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वरिष्ठ लेखिका शीला रजवार की यह रिपोर्ट महिला पत्रिका ‘उत्तरा महिला पत्रिका‘ की वेबसाईट से साभार ली गयी है. उत्तरा महिला पत्रिका उत्तराखंड की पहली महिला पत्रिका है. उत्तरा महिला पत्रिका को अब ऑनलाइन भी पढ़ा जा सकता है. उत्तरा महिला पत्रिका के पुराने अंकों को इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है: उत्तरा महिला पत्रिका के पुराने अंक. उत्तरा के फेसबुक पेज पर उनके नवीनतम लेखों को पढ़ा जा सकता है – सम्पादक
(Khatima Golikand Report)
एक सितम्बर 94 को खटीमा में हुए गोलीकाण्ड की जांच के संदर्भ में मोहनचन्द, बनबसा, भारतीय किसान यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की जो बाद में हाईकोर्ट, इलाहाबाद की स्थानान्तरित हो गई उसके तथा वहां के कुछ लोगों से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट प्रस्तुत की जा रही है.
जून 1994 में उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की घोषणा की जबकि पहले से ही रिजर्वेशन कोटा मौजूद था और यह भी सच है कि यहां के पर्वतीय क्षेत्र में ओबीसी की संख्या कुल जनसंख्या के 2 प्रतिशत से अधिक नहीं है. इसके विरोध में एक सुगबुगाहट पूरे पर्वतीय क्षेत्र में थी.
28-29 अगस्त 94 की रात्रि में लगभग 95 विद्यार्थियों को पुलिस ने बिना किसी कारण बताये जबरन, उनके घरों से पकड़कर विभिन्न जेलों में भेज दिया. 30-31 अगस्त 94 को स्थानीय समाचार पत्रों में जेलों में डाले गये विद्यार्थियों के चित्रों के साथ पुलिसिया जुल्म की कहानी सामने आई, पहाड़वासी इस घटना से स्तब्ध रह गये.
(Khatima Golikand Report)
1 सितम्बर को खटीमा गोली काण्ड के बाद से लापता लोगों का विवरण
1. धर्मानन्द भट्ट, 50 वर्ष, पुत्र मोतीराम भट्ट, ग्राम उमरकलां 2. गोपीचंद, 65 वर्ष, पुत्र प्रतापचन्द, ग्राम रतनपुर फुल्लिया 3. परमजीत सिंह, पुत्र हरिनन्दन सिंह, राजीव नगर, 4. रामपाल, पुत्र बाबूराम, इंडिया नंगला, बरेली रैली में भाग लेने गये. धर्मानन्द भट्ट तब से घर नहीं लौटे हैं उनके घर में पत्नी, माता-पिता और 4 बच्चे हैं. बड़ा पुत्र हाईस्कूल में पढ़ता है. बेटी है जो दसवीं फेल है. छोटे दो पुत्र क्रमशः कक्षा 6 और 5 में पढ़ते हैं. करीबन 4 बीघा जमीन है और कच्चा है उन्हें 600 रु. मासिक पेंशन मिलती थी. कोई सूचना नहीं मिलने पर परिवार वालों ने पुतला बनाकर दाह-संस्कार कर दिया है. भूतपूर्व हवलदार गोपीचन्द अपने किसी कार्य से खटीमा गये थे. गोलीकाण्ड के समय वह तहसील प्रांगण में बैठे थे. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस द्वारा वहां बैठे लोगों को निशाना बनाया जा रहा था. तब से उनका कोई पता नहीं है. उनके परिवार में 3 पुत्र हैं. रामपाल की उम्र लगभग 17 वर्ष बताई गई जो बरेली से सितारगंज किसी विवाह में आया था लौटते समय खटीमा में फंस गया तबसे वह घर नहीं लौटा. लगभग 25 वर्षीय परमजीत सिंह अपनी पत्नी की दवा लेने गया था पर आज तक वापस नहीं आया. गुरमीत पुत्र बलबीर कपड़े का व्यापारी, व्यापार के सिलसिले में आया था. इसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट बरेली में ही लिखाई गई.
(Khatima Golikand Report)
इस सिलसिले में नैनीताल के खटीमा कस्बे में लोगों ने शान्तिपूर्ण जुलूस निकालने का फैसला किया. इस जुलूस में भूतपूर्व सैनिक, महिलाएं, छात्र, डॉक्टर, वकील, व्यापारी तथा अन्य लोगों की हिस्सेदारी रही, रामलीला मैदान खटीमा से शुरू होकर एस.डी.एम. ऑफिस की ओर (ज्ञापन देने के लिए) जा रहा यह कोतवाली के पास से गुजरा. जब जुलूस कोतवाली को लगभग पार कर चुका था तब कुछ तत्वों ने समीप की बिल्डिंग की चहारदिवारी के पीछे से इस शान्तिपूर्ण और निहत्थे जुलूस पर पथराव शुरू कर दिया. परिणामस्वरूप जुलूस एक भीड़ में बदल गया और लोग बचाव के लिए इधर-उधर भागने लगे. ठीक इसी समय खटीमा की निहत्थी मासूम जनता पर पहले अश्रु गैस के दो गाले फेंके और फिर अप्रत्याशित रूप से भागती हुई भीड़ को घेरकर तहसील प्रांगण की ओर ठेलकर चारों ओर से गोलियों की बौछार की गई थी.
इस हिंसा में घायलों और लाशों का ढेर लग गया, जबकि भारत का संविधान लोगों के मौलिक अधिकरों की सुरक्षा की गारण्टी देता है. अपरान्ह लगभग 2.30 पर खटीमा में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया गया. कर्फ्यू के बीच पुलिस ने अनेक घरों के दरवाजे तोड़कर लोगों को बाहर निकालकर निर्दयतापूर्वक पीटा और प्रदेश की विभिन्न जेलों में भेज दिया, पुलिस ने हस्तपतालों में भी मारपीट और गिरफ्तारियां कीं.
1 सितम्बर को खटीमा में हुए गोली काण्ड के मृतक
1. भगवानसिंह सिरोला, उम्र 50 वर्ष, पुत्र स्व. इन्दर सिंह, ग्राम श्रीपुर बिचवा, 2. प्रताप सिंह, उम्र 70 वर्ष, पिता प्रेमसिंह, सलीम.
ये वे लोग हैं जिनकी मृत्यु की पुष्टि प्रशासन ने की है लेकिन बार-बार मांगने पर भी शव परिजनों को नहीं सौंपे हैं. भगवान सिंह आसाम राइफल्स से सिपाही रिटायर हुए थे, 600 रुपये मासिक पेन्शन मिलती थी. घर में 2-2 बीघा जमीन है. पैतृक गांव सिरोला है जो पिथौरागढ़ जिले में पढ़ता है. परिवार में पत्नी और 7 लड़कियां हैं. तीन विवाहित हैं लेकिन चार अविवाहित हैं. सबसे छोटी लड़की 5 साल की है. प्रताप सिंह भूतपूर्व सैनिक थे, के पुत्र जगतसिंह है जो बेरोजगार है. 5-6 बीघा जमीन और भैंसें हैं. सलीम अविवाहित था जिसकी उम्र लगभग 22 वर्ष बताई गई पिता श्री अब्दुल रसीद मियां और मां अप्सरी बेगम. पिता व मां के अतिरिक्त घर में दो छोटे भाई और एक बहिन है. वह रिक्शा चालक था किसी से मांग कर उसी दिन रिक्शा लाया था.
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तीन लड़के जो रेलवे क्रासिंग में मरे पाये गये
1. प्रेम 15 वर्ष 2. रफीक 16 वर्ष 3. सुशील-15 वर्ष
कहा जा रहा है कि पुलिस ने इनसे लाशें ठिकाने लगाने में मदद ली और बाद में पोल खुलने के भय से मरवा दिया. रेल से नहीं कटे, जैसा कि प्रचारित किया गया. क्योंकि रेल जब आ रही थी तो ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और स्टेशन मास्टर को रिपोर्ट किया कि लाशें पड़ी हैं. पर इनका नाम रिट में नहीं है.
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इसी सिलसिले में 4 सितम्बर को श्री गोपाल सिंह ने एक लिखित शिकायत खटीमा पुलिस को दी लेकिन पुलिस ने इसे दर्ज करने से इंकार कर दिया. 8 सितम्बर को श्रीमती लीला देवी ने अपने पति तथा 11 सितम्बर को श्री मोहनचन्द ने अपने भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट की, 17 सितम्बर को कैप्टन शेरसिंह दिगारी ने बनारस जिला जेल से जेलर के मार्फत चीफ जस्टिस, हाईकोर्ट इलाहाबाद को रिप्रजेंटेशन प्रस्तुत किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद 29 सितम्बर 94 को श्री गोपाल सिंह बिष्ट ने पुनः लिखित शिकायत रजिस्टर्ड डाक से गृह सचिव, उ.प्र. सरकार को डी.जी. पुलिस, लखनऊ और एस.एस.पी., नैनीताल को प्रतिलिपियां भेजीं. 6 अक्टूबर 94 को सुप्रीमकोर्ट में श्री मोहन चन्द द्वारा की गई रिट याचिका (क्रिमिनल) दाखिल हुई. जिसे बाद में हाईकोर्ट, इलाहाबाद को स्थानान्तरित कर दिया गया. जिसके आधार पर जिला प्रशासन को गुमशुदाओं की जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए.
(Khatima Golikand Report)
इस क्षेत्र के लोगों ने महसूस किया कि यह नई आरक्षण नीति उनके शिक्षा पाने के अधिकार को नकार रही है और भविष्य में उनके रोजगार के अवसरों में कटौती हो जायेगी. उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के कुमाऊं-गढ़वाल क्षेत्र का पहाड़ी इलाका शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है इसीलिए यह 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण यहां के लोगों के लिए और भी दुःखदायी था, इस दृष्टि से इस क्षेत्र के लोगों का यह विरोध (प्रोटेस्ट) न्यायपूर्ण संवैधानिक और प्रजातांत्रिक था. दूसरी ओर उत्तराखण्ड आन्दोलन के शुरूआती दौर से ही उत्तर प्रदेश सरकार का रवैया प्रजातांत्रिक आवाज के खिलाफ दमनकारी रहा. कई लोगों और विद्यार्थियों को घरों से निकालकर जेलों में अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया गया. पुलिस ने कई पत्रकारों को बेरहमी से पीटा उनके कैमरे भी छीने, पुलिस सड़कों पर खुलेआम एसएलआर, स्टेनगन अन्य अत्याधुनिक हथियारों के साथ घूम रही थी.
(Khatima Golikand Report)
घायल आन्दोलनकारी
1. श्री ध्यानी चंद, 30 वर्ष, पुत्र श्री श्यामचन्द, ग्राम बिच्छापुरी, पीठ में बन्दूक से प्रहार, 2. श्री पप्पू चन्द, 18 वर्ष, पुत्र श्री गणेश चन्द, कुआंखेड़ा, पीठ में बन्दूक का प्रहार 3. श्री रामसिंह, 52 वर्ष, पुत्र श्री धरमसिंह, देवकलां, हाथ में बन्दूक का प्रहार 4. श्री ओमानी चैशाली, 50 वर्ष, पुत्र श्री जयदत्त चैशाली, श्रीपुर बिचुआ, कूल्हे पर बन्दूक का प्रहार 5. श्री मोहनसिंह, 50 वर्ष, पुत्र श्री जीतसिंह, कटरा, पेट और कंधे में फैक्चर 6. श्री केदारसिंह बंगोला, 48 वर्ष, पुत्र श्री जीतसिंह, श्रीपुर बिचवा, बांये हाथ में फ्रैक्चर 7. श्री पूरन चन्द, 55 वर्ष, श्री हरि चन्द, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 8. श्री देवेन्द्र चंद, 55 वर्ष, पुत्र श्री जयचन्द, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 9. श्री चन्द्रमणि चैशाली, 50 वर्ष, पुत्र श्री हरिदत्त चैशाली, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 10. श्री लीलाधर भट्ट, 52 वर्ष, पुत्र श्री तारादत्त भट्ट, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 11. दिवान सिंह, 50 वर्ष, पुत्र श्री भवान सिंह, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 12. रवीन चन्द, 20 वर्ष, पुत्र श्री शिवदत्त, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 13. दीनदयाल, 17 वर्ष, श्री शिवदत्त, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 14. टीका राम, 50 वर्ष, पुर श्री जयदत्त, श्रीपुर बिचवा, गोली की चोट 15. श्रीमती बसन्ती देवी, 42 वर्ष, पत्नी श्री धनपति चन्द, साबोर, गम्भीर चिन्ताजनक हालत में बरेली मिलिट्री हस्पताल में भर्ती दोनों पांव गोली से घायल 16. श्रीमती हीरा देवी, 30 वर्ष, पत्नी श्री जयचन्द, साबोर, पांव में गोली लगी 17. श्री त्रिलोक सिंह बोरा, 45 वर्ष, श्री सोबन सिंह, झनकट, पूरे शरीर में गोलियों के घाव 18. श्री दानसिंह, 65 वर्ष, पुत्र श्री मोहनसिंह, रतनपुर, गोली कन्धा चीरती हुई 19. श्री तेजसिंह, 45 वर्ष, पुत्र श्री त्रिलोकसिंह, रतनपुर, बांये कंधे में गोली 20. श्री जीवनसिंह, 18 वर्ष, पुत्र श्री हरीसिंह, कुआंखेड़ा, गोली से घायल 21. श्री किशन गिरि, 55 वर्ष, श्री रमेशगिरी, नोगनया, गोली से जांघ घायल 22. श्री रामदत्त फुलोरिया, 50 वर्ष श्री लोकमणि फुलोरिया, पछुरिया, छाती में गोली का घाव 23. श्री मोहनसिंह दिगारी, 55 वर्ष श्री दलसिंह दिगारी, पछुरिया, हाथ में गोली का घाव 24. श्री कैलाश चन्द्र जोशी, 26 वर्ष, पुत्र श्री रेवाधर जोशी, गोसीकुआं, बायें हाथ व छाती में गोली का घाव 25. श्री भवान सिंह, 48 वर्ष, पुत्र श्री शेरसिंह, गोसीकुंआ, दाहिने घुटने में गोली का घाव 26. श्री दिवानसिंह, 59 वर्ष, पुत्र श्री तेजबहादुर, ऊंचीमहुवत, पेट में गोली का घाव, 27. श्री लक्ष्मण पाल, 45 वर्ष, श्री एम.एस. पाल, गोली की चोट, 28. श्री गणेश सिंह, 35 वर्ष, पुत्र श्री करमसिंह, आमौ, गोली का घाव 29. श्री हयातसिंह 35 वर्ष, पुत्र श्री लक्ष्मण सिंह, जासरी, छाती पर गोली का घाव, 30. श्री के.सी. चंद, 60 वर्ष, पुत्र श्री जयचन्द, सोबार, दोनों पांवों में गोली लगी 31. श्री शिवराज सिंह, 43 वर्ष, पुत्र श्री मोतीसिंह, चांदपुद, गोली से जांघ घायल, 32. श्री शेरसिंह, 50 वर्ष, पुत्र श्री हरसिंह, चकरपुर, सर में गोली का घाव, 33. श्री होशियार सिंह, 64 वर्ष, पुत्र श्री देवसिंह, संजना, पेट में गोली का घाव 34. श्री पूरनसिंह, 22 वर्ष, पुत्र श्री किशन सिंह, चन्दनी, हाथ में गोली का घाव 35. श्री ज्ञानसिंह, 22 वर्ष, श्री चन्द्रसिंह, भूराकिशनी, गोली से घायल 36. श्री जितेन्द्र कुमार, 24 वर्ष, पुत्र श्री वीरेन्द्र कुमार, खटीमा, गोली से घायल 37. श्री लालसिंह, 29 वर्ष, श्री उत्तम सिंह, भूड़महोलिया, गोली से घायल 38. श्री दिवान सिंह, 36 वर्ष, पुत्र श्री रामसिंह, नगल्टातराई, गोली से घायल 39. श्री रामसिंह, 27 वर्ष, पुत्र श्री धरमसिंह, बिगराबाग, गोली से घायल 40. श्री लालसिंह, 53 वर्ष, पुत्र श्री भगवानसिंह, उथान, गोली से घायल 41. श्री शंकरसिंह, 25 वर्ष, पुत्र श्री जोगसिंह, कंजाबाग, गोली से घायल और आंखें फूट गई 42. श्री खीमसिंह, 38 वर्ष, पुत्र श्री बिशनसिंह, कंजाबाग, गोली से घायल 43. श्रीमती देवी, 40 वर्ष, पत्नी श्री कृपाल सिंह, साबोर, गोली से घायल 44. श्री धरमसिंह, 60 वर्ष, पुत्र श्री ज्ञानसिंह, रतनपुर, गोली से घायल 45. श्री रामसिंह, 45 वर्ष, पुत्र श्री गोपालसिंह, गोसीकुआं, गोली से घायल 46. श्री वजीरचंद, 37 वर्ष, पुत्र श्री पूरनचन्द, भजनपुर, गोली से घायल 47. श्री दिलीपसिंह, 30 वर्ष, पुत्र श्री शेरसिंह, गोसीकुआं, गोली से घायल 48. श्री जयदत्त, 55 वर्ष, पुत्र श्री नरोत्तम जोशी, बनबसा, गोली से घायल 49. श्री मोहनसिंह, 45 वर्ष, पुत्र श्री गम्भीरसिंह, पछूरिया, गोली से घायल 50. श्री गणेश सिंह, 45 वर्ष, पुत्र श्री भूपसिंह, पछूरिया, गोली से घायल 51. श्री किशोर पन्त, 35 वर्ष, पुत्र श्री मथुरादत्त पंत, गुड़ीगांठ, गोली से घायल 52. श्री खुशामणि, 55 वर्ष, श्री सदानन्द, बनबसा, गोली से घायल 53. श्री गुलजारी लाल, 55 वर्ष, – बनबसा, गोली से घायल, 54. श्री विशाल लामणी,-, पुत्र श्री सवानन्द उनियाल, बनबसा, गोली से घायल 55. श्री दिलीपसिंह, 55 वर्ष, पुत्र श्री ध्यानसिंह, गोहरपटिया, गोली से घायल, 56. श्री ताराचन्द, 35 वर्ष, पुत्र श्री कन्हाईलाल, खटीमा, दोनों पांव में गोली 57. श्री चन्दरसिंह कन्याल, 45 वर्ष, पुत्र श्री मोहनसिंह, खटीमा, घुटने में फैक्चर 58. श्री जगदीश चन्द्र जोशी, 45 वर्ष, पुत्र श्री बी.एन. जोशी, खटीमा, हाथ में फैक्चर 59. श्री बासुदेव जोशी, 55 वर्ष, पुत्र श्री दुर्गादत्त जोशी, भुजिया, पांव में फैक्चर.
(Khatima Golikand Report)
चूना भट्टी गांव के वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी 70 वर्षीय करमचन्द जी को बुरी तरह पीटा गया. पुलिस फायरिंग में 250 के करीब आन्दोलनकारी गोलियों से गम्भीर रूपसे घायल हुए. गम्भीर रूप से घायल हस्पताल में इलाज करा रहे 45 लोगों को यहां से गिरफ्तार कर बनारस जिला जेल व अन्य जेलों में भेज दिया.
मृतकों के शव परिजनों को नहीं सौंपे गये इनमें वे तीन भी शामिल हैं जिनकी सरकारी ऑकड़ों में पुष्टि की गई है. गम्भीर रूप से घायल और हस्पतालों में भर्ती लोगों को न तो कोई मुआवजा दिया गया और न ही उनके इलाज की समुचित व्यवस्था हुई.
अपनी बर्बरता को छुपाने के लिए पुलिस ने जुलूस में शामिल लोगों के खिलाफ 147/148/149/322/333/307/336 की धानाएं लगाते हुए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की लेकिन घायलों, मृतकों की एफ.आई.आर. दर्ज करने से इन्कार कर दिया.
(Khatima Golikand Report)
कर्फ्यू के कारण लोगों के लिए घायलों, लापता या मृतकों का पता करना सम्भव नहीं था. जब 4 सितम्बर को कर्फ्यू में 2 घंटों की ढील दी गई तब यहां के लोगों ने पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ स्थानीय पुलिस के पास लिखित शिकायत लेकर जाने का साहस किया. लेकिन पुलिस ने शिकायत की कापी फाड़ दी, गाली-गलौच करते हुए प्रताड़ित किया तथा जेल भेज देने की धमकी दी, जाहिर है इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इस प्रकरण से यह बात स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आती है कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात हुआ है. घायलों को हस्पताल से जेल ले जाना गैरकानूनी और अनधिकृत था. मृतकों के शव परिजनों को नहीं सौपे गये. व्यक्ति की स्वतंत्रता जान-माल की रक्षा का व्यापक रूप से हनन हुआ जो संविधान की धारा 21/22 का खुला उल्लंघन है. जानकारी पाने का अधिकार बाधित हुआ. उ.प्र. सरकार गुमशुदा लोगों को जानकारी देने में असमर्थ सिद्ध हो रही है.
(Khatima Golikand Report)
रिट पर पहली सुनवाई 21 दिसम्बर को हुई जिसमें सब प्रतिवादियों को शपथ-पत्र नहीं पहुंच पाये. जिसमें 3 जनवरी 95 की तारीख लगी सीबीआई को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा. अगली पेशी में हाईकोर्ट ने जिन चार लोगों की गुमशुदगी दर्ज हुई है उन्हें 20 जनवरी तक उच्च न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए हैं. महिलासंघर्ष समिति ने भी मांग की है कि इन लापता लोगों की सूचना ज्यों ही मिलती है, उसे सार्वजनिक किया जाये.
– शीला रजवार
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1 Comments
Kamal Kumar lakhera
गरीब की जोरू, सबकी भाभी । गरीब की अब नीचे ना ऊपर कहीं सुनवाई नहीं है ।