारे perceptions और behavioural बदलावों को आकार देता है, हम उनका प्रयोग कर अपनी ग्रोथ के लिए जरूरी perceptions पैदा कर सकते हैं और ग्रोथ के लिए अनुकूल behaviour अपना सकते हैं.

Visualization और Subconscious mind का संबंध

दोस्तो अब जरा आप विजुअलाइजेशन और अवचेतन मन subconscious mind के बीच संबंध को भी समझ लीजिए. क्या होता है कि ब्रेन की images और symbols को पढ़ने की शक्ति का पूरा फायदा उठाते हुए विजुअलाइजेशन subconscious mind का उपयोग करता है. जब consciously कल्पना करते हुए लगातार जीवंत दृश्य पैदा किए जाते हैं, तो अपने आप ही subconscious mind involve हो जाता है क्योंकि वह कल्पना और वास्तविकता के बीच फर्क नहीं कर पाता. यह प्रक्रिया perception और आप तक फिल्टर होकर पहुंच रही सूचनाओं को प्रभावित करते हुए ब्रेन के reticular activating system को activate  कर देती है. अब चूंकि ब्रेन विजुअलाइज किए जा रहे scenario को वास्तविक यानी real मान रहा होता है, वह शरीर में emotional और physiological प्रतिक्रियाएं शुरू कर देता है. अगर हम बार-बार अपने विजुअलाइजेशन को दोहराएं तो इससे हमारे बिहेवियर को प्रभावित करने वाले beliefs और attitudes बनने लगते हैं. कितना interesting है ना? कुल मिलाकर यह कि विजुअलाइजेशन conscious mind और subconscious mind के बीच कम्युनिकेशन के लिए एक पुल की तरह काम करता है और ऐसा करते हुए वह हमारे विचारों और इमोशंस को प्रभावित करते हुए हमारी रिएलिटी को भी बनाता है. तभी तो बोलते हैं कि हम जैसा सोचते हैं वैसे ही हो भी जाते हैं.
(Learn the mechanism of VISUALIZATION)

Visualization के जरिए Goal Setting

दोस्तो विजुअलाइजेशन अमूर्त और दिखाई न देने वाले लक्ष्यों को ठोस और दिखाई देने वाले लक्ष्यों में रूपांतरित करने में अहम भूमिका निभाता है. आप जैसा रीजल्ट चाहते हैं, उसकी मेंटल छवियां लेकर हम अपने सपनों और चाहतों को लेकर clarity ले आते हैं. जब हमें रीजल्ट की छवियां दिखने लग जाती हैं, तो अपने आप ही मोटिवेशन लेवल बढ़ जाता है और success का रास्ता दिखाई देने लगता है. दोस्तो कुछ साल पहले एक ऑटोचालक का बेटा तब 17 वर्षीय आकाश मिश्रा मेरे पास आया था क्रिकेट खेलने की चाहत लिए. उसके पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई में ध्यान दे क्योंकि क्रिकेट में कोई भविष्य नहीं दिखता था और बात भी सही थी क्योंकि वह तब तक कुछ खेला ही नहीं था. मैंने उसे विजुअलाइज करना सिखाया. अगले एक साल में ही वह मुंबई की अंडर 19 टीम का हिस्सा बन गया. अपने भतीजे उन्मुक्त चंद को मैं बचपन से ही विजुअलाइजेशन के रास्ते पर ले गया. हमने उसे इंडिया के लिए खेलते भी विजुअलाइज किया था और वह India A का कप्तान बनने के बाद almost खेल ही गया था. विजुअलाइजेशन आपके रास्ते में आने वाले milestones मील के पत्थरों की पहचान कर लेता है और आपके भीतर यह समझ पैदा करता है कि आप अपना लक्ष्य अचीव कर सकते हो. यह आपके intentions को actions के साथ align कर एक proactive mindset को बढ़ावा देने में एक तातकवर औजार के रूप में काम करता है. होता यह है कि अपनी future journey के endpoint तक की यात्रा की जीवंत छवियां देख लेने से हम अपने कमिटमेंट और determination को बढ़ा लेते हैं जिससे हमारे गोल अचीव करने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.

मुझे लगता है खेल की दुनिया में अच्छा करने वाले महान खिलाड़ी विजुअलाइजेशन के इस टूल का बहुत उपयोग करते हैं. एक निम्नमध्यवर्गीय परिवार से आने वाले सचिन तेंदुलकर ने आजाद मैदान और शिवाजी पार्क में दिन रात खेलते हुए खुद को वानखेड़े स्टेडियम में देश के लिए खेलते देखने को विजुअलाइज किया कई सालों तक. यही वजह थी कि उन्होंने फिर कई सालों तक पूरी दुनिया को वास्तव में उस मैदान में अपने खेल के जलवे दिखाए.

Visualization for Improved Performance

दोस्तो सचिन तेंदुलकर की तरह ही दुनिया भर के तमाम खिलाड़ी और दूसरे फील्ड में काम कर रहे प्रफेशनल्स अपने परफॉर्मेंस को सुधारने के लिए विजुअलाइजेशन को एक mental strategy के रूप में इस्तेमाल करते हैं. Skills और scenarios को लेकर mental rehearsal कर लेने से एथलीट अपनी muscle memory को optimize कर लेते हैं जिससे उनका precision और coordination बढ़ जाता है. मैं आप लोगों को बता चुका हूं कि मैं अपनी मैराथन दौड़ में विजुअलाइजेशन का बहुत इस्तेमाल करता हूं और यही वजह है कि उसमें लगातार सुधार करते हुए अब मैं 4 घंटे से कम समय में पूरी मैराथन दौड़ ले रहा हूं. विजुअलाइजेशन high pressure scenario में anxiety को कम कर और confidence को बढ़ाते हुए एक पॉजिटिव माइंडसेट पैदा करता है. अगर हम professional settings की बात करें, तो वहां professionals जो presentations देने वाले होते हैं या जो challenging situations का सामना करने वाले होते हैं, उनके लिए वे mental imagery यानी काल्पनिक दृश्यों का प्रयोग करते हैं और ऐसा करके वे अपने में control और competence का sense पैदा करते हैं. जैसे दोस्तो मैं कई बार किसी महत्वपूर्ण स्पीच को लेकर विजुअलाइज करता हूं कि कैसे स्पीच देते हुए मैं लोगों की आंख से आंख मिलाकर देख रहा हूं, कैसे मेरी बातों को सुनकर उनके चेहरों के भाव बदल रहे हैं, वे मेरी बातों से प्रभावित हो रहे हैं, कैसे मैं स्पीच को क्लाइमेक्स पर ले जाकर छोड़ता हूं और हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर जाता है. विजुअलाइज करने से आप एकतरह से मन ही मन में रिहर्सल कर लेते हो जिससे न सिर्फ आपकी टेक्निकल सामर्थ्य बढ़ जाती है, आपका फोकस भी शार्प हो जाता है जो कि विपरीत स्थितियों से लड़ने में आपकी मदद करता है. कहना चाहिए कि विजुअलाइजेशन athletic और professional फील्ड में हमारी skills को बेहतर बनाते हुए और हममें एक winning mentality पैदा करते हुए, हमारे लिए एक mental simulator का काम करता है.

Harnessing Visualization in Difficult Situations

दोस्तो, विजुअलाइजेशन बहुत ही करामाती चीज है. मुश्किल स्थितियों में इसका उपयोग कर हम चुनौतियों का मजे मजे में ही सामना कर सकते हैं. Positive outcomes को दिमाग में picturize कर हम अपने स्ट्रेस से बेहतर डील का सकते हैं और अपनी problem-solving capacity बढ़ा सकते हैं. विजुअलाइजेशन एक mental roadmap create करने में, फोकस बढ़ाने में, लड़ने की शक्ति बढ़ाने में और विपरीत स्थितियों में एक नियंत्रण का सेंस बनाए रखने में मदद करता है. यह cognitive technique एंजाइटी कम करती है, कॉन्फिडेंस बढ़ाती है, mindset को positive बनाती है जिससे हम मुश्किलों का ज्यादा clarity और निश्चय determination के साथ सामना करते हैं.

Incorporating Visualization into Your Daily Life

दोस्तो विजुअलाइजेशन की एक प्रभावी दिनचर्या बनाने के लिए अपनी प्रैक्टिस को लेकर clear goals define करने से शुरुआत करो. पहले तय करो कि करियर में सक्सेस पाने या अपनी सेहत को बढ़िया बनाने जैसे अपनी जिंदगी के किस फील्ड को आप ताकतवर बनाना चाहते हैं. आप अपने घर का एक शांत एकांत कोना चुन लो और रोज विजुअलाइजेशन के लिए एक खास समय भी तय करो. अपने सेशन की शुरुआत करो धीमी गहरी सांस लेकर मन को शांत करने से ताकि आपके दिमाग की फ्रीक्वेंसी alfa (8-14htz) से थोड़ा नीचे theta (4-8 htz) पर आ जाए. इस फ्रीक्वेंसी पर आप subconscious mind के तल पर काम कर पाते हैं और आप जानते ही हैं कि अवचेतन मन unlimited होता है क्योंकि उसके तार unlimited universe से जुड़े होते हैं. एक बार जब दिमाग शांत हो जाए तो सारे senses का इस्तेमाल करते हुए अपने गोल्स को एकदम जीवंत दृश्यों में विजुअलाइज करो – in vivid detail. अपने लक्ष्यों को पाने से जुड़े इमोशंस और sensations की कल्पना करो और उन्हें महसूस करो. अगर आप कामयाबी चाहते हैं, तो आपको consistency दिखानी होगी और रोज ऐसा करना होगा. यह देखने के लिए कि इस सबका कोई फर्क पड़ रहा है या नहीं, आप अपनी प्रोग्रेस चैक करें. आपको खुद ही ऐसे संकेत मिलने लंगेगे जिनसे पता चल जाएगा कि आप गोल अचीव करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. आप अगर विजुअलाइजेशन के साथ-साथ journaling और vision board जैसे tools का भी इस्तेमाल करें, तो इससे ज्यादा फायदा होगा. इससे आपकी mental images और strong बनेंगीं. अपनी aspirations के साथ alignment सुनिश्चित करने के लिए आपको अपने विजुअलाइजेशन रूटीन का समय-समय पर रिव्यू करना होगा और उसमें जरूरी बदलाव करने होंगे. जैसे कोई मकाम आपने पा लिया, तो अपने दिमाग में उससे आगे के मकाम के दृश्यों को डालना होगा.
(Learn the mechanism of VISUALIZATION)

The Impact of Visualization on Emotional Health

विजुअलाइजेशन self-reflection और stress reduction के लिए एक पावरफुल टूल बनकर हमारी इमोशनल हेल्थ को बहुत प्रभावित कर सकता है. विजुअलाइजेशन के जरिए हम Mindfulness exercises और positive mental imagination की शरण जा सकते हैं जो सीधे हमारी एनजाइटी दूर करता है, मूड बेहतर बनाता है और हमारे ओवरऑल well being को सुधारता है. Positive pictures देखने जैसी visualization technique एक उम्मीद से भरा और शांति का सेंस पैदा करते हुए ब्रेन के emotional centres को stimulate करती है. यह प्रैक्टिस हमें stress  को manage करने, चुनौतियों का सामना करने, और ज्यादा पॉजिटिव माइंडसेट क्रिएट करने और इसतरह बेहतर emotional resilience और बेहतरीन mental health पाने में हमारी मदद करती है, इस सबके लिए हमें ताकतवर बनाती है.

Unleashing Your Potential through Visualization

विजुअलाइजेशन के जरिए अपनी संभावनाओं को सच करना एक ऐसी transformative process है दोस्तो जहां mental imagination आपको सफलता की ओर खींचकर ले जाती है. अपने लक्ष्यों के एकदम सजीव, एकदम जीवंत दृश्यों के रूप में देखकर और इसके साथ-साथ खुद को उन लक्ष्यों को हकीकत में बदलने के लिए जरूरी कामों को करते हुए देखकर यानी यहां दो बार देखना है, एक बार आप अपने लक्ष्यों को हासिल होते दिखाने वाले दृश्य देख रहे हैं और इसके साथ उन लक्ष्यों को पाने के लिए आपको जो काम करने होंगे, खुद को आप वे सभी काम करते हुए भी देख रहे हैं, ऐसा करने से आप अपनी प्रोग्रेस का रास्ता बनाते हैं. याद रखें कि विजुअलाइजेशन मोटिवेशन को बढ़ाता है जिससे पॉजिटिव माइंडसेट और self-confidence भी बढ़ते हैं. लगातार विजुअलाइजेशन के जरिए हम mind-body connection का बेहतर उपयोग करते हैं जिससे हमारी लड़ने की शक्ति बढ़ती है और I Can Do attitude आसमान तक लहराने लगता है. एक बार ऐसा होने लगे दोस्तो, तो वह कुछ भी हो, अगर आपने उसे पाना अपना लक्ष्य बना लिया, तो मजाल है कि कोई तुम्हें उसे पाने से रोक दे.

सुन्दर चन्द ठाकुर

कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

इसे भी पढ़ें: पांच शक्तियां जो दौड़ाएंगी आपसे मैराथन

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच

मौत हमारे आस-पास मंडरा रही थी. वह किसी को भी दबोच सकती थी. यहां आज…

1 day ago

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

5 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

5 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

6 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

1 week ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

1 week ago