समाज

उत्तराखंड के जाबांज सैनिकों के लिये एक कुमाऊनी गीत मुम्बई से

उत्तराखंड में सैनिकों को समर्पित एक बड़ा लोकप्रिय गीत है – घुघूति न बासा, आम की डाई में घुघूति न बासा. कुमाऊं के सबसे लोकप्रिय गायक गोपाल बाबू गोस्वामी ने इस गीत की शुरुआत में कहा है :
(Kumaoni Song Sainikon ke Naam)

काफ़ी दिनों तक घर में छुट्टी बिताने के बाद पति जाने लगता है अपनी नौकरी पर. पत्नी की आँखों में आंसू हैं. पति का चेहरा उदास है.पत्नी हाथ में पिठ्या की थाली लिये तिलक कर रही है अपने वीर पति को देश की रक्षा के लिये. उधर पति की अंतरआत्मा पुकार उठती है… इधर पतझड़ का महिना आ गया है कहीं दूर आम की डाल पर बैठी फाख्ता के बोलने पर वह व्याही तड़प उठती है है और कहती है घुघूति न बासा आम की डाई में…

गोपाल बाबू के ये शब्द नहीं हैं पहाड़ में आये दिन घटने वाला एक दृश्य है जिसके पीछे न जाने कितने भाव होते हैं न जाने कितनी कही अनकही कहानियां होती हैं.
(Kumaoni Song Sainikon ke Naam)

पिछले एक सप्ताह में उत्तराखंड के जवान सरहद पर शहीद हुये है. आये दिन कोई न कोई शोक समाचार सरहद से पहाड़ों के लिये आता है. लोग अपने अपने तरीके से पहाड़ के वीरों को याद कर रहे हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

मुम्बई से एक ऐसा ही वीडियो शेयर किया है रूप दुर्गापाल. रूप जानीमानी टीवी कलाकार हैं. पहाड़ के प्रति उनका प्रेम और लगाव अक्सर देखने को मिलता है. गोपाल बाबू गोस्वामी का यह गीत रूप ने देश की सेना के जवानों और उनके परिवारों को समर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी है. उनका वीडियो देखिये :

अल्मोड़ा में पैदा हुई और पली बढ़ी रूप ने उत्तराखण्ड से ही अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी की और इसके बाद टेलीविजन की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया. रूप दुर्गापाल: अल्मोड़ा की बेटी का भारतीय टेलीविजन स्टार बनने का सफर

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago