कुमाऊँ में मोटर यातायात की शुरूआत सर्वप्रथम 1915 में नैनीताल-काठगोदाम के बीच हुई. इसके पश्चात 1920 में काठगोदाम- अल्मोड़ा के मध्य मोटर यातायात शुरू हुआ. (KMOU Established in 1939)
सन् 1920 में अल्मोड़ा के मुंशी लालता प्रसाद टम्टा ने ‘हिल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी’ नाम से एक कम्पनी प्रारम्भ की जिसके अन्तर्गत लॉरियाँ हल्द्वानी और काठगोदाम से अल्मोड़ा और रानीखेत चलती थीं. कुछ समय बाद एक दूसरी छोटी कम्पनी ‘द कुमाऊँ मोटर सर्विस कम्पनी’ प्रारम्भ हुई, जो कि सन् 1922 के उत्तरार्ध में देवी लाल साह गंगा राम को हस्तांतरित कर दी गयी. कुछ समय पश्चात तीसरी कम्पनी ‘नैनीताल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी’ नाम से खुली. यह कम्पनी ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन कम्पनी की एक शाखा थी. ( KMOU Established in 1939 )
नैनीताल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी के पास 88 वाहनों का बेड़ा था. 1922 में ठेकेदार नारायण दास हंसराज द्वारा चौथी कम्पनी प्रारम्भ की गयी. इसी प्रकार अन्य और मोटर कम्पनियाँ प्रारम्भ हुई.
1920 से 1938 तक कुमाऊँ में 13 मोटर कम्पनियाँ पंजीकृत थी जो काठगोदाम, नैनीताल, भवाली, रानीखेत से अल्मोड़ा और अल्मोड़ा से इसी तरह वापसी करती थी. इन पंजीकृत कम्पनियों में आपसी प्रतियोगिता थी जिससे इन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. इसलिए कुमाऊँ क्षेत्र में परिवहन व्यवस्था का मुनाफे के साथ विकास करने के उद्देश्य से सन् 1939 में काठगोदाम में ‘कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड’ (के.एम.ओ.यू.लि.) की स्थापना की गयी. इस मास्टर कम्पनी की दो शाखाएं रामनगर तथा टनकपुर में खोली गयी जिससे अनाज, वन उत्पादन, आलू तथा यात्रियों का परिवहन बढ़ा.
कुमाऊँ में रोडवेज अर्थात् उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (वर्तमान में उत्तराखण्ड परिवहन निगम) की बसें आजादी के बाद ही चली और यानी सन 1947 के बाद ही बसें, ट्रक, लॉरियाँ इत्यादि अल्मोड़ा-रानीखेत से आगे जाने लगे. ( KMOU Established in 1939 )
( डिस्ट्रिक्ट गजेटियर ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविन्सेज ऑफ़ आगरा एवं अवध: सप्लीमेन्टरी नोट्स एवं स्टेटिस्ट्रिक्स: वाॅल्यूम – XXXV: अल्मोड़ा जिला के आधार पर.)
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